प्रशासन ने खसरा प्रभावित मलप्पुरम में गलत सूचना अभियान से लड़ने के लिए धार्मिक नेताओं की मदद मांगी..
मालप्पुरम (केरल), 08 दिसंबर। केरल के मलप्पुरम में बच्चों में खसरे के बढ़ते मामलों के बीच, अधिकारियों ने खुलासा किया है कि उत्तरी जिले में पांच साल तक की उम्र के 1.60 लाख से अधिक बच्चों ने खसरा-रूबेला (एमआर) टीका नहीं लगवाया है, जो वहां बच्चों की जान को जोखिम में डाल रहा है।
चिंताजनक स्थिति के मद्देनजर, अधिकारियों ने वायरस के कारण होने वाली संक्रामक, गंभीर बीमारी के प्रसार को रोकने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण के खिलाफ गलत सूचना अभियानों को रोकने के लिए धार्मिक नेताओं की मदद मांगी है।
जिला जन संपर्क विभाग के एक बयान में यहां बुधवार को कहा गया है, “जिले में टीकाकरण गतिविधियों को तेज किया जाएगा। जिले में पांच साल तक के बच्चों की एमआर टीकाकरण दर 80.84 प्रतिशत है। लक्ष्य 95 प्रतिशत तक पहुंचने का है।”
इसमें कहा गया है कि जिले में पांच साल तक के 1,62,749 बच्चों ने एमआर का टीका नहीं लिया है।
बयान में कहा गया है, “इसमें से 69,089 बच्चों को एमआर टीके की पहली खुराक और 93,660 बच्चों को दूसरी खुराक लेनी है।”
अधिकारियों ने कहा कि जिले के 85 स्थानीय निकायों में मंगलवार (छह दिसंबर) तक खसरे के 464 मामले सामने आ चुके हैं।
जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ के रेणुका ने कहा कि एमआर टीके की दो खुराक लेने से ही खसरे को पूरी तरह से रोका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि संक्रमितों में से 90 प्रतिशत को कभी भी टीके की एक भी खुराक नहीं मिली। शेष नौ प्रतिशत को केवल पहली खुराक मिली।
डीएमओ ने कहा कि दोनों खुराक प्राप्त करने वालों में से एक प्रतिशत बीमार हो गए, लेकिन जल्दी ठीक हो गए।
जिले में मौजूदा स्थिति ने जिला कलेक्टर वी आर प्रेमकुमार को उपचार और टीकाकरण को लेकर जनता के बीच गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है।
बयान में कहा गया है, “ऐसे संदेश बिना किसी वैज्ञानिक आधार के फैलाए जाते हैं। जिला कलक्टर ने यह भी बताया कि जिला पुलिस प्रमुख को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”
इस बीच, जिला कलेक्टर द्वारा बुलाई गई धार्मिक संगठनों के नेताओं की एक बैठक में जानलेवा बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए टीकाकरण के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के मकसद से एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक नेताओं ने मदरसों सहित पूजा स्थलों और धार्मिक संस्थानों में जाने वाले लोगों के बीच बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी के सहयोग की पेशकश की है।
बयान में कहा है, “धार्मिक नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को शिक्षित करने के लिए अपने हर प्रकार के समर्थन की पेशकश की है। जिला कलेक्टर ने उन्हें सूचित किया कि सरकार का प्रयास बीमारी के कारण होने वाली मौतों को रोकना है और केवल टीकाकरण के माध्यम से ही संक्रमण और बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।”
कलेक्टर के कक्ष में आयोजित बैठक में विभिन्न धार्मिक संगठनों जैसे सलीम एडकारा (एसवाईएस), पीकेए लतीफ फैजी (समस्थ), अब्दुर्रहमान एम वलियांगडी (जमात ए इस्लामी) और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
सियासी मियार की रिपोर्ट