शताब्दी वर्ष में इन पांच विषयों पर समाज का प्रबोधन करेगा संघ..

शताब्दी वर्ष में इन पांच विषयों पर समाज का प्रबोधन करेगा संघ..

लखनऊ, 03 नवंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष 2025 में पूरे हो रहे हैं। इसलिए संघ, शाखा कार्य विस्तार के साथ ही संघ कार्य को सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी बनाने के लिए काम कर रहा है।

संघ ने शताब्दी वर्ष में बड़े कार्यक्रम करने के स्थान पर सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्यबोध जैसे विषयों पर समाज का प्रबोधन करने का निर्णय लिया है। इसलिए संघ के कार्यकर्ता शताब्दी वर्ष में इन विषयों को लेकर समाज के बीच जाएंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर के मुताबिक मार्च 2023 में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में इन विषयों को लेकर समाज के बीच जाने की चर्चा हुई थी। संघ का शताब्दी वर्ष 2025 में प्रारम्भ होगा। इस दौरान इन सारे विषयों को लेकर संघ कार्यकर्ता समाज के बीच जाएंगे।

सामाजिक समरसता-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता गतिविधि के नाम से समाज में अस्पृश्यता के निवारण व समाज में सामाजिक समरसता स्थापित करने के लिए काम करता है। इस समय देशभर में बड़े पैमाने पर सामाजिक समरसता के लिए संघ काम कर रहा है। इसलिए शताब्दी वर्ष में सामाजिक समरसता के विषय को लेकर संघ समाज के बीच जन जागरण करेगा।

कुटुम्ब प्रबोधन-

संघ की छ: गतिविधियों में कुटुम्ब प्रबोधन भी शामिल है। परिवार प्रबोधन के जरिए संघ समाज के विभिन्न परिवारों के बीच बेहतर तालमेल, परस्पर सहयोग और सौहार्द कायम करने का प्रयास करता है। संघ का मानना है कि बच्चों को संस्कार परिवार से ही मिलते हैं। परिवार ही देश की सबसे छोटी इकाई है। इसलिए अगर देश को महान बनाना है तो परिवार व्यवस्था को मजबूत रखना होगा।

पर्यावरण संरक्षण-

आज देश में पर्यावरण का संकट खड़ा है। इसलिए संघ समाज के बीच पर्यावरण गतिविधि के नाम से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करता है। इस गतिविधि के माध्यम से संघ कार्यकर्ता समाज के बीच जल संरक्षण करने, पौध रोपण को बढ़ावा देने, प्लास्टिक का बहिष्कार करने और धरती को प्रदूषित होने से बचाने के लिए काम करते हैं।

स्वदेशी-

स्वदेशी का आग्रह संघ परिवार वर्षों से करता आ रहा है। संघ के स्वदेशी से तात्पर्य केवल स्वदेशी कपड़े मात्र से नहीं है। स्वदेशी का अर्थ स्वदेशी, आहार, विहार, संस्कार एवं आचरण के अलावा स्वभाषा व स्वसंस्कार से है।

नागरिक कर्तव्यबोध-

संघ देशभर में नागरिकों में कर्तव्यबोध का जागरण भी करेगा। संघ का मानना है कि देश के नागरिक अपने अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं। इसलिए संघ कार्यकर्ता समाज में नागरिकों के कर्तव्य बोध के जागरण का भी काम करेंगे।

सियासी मियार की रिपोर्ट