बच्चों के लिए संजीवनी से कम नहीं ये 5 टीके, डॉक्‍टर ने कहा ना करें एक भी Vaccine मिस..

बच्चों के लिए संजीवनी से कम नहीं ये 5 टीके, डॉक्‍टर ने कहा ना करें एक भी Vaccine मिस..

टीके बच्चों को खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं। खसरा, गलसुआ, और पोलियो जैसी बीमारियां बच्चों को बहुत बीमारी कर देती हैं, और उन्हें तेज बुखार, चकत्ते, और सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगती है। कभी-कभी ये बीमारियां जानलेवा भी बन सकती हैं। बच्चों को ऐसी खतरनाक बीमारियों से बचाने और स्वस्थ व सेहतमंद रखने के लिए टीके सबसे अच्छी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

भारत में संक्रामक बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा है, इसलिए यहां बच्चों की सेहत एवं स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक टीके लगाए जाने बहुत जरूरी हैं। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के चेयरमैन, जनरल पीडियाट्रिक्स, क्रिटिकल केयर पीडियाट्रिक्स (पीआईसीयू), पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी, पीडियाट्रिक केयर, डॉ. प्रवीण खिलनानी, बच्चों और शिशुओं के लिए पांच सबसे जरूरी टीके के बारे में यहां बता रहे हैं।

  1. खसरा, गलसुआ और रुबेला (एमएमआर) का टीकाः यह एक टीका बच्चों को तीन अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमणों से बचाता हैः

(क) खसराः खसरा एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जिसकी वजह से बहुत तेज बुखार, शरीर में चकत्ते और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

(ख) गलसुआः इस बीमारी में उनके गाल गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं, और उन्हें कभी-कभी कान में दर्द और सुनने में मुश्किल होने लगती है।

(ग) रुबेला (जर्मन खसरा): रुबेला संक्रमण अक्सर हल्का होता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान होने पर शिशु में गंभीर जन्मजात विकार उत्पन्न कर सकता है।

एमएमआर का टीका आम तौर से दो खुराकों में लगाया जाता है – पहला टीका 9 महीने से 15 महीने के बीच और दूसरा टीका 18 महीने से 5 साल के बीच लगाया जाता है।

  1. पोलियो का टीकाः

पोलियो एक जानलेवा बीमारी है, और मरीज को अपाहिज बना देती है। यह पोलियोवायरस के कारण होती है। यह वायरस तंत्रिका प्रणाली पर हमला करता है, और इसकी वजह से पक्षाघात हो सकता है। भारत ने 2014 में पोलियोमुक्त राष्ट्र का दर्जा हासिल किया था, जो जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि थी। हालाँकि हमें इस वायरस को लौटने से रोकने के लिए अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है।

भारत में दो तरह के पोलियो के टीके लगाए जाते हैंः
(क) मुंह से दिया जाने वाला पोलियो का टीका (ओपीवी): यह टीका मुँह से दिया जाता है, और मजबूत प्रतिरक्षा प्रदान करता है। यह वायरस को फैलने से रोकने में मदद करता है।

(ख) इनएक्टिवेटेड पोलियो का टीका (आईपीवी): यह टीका इंजेक्शन से लगाया जाता है और पोलियो से आजीवन सुरक्षा प्रदान करता है।
भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में ओपीवी और आईपीवी, दोनों को शामिल किया गया है ताकि पोलियो से अधिकतम सुरक्षा मिल सके।

  1. डिफ्थीरिया, टिटनस, और पर्टुसिस (डीटैप) का टीकाः ये टीके बैक्टीरिया के तीन संक्रमणों से बचाते हैं।

(क) डिफ्थीरियाः बैक्टीरिया का यह संक्रमण सांस लेने में तकलीफ, हार्ट फेल, और पक्षाघात कर सकता है।

(ख) टिटनस (लॉकजॉ): यह एक पीड़ादायक और जानलेवा बीमारी है, जिसमें पेशियों में ऐंठन और जबड़े लॉक हो जाते हैं। टिटनस के बैक्टीरिया दशकों तक मिट्टी में जीवित रह सकते हैं, और छोटी सी चोट लगने पर भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

(ग) काली खांसी: यह अत्यधिक संक्रामक सांस की बीमारी है, जिसमें बहुत ज्यादा खाँसी होती है। डीटैप का टीका बचपन में कई शॉट्स में लगाया जाता है, और बाद में जीवन में बूस्टर खुराक दी जाती हैं।

  1. हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़े टाईप बी (एचआईबी) का टीकाः

एचआईबी एक बैक्टीरिया है, जो गंभीर संक्रमण कर सकता है, जिसमें मेनिंजाईटिस, निमोनिया, और एपिग्लॉटिस (साँस की ऊपरी नली में सूजन के कारण साँस में रुकावट उत्पन्न होना) शामिल है। भारत में एचआईबी बच्चों में बीमारी का एक मुख्य कारण है। एचआईबी का टीका आम तौर से पेंटावेलेंट नामक टीके के अंतर्गत लगाया जाता है, जो डिफ्थीरिया, टिटनस, और हेपेटाईटिस बी से सुरक्षा प्रदान करता है।

  1. हेपेटाइटिस बी का टीका:

हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रमण है। यह लीवर पर हमला करता है। लीवर में क्रोनिक संक्रमण से सिरोसिस (लीवर में गंभीर घाव) और लीवर कैंसर हो सकता है। यदि माँ हेपेटाइटिस बी वायरस की कैरियर है, तो नवजात शिशुओं को इस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस बी का टीका कई शॉट्स में लगाया जाता है, जो सामान्यतया जन्म के बाद शुरू हो जाता है।

ये पांच टीके बच्चे को कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में ये टीके सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में निःशुल्क लगाए जाते हैं।

डस्टबिन नहीं, अपने स्किन केयर में दें इन फलों के छिलकों को जगह, दाग-धब्बे गायब कर चेहरे पर लाएंगे निखार

या आप फलों को खाने के बाद उनके छिलकों को डस्टबिन में फेंक देती हैं। अगर हां, तो आज ही अपनी इस आदत को बदल लीजिए। इन छिलकों में कई सारे विटामिन होते हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपने चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए कर सकती हैं। इससे न सिर्फ आपके स्किन केयर के पैसे बचेंगे, बल्कि घर बैठे ही अच्छी त्वचा भी मिलेगी।

ऐसे में अब अगर आप कभी इन फलों को खाएं, तो उनके छिलके को फेंकने की बजाए इनसे फेस मास्क बनाकर अपने चेहरे का नूर बढ़ाने का काम करें। ऐसा करने से पोषण से युक्त ये फेस मास्क आपकी स्किन में नेचुरल ग्लो लेकर आएंगे। जिससे आप भी फ्रेश महसूस करेंगी। आइए जानते हैं कि इन मास्क को किन फलों के छिलकों से बनाया जा सकता है।

पपीते का छिलका

पपीते के छिलके में पैपेन नाम का एक एंजाइम होता है, जो त्वचा की रंगत में सुधार लेकर आता है। ये स्किन ब्राइटनिंग एजेंट का काम करता है और साथ ही उसे सॉफ्ट भी बनाता है। डार्क स्पॉट को हल्का करने के लिए इसे हफ्ते में 2-3 बार लगाने से फायदा होता है।

इस तरह करें इस्तेमाल

पपीते के छिलके का पाउडर बना लें और फिर उसमें शहद और नींबू का रस मिलाकर फेस पैक बना लें। इसे 20 मिनट तक चेहरे पर लगाए और गुनगुने पानी से धो लें।

अनार का छिलका

अनार खाने के जितने फायदे होते हैं, उतने ही इसके छिलके को चेहरे पर लगाने के भी होते हैं। अगर आप पार्लर में फेशियल कराने के बाद भी रिजल्ट से खुश नहीं हैं, तो एक बार अनार के छिलकों से बने फेस पैक को लगाएं। छिलके में मौजूद एक्सफोलिएटिंग एजेंट आपकी स्किन टोन को बैलेंस करने में मदद करेंगे। इसे लगाने के बाद यकीनन आपके चेहरे पर ग्लो आएगा।

ऐसे करें इस्तेमाल
अनार के छिलकों का पाउडर बनाकर उसमें एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिला लें। फिर इस पेस्ट को 15 मिनट के लिए अपने चेहरे पर लगाएं। इससे काले धब्बे कम होंगे, तो झुर्रियां भी दूर होंगी।

केले का छिलका

केले के छिलके में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं। ये दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाते हैं, तो स्किन पर ग्लो लेकर आते हैं। इसका इस्तेमाल चेहरे की सूजन, पिंपल्स और त्वचा की जलन को कम करने के लिए किया जा सकता है। वहीं, छिलके में मौजूद ल्यूटिन नाम का तत्व स्किन को नमी और पोषण देता है, जिससे त्वचा यंग दिखती है।

ऐसे करें इस्तेमाल

केले के छिलकों के सफेद रेशों में एलोवेरा जेल मिलाएं और उसे आंखों के नीचे लगाएं। इससे डार्क सर्कल्स से छुटकारा मिलेगा।
छिलके को अपने चेहरे पर कुछ देर अच्छी तरह से रगड़ें और फिर उसके ऊपर गुलाब जल लगाएं। 15 मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर फेस वॉश कर लें।

संतरे का छिलका

विटामिन सी से भरपूर संतरे के छिलके का नेचुरल फेस क्लींजर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये चेहरे से ब्लैक स्पॉट हटाने, पिंपल्स के निशान को हल्के करने और सन टैन को दूर करने में मदद करता है। गर्मियों में अपनी स्किन की चमक बनाए रखने के लिए आप इसके छिलकों से फेस पैक बना सकते हैं।

ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरी में 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल में संतरे के छिलकों का पाउडर मिलाएं और 2-3 बूंद नींबू का रस डालें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद फेस वॉश कर लें।
संतरे के छिलके के पाउडर में चंदन पाउडर और गुलाब जल या नींबू का रस डालें। इसे स्क्रब के रूप में इस्तेमाल करें। ये सन टैन और डैड स्किन निकालने में मदद करेगा।

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