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बीते सप्ताह आयात शुल्क में वृद्धि से ज्यादातर तेल-तिलहन में सुधार, मूंगफली में गिरावट..

बीते सप्ताह आयात शुल्क में वृद्धि से ज्यादातर तेल-तिलहन में सुधार, मूंगफली में गिरावट..

नई दिल्ली, 15 सितंबर। सरकर द्वारा बीते सप्ताह खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि किये जाने के बाद देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए। वहीं दाम ऊंचा रहने के कारण कम कारोबार तथा नई फसल की आवक के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज हुई। खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि किये जाने का कोई विशेष असर देशी तेल-तिलहनों पर नहीं दिखा।

सोयाबीन डीगम तेल में इसलिए गिरावट है क्योंकि पहले यह तेल नौ रुपये के प्रीमियम पर बिक रहा था जो आयात शुल्क बढाने के बाद खत्म हो गया। इसके अलावा कल शिकॉगो एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट की वजह से सोयाबीन डीगम तेल के दाम नरम रहे।

आयात शुल्क में वृद्धि के बाद सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल के साथ-साथ सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम मजबूत हो गये।

सरकार ने गत शुक्रवार की रात सीपीओ और सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत, पामोलीन का 13.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 35.75 प्रतिशत और सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया। लेकिन इस वृद्धि का देशी तेल-तिलहन पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा क्योंकि आयातित तेल से वे पहले ही काफी ऊंचे दाम पर बिक रहे थे।

सूत्रों ने कहा कि इस शुल्क वृद्धि से महंगाई बढ़ने की संभावना नहीं है। इस वृद्धि का उपभोक्ताओं पर मामूली असर ही आयेगा लेकिन इसके कारण देश में बंद पड़ी मिलें चल निकलेंगी, देशी तिलहन की खपत बढ़ने से किसानों को लाभ होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी।

सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह मंडियों में सरसों की आवक में गिरावट जारी रही। इसके अलावा आयातित तेलों की भी शॉर्ट सप्लाई की वजह से बाजार में तेजी का माहौल है। ब्रांडेड कंपनियों की ओर से अच्छी गुणवत्ता वाले सरसों की मांग है जिससे सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि बाजार की कम कीमत होने की वजह से सोयाबीन की आवक भी घटी है। इसकी वजह से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार है। लेकिन इन सबके बावजूद सूरजमुखी और सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर ही बिक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि का असर सोयाबीन डीगम तेल पर आधा है। आयात शुल्क बढ़ने के बाद वैसे देखें तो दाम में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन खाद्य तेलों की कम आपूर्ति की वजह से जो सोयाबीन डीगम तेल निरंतर बढ़ते प्रीमियम दाम के साथ बिक रहा था वह आयात शुल्क वृद्धि के फैसले के बाद घटता नजर आया। वैसे देखा जाये तो इसके दाम बढ़े हैं पर प्रीमियम खत्म होने की वजह से दाम में गिरावट दिख रही रही है। दूसरी ओर शुल्क वृद्धि के बाद सोयाबीन के बाकी तेल के दाम में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि के फैसले के बाद कई विशेषज्ञों द्वारा मूंगफली के दाम में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मूंगफली तेल-तिलहन के दाम की गिरावट ने इस भ्रम को तोड़ दिया है। मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट का कारण इसके दाम के ऊंचा होने के कारण कारोबार प्रभावित होने के साथ-साथ इसकी नई फसल की आवक शुरू होना है।

सूत्रों ने कहा कि वैसे तो पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार है। लेकिन गत शुक्रवार को जब आयात शुल्क बढ़ाया गया, उस समय तक मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर तीन बजे कारोबार बंद हो चुका था। सोमवार को यह एक्सचेंज बंद है इसलिए सीपीओ, पामोलीन पर शुल्क वृद्धि के असर का पता मंगलवार को बाजार खुलने के बाद पता लगेगा।

सूत्रों ने कहा कि नगण्य आवक के बीच और बारिश के कारण नई फसल के आने में देर की संभावना के कारण पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन अवधि में बिनौला तेल कीमतों में सुधार दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि बिनौला खल का हाजिर भाव 4,200-4,400 रुपये क्विंटल है। किसानों की नई फसलों की आवक जब नवंबर-दिसंबर-जनवरी में होगी उसके लिए वायदा कारोबार में दिसंबर अनुबंध का भाव 3,060 रुपये क्विंटल और जनवरी अनुबंध का भाव 3,015 रुपये क्विंटल तय किया गया है। इस स्थिति में तो आगे कपास उत्पादन प्रभावित होगा। इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिये और बिनौला खल के वायदा कारोबार को बंद करने के बारे में सोचना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि गुजरात के खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन (एमडीसीए) ने बिनौला तेल के रूप में पामतेल बेचे जाने का खुलासा होने के बाद अपनी निगरानी बढ़ाने की योजना बनाई है। एमडीसीए ने त्योहारी मौसम से पहले इन गलत ब्रांड वाले पैक के नमूनों की जांच की मंशा जताई है।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 300 रुपये बढ़कर 6,600-6,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 1,225 रुपये बढ़कर 13,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 125-125 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 2,135-2,235 रुपये और 2,135-2,250 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 180-135 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 4,900-4,950 रुपये प्रति क्विंटल और 4,675-4,810 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 1,235 रुपये, 1,525 रुपये बढ़कर क्रमश: 11,850 रुपये, 11,750 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। दूसरी ओर सोयाबीन डीगम तेल का भाव 250 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी गिरावट का रुख रहा। मूंगफली तिलहन 225 रुपये की गिरावट के साथ 6,475-6,750 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 475 रुपये की गिरावट के साथ 11,750 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 2,310-2,610 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

वहीं, आयात शुल्क वृद्धि के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 1,675 रुपये की तेजी के साथ 11,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 1,500 रुपये के सुधार के साथ 12,150 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 1,350 रुपये के सुधार के साथ 11,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

नाममात्र स्टॉक के बीच मांग निकलने से बिनौला तेल 950 रुपये के सुधार के साथ 11,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सियासी मियार की रीपोर्ट