लेखापरीक्षा निकायों को निजता के उल्लंघन, सामाजिक बहिष्कार के बढ़ते जोखिमों से निपटना चाहिए: कैग..
नई दिल्ली, 25 सितंबर । भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक लेखा परीक्षा निकायों को निजता के उल्लंघन, ‘एल्गोरिदम’ संबंधी पूर्वाग्रह और सामाजिक बहिष्कार जैसे बढ़ते जोखिमों से निपटना होगा क्योंकि सरकारें सेवाएं देने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) और उभरती प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपना रही हैं।
एशियाई सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थाओं के संगठन (एएसओएसएआई) की 16वीं सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थाओं (एसएआई) की यह जिम्मेदारी है कि वे इस बात की जांच करें कि क्या ये सेवाएं सभी नागरिकों को निष्पक्ष तथा समावेशी रूप से सेवा प्रदान करती हैं? क्या ये सेवाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि कोई इससे वंचित न रहे?
उन्होंने कहा कि केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है और इसके लिए अनुकूलन तथा शमन रणनीतियों की एसएआई नीत तत्काल ‘ऑडिट’ की जरूरत है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘चाहे वैश्विक महामारी के समय की बात हो या जलवायु परिवर्तन से निपटने या सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने की बात हो, अखंडता तथा जवाबदेही को बनाए रखने में एसएआई की भूमिका पहले कभी इतनी महत्वपूर्ण नहीं रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 ने न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा वित्त की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि इसने इस बात को भी सामने लाया कि किस प्रकार दुरुपयोग चरम पर पहुंच सकता है खासकर महामारी से संबंधित व्यय में।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों (आईएसएसएआई) के अंतरराष्ट्रीय मानकों के क्रियान्वयन पर सार्वजनिक क्षेत्र के लेखा परीक्षा समुदाय का ध्यान तथा लेखा परीक्षा प्रभावशीलता को अनुकूलित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से एसएआई न केवल आज की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो रहे हैं, बल्कि कल की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है।’’
एएसओएसएआई सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थाओं के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएनटीओएसएआई) के सात क्षेत्रीय कार्य समूहों में से एक है।
सियासी मियार की रीपोर्ट