‘द नागा स्टोरी’ उपन्यास के अंग्रेजी संस्करण का प्रकाशन जल्द…
कोच्चि, 27 सितंबर । नागा साधुओं के जीवन पर आधारित वरिष्ठ पत्रकार सुमन बाजपेयी लिखित हिंदी उपन्यास ‘द नागा स्टोरी’ का अंग्रेजी संस्करण जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा।
श्री बाजपेयी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “नागा साधुओं का जीवन तपस्या से भरा होता है। रहस्य, जिज्ञासा, आश्चर्य-नागा साधुओं के बारे में जब भी बात आती है, तो कई सवाल उठते हैं। जब भी देश में कुंभ और अर्धकुंभ मेला लगता है, तो नागा साधुओं को देखा जाता है।”
उन्होंने कहा कि सदियों से नागा साधुओं को आस्था, रहस्य और आश्चर्य की दृष्टि से देखा जाता रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे लोगों के लिये आश्चर्य का विषय होते हैं, क्योंकि उनकी वेशभूषा, क्रियाकलाप और ध्यान के तरीके असामान्य होते हैं। कोई नहीं बता सकता कि वे कब प्रसन्न हो सकते हैं और कब नाराज हो सकते हैं।
नागा साधुओं के जीवन के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘नागा साधुओं के लंबे बाल और राख से ढके नग्न शरीर का बाहरी दुनिया से कोई संबंध नहीं होता। इनका जीवन उन कठिनाइयों से भरा है, जिनकी आम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। किसी गुफा में अत्यधिक अनुशासित और तपस्वी जीवन जीते हुये, ध्यान करते हुये, ये नागा साधु खुशी और गम से परे होते हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘नागा साधुओं की परम्परा नयी नहीं है। यह हजारों सालों से चली आ रही है। हमें इस परंपरा के संकेत मोहनजोदड़ों के सिक्कों और चित्रों में मिलते हैं, जहां नागा साधु पशुपति नाथ के रूप में भगवान शिव की पूजा करते हुये दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब सिकंदर और उसके सैनिक भारत आये तो उनका सामना नागा साधुओं से हुआ। इतना ही नहीं, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर भी नागा साधुओं की तपस्या और मातृभूमि के प्रति समर्पण से बहुत प्रभावित हुये थे।”
श्री बाजपेयी ने कहा, ‘‘पुस्तक में नागा साधुओं के जीवन और योद्धा पहलू को दिलचस्प तरीके से चित्रित करने का प्रयास किया गया है। मैंने उनके व्यावहारिक जीवन को उपन्यास के जरिये प्रस्तुत किया है ताकि लोग हमारी संस्कृति में उनकी मूल्यवान उपस्थिति को समझ सकें। मुझे उम्मीद है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद लोगों की उनके बारे में धारणा बदल जाएगी और उनका नाम भी इतिहास की किताबों में दर्ज हो जायेगा।”
सियासी मियार की रीपोर्ट