Wednesday , June 4 2025

पुस्तक चर्चा : नवोदय के रंग लेखक..

पुस्तक चर्चा : नवोदय के रंग लेखक..

(हाल ही में एक पुस्तक आई है नाम है “नवोदय के रंग”। इसे एनटीपीसी लिमिटेड के होनहार उप महाप्रबंधक “पुष्पेय जी” ने लिखा है। इस पुस्तक में आपने मुझे भी अपने विचार रखने का अवसर प्रदान किया है। इस अपनत्व के लिये मैं “पुष्पेय जी” का हृदय से आभारी हूँ।
इस ब्लॉग में मैं इस पुस्तक में संग्रहीत अपने विचार आपके लिए शेयर कर रहा हूँ। पुस्तक मुझे बहुत अच्छी लगी। यह सामान्य से हट कर किसी और ही मन के धरातल पर लिखी है जिसे पढ़ना आप सभी को रुचिकर लगेगा।

-मुरली मनोहर श्रीवास्तव-

नवोदिय के रंग को पढ़ना अपने भीतर शैशव से होते हुए युवा हो जाने की यात्रा के पूर्ण होने के समान है। सर्वप्रथम यह कि “नवोदय के रंग” में एक बहुत ही सहज और सरल ढंग से, एक अपने ही संसार का निर्माण करती हुई कहानियाँ हैं। इन्हें पढ़ कर अपने भीतर बाल मन में पैदा हुई जिज्ञासा, उस दौर की शरारत और उसके भोलेपन से पाठक का सहज साक्षात्कार होता चला जाता है। पुष्पेय की प्रशंसा इसलिए करनी होगी कि उन्होंने इसे बखूबी अपनी कलम से बड़ी सुंदरता और रोमांच के साथ अंजाम दिया है। इस संग्रह की सभी कहानियाँ एक ख़ास दौर और विशिष्ट धरातल पर लिखी गई हैं जिन्हें इस तरह लिख पाना कत्तई आसान नहीं है।
हम सब जब स्कूल कॉलेज के बीच धीरे धीरे गुजरते हैं तो दोस्ती, भूत, मुर्ग़ा, शराब, नशा, बैडमिंटन, दौड़, कॉमिक्स, स्कूल के पी टी सर, आस पास के लोग ख़ास कर मुच्छड़ रखे दबंग दिखते लोग, डाँट का भय, घर में शिकायत हो जाने का डर, प्रिंसिपल आदि आदि के विषय में न जाने कैसे कैसे ख़याल रखते हैं। इन सब के बीच आता है लव लेटर, ख़ैर इस कहानी में लव लेटर कहीं नहीं लिखा गया है बस उसकी झलक है जो लव होता भी है या नहीं इसका भी पता नहीं, मगर निश्चित रूप से ढेर सारी भावनाओं में कुछ न कुछ तो होता है जो उस दौर के नाम और कथानक इस तरह सजीव हो उठते हैं कि पढ़ने वाले को बांध लें। उन्हें हर कहानी अपनी सी लगे, वास्तव में इस कथा संग्रह ने नवोदय विद्यालय के मानदंड, गरिमा वहाँ के माहौल और बच्चों के विकास के माहौल का खाका बड़े ही रोचक ढंग से खींचा है। लेकिन इस से बड़ी बात यह कि सब कुछ किसी कहानी के माध्यम से कहा गया है जो बड़े ही तारतम्यता से पुष्पेय के कथा संसार का निर्माण कर देता है, एक ऐसा कथा संसार कि जिसमें पाठक ख़ुद को शामिल पाता है। यह कहानियाँ मात्र भौतिक स्तर पर कथानक न हो कर बड़ी ही गंभीरता से उस दौर के मानसिक स्तर और उस स्तर पर भावनात्मक रूप से विचारों को स्पर्श करती हैं। इन कहानियों की भाषा बड़ी ही नैसर्गिक है, अत्यंत हृदय स्पर्शी।
सच कहूँ तो यह पहली पुस्तक है जिसके विषय में मुझे कुछ भी ऐसा नहीं मिला कि मैं उसमें कुछ कमीं सामने रख सकूँ। मुझे विश्वास है कि पुष्पेय की यह पुस्तक साहित्य जगत की धरोहर बनेगी। निश्चित रूप से नवोदय या ऐसे ही विद्यालय से पढ़ कर निकले विद्यार्थी, हॉस्टल में रहे स्टूडेंट्स यहाँ तक कि हम सब भी इसे अपने संग्रह में रखना चाहेंगे, विशेष रूप से अपने ही बाल मन की नैसर्गिक अनुभूति के लिए।
मैं पुष्पेय को इतने सुंदर कहानी संग्रह को हम सब के बीच लाने के लिए बधाई देता हूँ। इसे पढ़ कर मैं कह सकता हूँ कि यह कथा संग्रह काफ़ी समय से उनकी भावना की व्यक्तिगत धरोहर होगा जिसे हम सब के बीच लाने में उन्हें बड़े ही हिम्मत और परिश्रम का सामना करना पड़ा होगा। मैं आशा करता हूँ कि नवोदय के रंग जल्द ही लोगों के बीच अपना स्थान बनाने में सफल होगी। पुष्पेय से आगे भी ऐसे ही शानदार लेखन की उम्मीद बनी रहेगी।

सियासी मियार की रीपोर्ट