कविता : अनुमान सही साबित होगा..
-अशोक-
आज फिर से इंद्रदेव ने
अपनी भृकुटी फेरी है
पिछली रात से ही भाई
बदली घिरी घनेरी है।
गर्जन-तर्जन से घबराई
शासन ने भेदी भेरी है
मौसम विभाग ने सुनाई
रेड अलर्ट की बारी है।
घर बैठो बाहर न निकलो
खतरे की गुंजाइश है
आनन-फानन में मंत्रीजी ने
रेनी डे घोषित कर दी है।
गजब हुआ सुन लो मेरे भाई
मेरी तो पीर घनेरी है
भैया, बारिश बंद हुई है तबसे
खिली धूप सुनहरी है।
खुशी का न कोई ठिकाना भाई
आज ही मिली सैलरी है
सेहत की न रही परवाह कोई
जीभ बिचारी निगोड़ी है।
पाबंदी के बाद भी हमने साईं
मौज उड़ाई संग पकौड़ी है
जब भिगन को तैयार न कोई
बदरी भी बिचक जाती है।
इंद्रदेव भी ठान लिए हैं
बिन बादल की बारिश होगी
जहाँ बारिश की उम्मीद न होगी
वहाँ बादल फटने की साजिश होगी।
तरस आता है मौसम विभाग पर
जारी किये गये हर अनुमान पर
उनके हर फरमान पर इंद्रदेव ने
बड़ी चालाकी से पानी फेर दिया है।
अब तो अनुमान लगाने का विश्वास
यकीनन पूरी तरह से हिल गया है
पर हार नहीं मानना, दरअसल
विफलता ही आधारशिला कहलाता है।
बस अब तो यही कहेंगे
भले ही आज नहीं, तो कल
पर अनुमान सही साबित होगा।
सियासी मियार की रीपोर्ट