बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन में गिरावट..
नई दिल्ली, 06 अक्टूबर। सहकारी संस्था नेफेड द्वारा सरसों की निरंतर बिकवाली करने के कारण देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर स्थानीय मांग से सोयाबीन तिलहन, ऊंचे दाम और नई फसल की बढ़ती आवक के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भी समीक्षाधीन सप्ताह में गिरावट दर्ज हुई।
दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान आयातित खाद्य तेलों की कमी और त्योहारी मांग की वजह से सोयाबीन तेल के दाम मजबूत रहे।
माल की कमी और विदेशों में दाम बढ़ने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के भाव भी मजबूत बंद हुए। पेराई मिलों द्वारा बिनौला तेल का दाम बढ़ाये जाने के कारण बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया।
बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि किये जाने के बाद बाजार में सरसों की आपूर्ति में सुधार हुआ है जिससे किसानों को फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं और तेल मिलें अच्छी तरह चल रही हैं। बीते सप्ताह नेफेड की बिकवाली और सरसों आपूर्ति में सुधार होने के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग कमजोर है और ऊंचा भाव होने के कारण निर्यात की कमजोर मांग के कारण बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट रही।
उन्होंने कहा कि नई फसल की आवक बढ़ने और ऊंचे भाव पर लिवाली प्रभावित होने से बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ का दाम पहले के 1,135-1,140 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,170-1,175 डॉलर प्रति टन हो गया। आयातित खाद्य तेलों की पहले से कमी की स्थिति और विदेशों में दाम बढ़ने के कारण बीते सप्ताह सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में मजबूती दर्ज हुई।
सूत्रों ने कहा कि किसान बाजार में कपास नरमा कम ला रहे हैं, क्योंकि बाजार में मिलावटी खल का भाव जानबूझकर कमजोर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सट्टेबाज का प्रयास होता है कि खल का भाव कमजोर रखकर किसानों से कपास नरमा को सस्ते भाव पर हड़प लिया जाये। ऐसी स्थिति में पेराई मिलें खल के भाव की गिरावट को तेल का दाम बढ़ाकर पूरा करती हैं जो बिनौला तेल कीमतों में सुधार का मुख्य कारण है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये घटकर 6,750-6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 14,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 5-5 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,190-2,290 रुपये और 2,190-2,305 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 200 रुपये और 100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,685-4,735 रुपये प्रति क्विंटल और 4,450-4,695 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसके उलट सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 100 रुपये, 150 रुपये और 200 रुपये बढ़कर क्रमश: 13,500 रुपये, 13,000 रुपये और 9,800 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।
मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट का रुख रहा। मूंगफली तिलहन 150 रुपये की गिरावट के साथ 6,300-6,575 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 375 रुपये की गिरावट के साथ 14,850 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
मांग बढ़ने और कम आपूर्ति की स्थिति के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 500 रुपये की तेजी के साथ 12,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये के सुधार के साथ 13,900 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 75 रुपये के सुधार के साथ 12,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 50 रुपये के सुधार के साथ 12,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सियासी मियार की रीपोर्ट