एफपीआई ने अक्टूबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयरों से 27,142 करोड़ रुपये निकाले…
नई दिल्ली, 07 अक्टूब। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण अक्टूबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों से 27,142 करोड़ रुपये निकाले हैं।
इससे पहले सितंबर में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई का निवेश नौ महीने के उच्चस्तर 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। अप्रैल-मई में शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे हैं।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम और ब्याज दरों की भविष्य की दिशा जैसे कारक आगे भारतीय बाजार में एफपीआई के निवेश की दिशा तय करेंगे।
आंकड़ों के अनुसार, एक से चार अक्टूबर के बीच एफपीआई ने शेयरों से शुद्ध रूप से 27,142 करोड़ रुपये निकाले हैं। दो अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहे थे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘चीन के शेयरों के बेहतर प्रदर्शन के कारण एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है। पिछले एक महीने में हैंग सेंग सूचकांक में 26 प्रतिशत की तेजी आई है और इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि चीनी शेयरों का मूल्यांकन बहुत कम है और वहां अधिकारियों द्वारा लागू किए जा रहे मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।’’
ऋण या बॉन्ड बाजार की बात करें, तो समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने सामान्य सीमा के माध्यम से 900 करोड़ निकाले हैं और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से 190 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
इस साल अबतक एफपीआई ने शेयरों में 73,468 करोड़ रुपये और ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
सियासी मियार की रीपोर्ट