Friday , December 27 2024

गरीबी में कमी और तेज विकास..

गरीबी में कमी और तेज विकास..

-डा. जयंती लाल भंडारी-12

इन दिनों पूरी दुनिया में विश्व बैंक के द्वारा हाल ही में प्रकाशित दो रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। जहां विश्व बैंक ने गरीबी अवलोकन और विकास रिपोर्ट में बताया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी में कमी आई है, वहीं भारत विकास अपडेट रिपोर्ट में कहा है कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश के बाजवूद भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आध्यात्मिक मूल्यों और धार्मिक पर्यटन से अर्थव्यवस्था को और तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने दुनिया में गरीबी संबंधी नई रिपोर्ट में कहा है कि इस समय वैश्विक आबादी के करीब 70 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी यानी 181 रुपए (करीब 2.15 डॉलर) प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन कर रहे हैं। दुनिया के कई विकासशील और उप सहारा अफ्रीकी देशों की तुलना में भारत में अत्य़धिक गरीबी में लगातार कमी आ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबों की संख्या वर्ष 1990 में 43.1 करोड़ थी। यह संख्या 2021 में 16.74 करोड़ रह गई और इस वर्ष 2024 में करीब 12.9 करोड़ भारतीय अत्यधिक गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं। जहां 17 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि दुनिया के अधिक जनसंख्या वाले अत्यधिक गरीबी से ग्रसित देशों में भारत भी शामिल है, वहीं वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या भारत के विकास के लिए चुनौती है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित दुनिया के कई आर्थिक, वित्तीय एवं जनकल्याण से जुड़े संगठनों के द्वारा जारी गरीबी से संबंधित विभिन्न रिपोर्टों में भारत में गरीबी के घटने और दुनिया में गरीबी की चुनौती बढऩे का परिदृश्य प्रस्तुत किया जा रहा है। अमरीका के प्रसिद्ध थिंक टैंक दि ब्रुकिंग्स इंस्ट्रीट्यूशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां वर्ष 2011-12 में भारत की 12.2 फीसदी आबादी अत्यधिक गरीब थी, वहीं यह वर्ष 2022-23 में घटकर महज दो फीसदी ही रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेज विकास और असमानता में कमी के चलते भारत को यह कामयाबी मिली है। वैश्विक संगठनों के द्वारा भारत में बहुआयामी गरीबी घटाने में 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त खाद्यान्न दिए जाने और उससे गरीब वर्ग की उत्पादकता बढऩे के निष्कर्ष भी दिए गए हैं। थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा है कि भारत में सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से बीते दस वर्षों में करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है और भारत वर्ष 2030 तक बहुआयामी गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने की पूरी संभावनाएं रखता है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक ओर जहां भारत गरीबी में लगातार कमी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था धीमी वैश्विक वृद्धि के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है। विश्व बैंक की रिपोर्ट भारत विकास अपडेट में जोर देकर कहा गया है कि इस समय पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के विस्तारित होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर बढ़ रहा है। चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच चीन के प्रोत्साहन उपायों के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त होगी और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

यह भी उल्लेखनीय है कि तेजी से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अब अध्यात्म और आध्यात्मिक पर्यटन की नई भूमिका दिखाई दे रही है। वस्तुत: भारत वह देश है जहां लाखों यात्री अपनी पर्यटन यात्रा के हिस्से के रूप में आध्यात्मिक तृप्ति की तलाश में आते हैं और इससे भारत के धार्मिक पर्यटन क्षेत्र को ऊंचाई मिलती है। दुनिया के जो देश अपने धार्मिक स्थलों के मद्देनजर आध्यात्मिक पर्यटन के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, वहां अर्थव्यवस्था में धार्मिक पर्यटन की अहमियत दिखाई देती है। ऐसे वैश्विक स्थलों में येरुशलम, मक्का, लूर्डेस और सैंटियागो डे कंपोस्टेला जैसे तीर्थ स्थल शामिल हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आध्यात्मिक पर्यटन में संलग्न होने से व्यक्तियों को आत्मचिंतन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आध्यात्मिक पोषण के अवसर मिलते हैं। साथ ही, इससे भ्रमण किए गए स्थलों की अर्थव्यवस्था में भी योगदान मिलता है। नि:संदेह देश की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति देने में अब सनातन, अध्यात्म और धार्मिक संस्कारों के उन्नयन की नई अहमियत दिखाई दे रही है। यह अहमियत जहां धार्मिक पर्यटन बढऩे से है, वहीं धार्मिक अनुष्ठान बढऩे से भी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बने भव्य और दिव्य राम मंदिर और श्रीराम लला की बाल स्वरूप प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश-विदेश में जो आस्था का सागर उमड़ा है, उससे सनातन की शिक्षा, धार्मिक कर्मकांड के संस्कार और ज्योतिष विज्ञान से सुसज्जित युवाओं के लिए छोटे-छोटे गांवों से लेकर बड़े शहरों और दुनिया के कोने-कोने में रह रहे प्रवासी भारतीयों के शहरों में रोजगार व आमदनी के बहुआयामी मौके बढ़ गए हैं। यही नहीं, यदि धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ के साथ ज्योतिष विज्ञान में भी महारत प्राप्त कर ली जाए तो अच्छे रोजगार की उम्मीदें और बढ़ जाती हैं। जहां लोग अपना भविष्य जानना चाहते हैं, वहीं ग्रह-नक्षत्र को शांत करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान भी कराते हैं। कुंडली मिलान से लेकर, मांगलिक कार्य, शादी ब्याह, पंचांग, राशिफल, अंकविज्ञान, कर्मकांड आदि भी इसी दायरे में आते हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि एक लंबे समय तक भारत में मंदिरों को केवल आस्था के प्रतीक के तौर पर ही देखा जाता रहा है, लेकिन अब वे आर्थिक विकास के भी घटक बन गए हैं। पिछले कई दशकों तक मंदिरों में जाने वाले अधिकांश लोग अधिक उम्र के हुआ करते थे। लेकिन स्काई स्कैन ट्रेवल्स के मुताबिक मंदिरों में जाने वाले करीब 80 फीसदी लोग 18 से 34 वर्ष समूह के हैं। पिछले कुछ वर्षों से यह रोजगार का भी बड़ा माध्यम बनकर उभर रहा है। अब इस क्षेत्र में पुजारी और पंडित बनने से लेकर आध्यात्मिक पेशेवर बनने के अवसर छलांगे लगाकर बढ़ रहे हैं। देश-विदेश में भारतीय परिवारों में विवाह व उत्सव समारोह में सनातन एवं धार्मिक रीति-रिवाजों की बढ़ती अहमियत में इस क्षेत्र में रोजगार और नई आमदनी का नया आसमान निर्मित किया है। बढ़ते मंदिरों और धार्मिक रीति-रिवाजों के परिपालन से धार्मिक पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। यदि हम विभिन्न अध्ययन रिपोर्टों को देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2030 तक, भारत के आध्यात्मिक पर्यटन का रोजगार और विदेशी मुद्रा की कमाई में अभूतपूर्व योगदान होगा। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत की नई पीढ़ी में जिस तेजी से नए दौर का कौशल प्रशिक्षण बढ़ रहा है, उसी तेजी से अध्यात्म भी बढऩे से नई पीढ़ी में काम के प्रति समर्पण बढ़ रहा है। उत्पादकता बढ़ रही है। यह सब अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने वाले घटक हैं। हम उम्मीद करें कि इस समय दुनिया में बढ़ते हुए वैश्विक संघर्ष से वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट के बावजूद भारत गरीबी में कमी करते हुए अपने आध्यात्मिक पर्यटन एवं तेजी से बढ़ते अध्यामिक मूल्यों के साथ-साथ अपनी बहुआयामी विशेषताओं के कारण मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा।

(विख्यात अर्थशास्त्री)

सियासी मियार की रीपोर्ट