महीनों के मंथन और बैठक के बाद हुआ जाति जनगणना कराने का फैसला.
-मोदी सरकार ने एक झटके में विपक्ष का मुद्दा कर दिया खत्म
नई दिल्ली,। मोदी सरकार ने जाति जनगणना का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही कई साल से चले आ रहे विपक्षी दलों का बड़ा मुद्दा खत्म हो गया। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव समेत कई दलों के नेताओं ने जाति जनगणना को मुद्दा बना रखा था। इन नेताओं का कहना था कि बीजेपी ओबीसी, एससी और एसटी विरोधी है और इसीलिए जाति जनगणना नहीं करा रही थी। अब सरकार ने जब यह फैसला ले लिया है तो उसने बढ़त बनाने की कोशिश की है। बिहार, बंगाल समेत कई राज्यों में चुनाव होने हैं। 2027 में उत्तरप्रदेश में ही चुनाव होना है। तब तक आंकड़े आएंगे और बीजेपी इसके आधार पर चुनाव में उतरना चाहेगी।
बड़ा सवाल यह है कि अब तक जाति जनगणना के सवाल पर कोई स्पष्ट रुख न अपनाने वाली बीजेपी सरकार ने अचानक कैसे यह फैसला लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी और आरएसएस के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए लंबे समय से मंथन चल रहा था, लेकिन सही वक्त का इंतजार था। बीजेपी सरकार और संघ नेतृत्व चाहते थे कि ऐसे वक्त में इसके बारे में फैसला लिया जाए, जब विपक्ष की ओर से इसका मुद्दा जोर पर न हो यानी सरकार और संघ चाहते थे कि यह संदेश न जाए कि विपक्ष के दबाव में ऐसा फैसला हुआ है।
यही वजह है कि जब सब की नजर पाकिस्तान के खिलाफ ऐक्शन पर थी तो सरकार ने चौंकाते हुए जाति जनगणना का ऐलान कर दिया। दरअसल आरएसएस ने बीते साल सितंबर की शुरुआत में ही केरल के पलक्कड़ में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जाति जनगणना का संकेतों में समर्थन किया था। संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद साफ कहा था कि हम जाति जनगणना के पक्ष में हैं, लेकिन यह ध्यान रखा जाए कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए न हो। संघ की तरफ से उनका वक्तव्य था कि जाति का विषय बेहद संवेदनशील है। ऐसे में जाति जनगणना को सामाजिक हितों को पूरा करने के लिए किया जाए, लेकिन उसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
यही नहीं संघ की राय के बाद बीजेपी भी इस राह पर आगे बढ़ती दिखी। माना जा रहा है कि इस पर आखिरी फैसला मोहन भागवत और पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक में हुआ। मंगलवार को हुई इस बैठक को लेकर कयास थे कि शायद पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऐक्शन को लेकर भागवत कुछ संदेश देने गए हैं, लेकिन जब बुधवार को सरकार ने ऐलान किया तो साफ हो गया कि यह बैठक जाति जनगणना को लेकर हुई थी। यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि संघ की कोशिश हिंदू समाज की एकता की है। ऐसे में जाति जनगणना के सवाल पर उसका आगे आना अहम है। फिलहाल सभी की नजर इस बात पर होगी कि जनगणना के आंकड़े आने के बाद राजनीति किस ओर मुड़ती है।
सियासी मियार की रीपोर्ट