संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अफगानिस्तान की सम्पत्ति पर रोक हटाने का आग्रह किया…
संयुक्त राष्ट्र, 27 जनवरी । संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बुधवार को अफगानिस्तान के लोगों के लिए मानवीय सहायता को बढ़ावा देने और देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए प्रतिबंधित नौ अरब डॉलर की सम्पत्ति पर से रोक हटाने का आग्रह किया।
गुतारेस ने सुरक्षा परिषद से कहा, ‘‘अपना कर्तव्य पूरा करने का समय आ गया है। कोई कदम नहीं उठाया गया तो कई लोगों की जिंदगी खतरे में आ जाएगी और निराशा तथा अतिवाद बढ़ेगा।’’ गुतारेस ने कहा कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में तत्काल निवेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि देश की रोकी गई राशि को जारी किया जाए, उसके सेंट्रल बैंक के साथ फिर से जुड़ना और निवेश करने के अन्य तरीके खोजना, जिसमें चिकित्सकों, शिक्षकों, सफाई कर्मचारियों, बिजली का काम करने वालों और अन्य सिविल सेवकों के वेतन का भुगतान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष जारी करना शामिल है।
चीन और रूस ने अफगानिस्तान की प्रतिबंधित सम्पत्ति पर से रोक हटाने की अपनी मांग दोहराई, जबकि अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन ‘‘ कोष की कमी से निपटने के लिए विभिन्न विकल्पों’’ पर गौर कर रहा है। ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान की सबसे अधिक मदद की है। अमेरिका ने 11 जनवरी को अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के लिए 30.8 करोड़ डॉलर की शुरुआती मदद देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान के लोगों को जिस स्तर पर मदद की जरूरत है, उसे प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बहुत अधिक समर्थन की आवश्यकता होगी।’’
अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से सहायता राशि पर निर्भर देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। तालिबान के 1996-2001 के शासन के दौरान क्रूरता और लड़कियों को शिक्षित करने तथा महिलाओं को काम करने की अनुमति देने से इनकार करने जैसे कदमों पर गौर करने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विदेश में अफगानिस्तान की सम्पत्ति पर रोक लगा दी थी।
गुतारेस ने कहा कि अफगानिस्तान के लिए विश्व बैंक के पुनर्निर्माण ट्रस्ट फंड ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और विश्व खाद्य कार्यक्रम को 28 करोड़ डॉलर हस्तांतरित किए थे। उन्होंने कहा कि शेष 12 लाख डॉलर तत्काल जारी किए जाने चाहिए ताकि अफगानिस्तान के लोग इस सर्दी के मौसम में जीवन बसर कर पाएं।
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि डेब्रोह लियोन्स ने परिषद से कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के लिए दो सप्ताह पहले 4.4 अरब डॉलर से अधिक की मानवीय सहायता मांगी थी, जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में किसी एक देश के लिए मांगी गई सर्वाधिक राशि है। उन्होंने कहा, ‘‘मोटे तौर पर यह उतनी ही राशि है, जो दानदाता सरकार के पूरे परिचालन बजट पर खर्च करते हैं। इनमें से अधिकांश राशि अमेरिका ने दी है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान के 87 लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं। गुतारेस ने कहा कि आधी से अधिक आबादी ‘‘अत्यधिक भुखमरी’’ का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘80 प्रतिशत से अधिक आबादी दूषित पेयजल पर निर्भर है और कुछ परिवार भोजन खरीदने के लिए अपने बच्चों को बेच रहे हैं।’’
परिषद ने पिछले महीने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें पुष्टि की गई थी कि अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करती है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने दावा किया कि सहायता का इस्तेमाल ‘‘एक राजनीतिक उपकरण के रूप में सौदेबाजी करने के लिए किया जा रहा है।’’
वहीं, रूस के उप राजदूत दिमित्री पॉलींस्की ने आगाह किया कि जब तक अफगानिस्तान की प्रतिबंधित सम्पत्ति को जारी करने का मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक ‘‘अफगानिस्तान के इस संकट से बाहर निकलने की कोई दीर्घकालिक संभावना नहीं है।’’
सियासी मियार की रिपोर्ट