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अक्षय ऊर्जा पर जोर के बावजूद 2030 तक कोयले की मांग 1.3 से 1.5 अरब टन रहेगी : समीक्षा…

अक्षय ऊर्जा पर जोर के बावजूद 2030 तक कोयले की मांग 1.3 से 1.5 अरब टन रहेगी : समीक्षा…

नई दिल्ली, 31 जनवरी। नीति आयोग की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के तहत अक्षय ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद कोयले की मांग मजबूत बनी रहने का अनुमान है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2021-22 में कहा गया है कि 2030 तक देश में कोयले की मांग 1.3 से 1.5 अरब टन रहेगी।

समीक्षा कहती है कि कॉर्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा कई कदम उठाए गए हैं।

वित्त वर्ष 2020-21 तक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा 56,000 हेक्टेयर जमीन को हरित ‘कवर’ के तहत लाया गया है। इससे सालाना कॉर्बन उत्सर्जन में पांच लाख टन कमी लाने में मदद मिली है।

समीक्षा में कहा गया है कि 2030 तक करीब 7.5 करोड़ पेड़ लगाकर कोयला खनन क्षेत्रों के आसपास की 30,000 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को हरित दायरे के तहत लाने का लक्ष्य है।

समीक्षा के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 31 मार्च, 2021 तक 1,496 मेगावॉट थी। अगले पांच साल में 5,560 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता और स्थापित करने का लक्ष्य है।

समीक्षा में कोयला खनन को निजी क्षेत्र के लिए खोलने को कोयला क्षेत्र के लिए सबसे महत्वाकांक्षी सुधार बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे कोयला उत्पादन में दक्षता और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, निवेश आकर्षित किया जा सकेगा और दुनिया की बेहतरीन प्रौद्योगिकी लाई जा सकेगी। इससे कोयला क्षेत्र में रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।

समीक्षा में बताया गया है कि अभी तक 28 कोयला खानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। इसमें से 27 खानें निजी क्षेत्र को दी गई हैं। 88 और खानों की नीलामी प्रक्रिया जारी है।

सियासी मियार की रिपोर्ट