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संघीय ढांचे पर ‘सर्जिकल’ हमले कर रही हैं केंद्र सरकार: तृणमूल…

संघीय ढांचे पर ‘सर्जिकल’ हमले कर रही हैं केंद्र सरकार: तृणमूल…

नई दिल्ली, 02 फरवरी तृणमूल कांग्रेस ने बेरोजगारी, काला धन, पेगासस जासूसी विवाद और कोरोना काल में कुप्रबंधन सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए बुधवार को उस पर विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ दुरुपयोग करने और संघीय व्यवस्था पर ‘‘सर्जिकल’’ हमले करने का आरोप लगाया।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ने काले धन पर संसद में श्वेत पत्र लाने की चुनौती भी दी।

उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में असली मुद्दों किनारा किया गया है और यह वर्तमान स्थिति की धुंधली तस्वीर पेश करता है।

रॉय ने विभिन्न संस्थाओं की ओर से जारी आकंड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है ओर वह विकराल रूप धारण कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रकार की स्थिति चिकित्सा प्रणाल की गयी है, जो पूरे देश ने कोरोना काल में देखी। अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। आर्थिक असमानता है। इस सरकार ने दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष देने का वादा किया था लेकिन नीति पंगुता (पॉलिसी पैरालिसिस) के चलते स्थितियां बदतर हो गई हैं।’’

रॉय ने दावा किया कि सरकार तमाम दावे कर रही है लेकिन स्थिति यह है कि भूख हो या शिक्षा या फिर स्वास्थ्य, सभी वैश्विक सूचकांकों पर देश निचले पायदान पर खड़ा है।

उन्होंने कहा कि सरकार अमृत काल का हवाला दे रही है लेकिन इसकी असलियत यह है कुछ चुनिंदा लोग अमृत पी रहे हैं और जनता को विष पीने को मजबूर किया जा रहा है।

केंद्र सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने और आईएएस (संवर्ग) नियामवली 1954 के प्रस्तावित संशोधन संबंधी फैसलों का उल्लेख करते हुए रॉय ने कहा कि विपक्ष शासित राज्य सरकारें इन फैसलों का विरोध कर रही हैं लेकिन इसके बावजूद इन एकतरफा फैसलों को उनपर थोपा जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अभूतपूर्व है और संघीय ढांचे पर सर्जिकल अटैक है।’’

तृणमूल नेता ने किसी का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग विपक्ष शासित राज्यों में ‘‘राजनीतिक कार्यकर्ता’’ की तरह बर्ताव कर रहे हैं और राज्य सरकारों के दैनिक कार्यकलापों में रोड़े अटका रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संविधान के पहले ही अनुच्छेद को भूल गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत राज्यों का संघ होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सरकार के यह फैसले देश को एकल राज्य बनाने का समर्थन करते हैं…अधिनायकवाद को मजबूती देते हैं।’’

रॉय ने निर्वाचन आयोग, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, केंद्रीय सर्तकर्ता आयोग जैसी संस्थाओं का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इनका दुरुपयोग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कर रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि आर्थिक सुधार के नाम पर सार्वजनिक उपक्रमों को बेचा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणव मुखर्जी जब वित्त मंत्री थे तब वह काले धन के खिलाफ श्वते पत्र लेकर आए थे। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उसमें हिम्मत है तो वह पूर्व राष्ट्रपति का अनुसरण करते हुए काले धन के खिलाफ श्वेत पत्र लेकर आए।

उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार में पेगासस जासूसी मामले को लेकर हुए खुलासे का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका मानना है कि वह बतौर सांसद जिस प्रकार इस सरकार को ‘‘सुपारी सरकार’’ नहीं कह सकते उसी प्रकार अमेरिकी अखबार एनवाईटी (न्यूयार्क टाइम्स) की रिपोर्ट को ‘‘सुपारी मीडिया’’ नहीं कह सकते हैं।

सियासी मीयार की रिपोर्ट