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तालिबान के कब्जे के करीब छह महीने बाद भी अफगानिस्तान की स्थिति अनिश्चित : संयुक्त राष्ट्र….

तालिबान के कब्जे के करीब छह महीने बाद भी अफगानिस्तान की स्थिति अनिश्चित : संयुक्त राष्ट्र….

संयुक्त राष्ट्र, 04 फरवरी । संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान के कब्जे के करीब छह महीने बाद भी अफगानिस्तान में स्थिति अस्थिर और अनिश्चित बनी हुई है, क्योंकि युद्ध से तबाह देश राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक और मानवीय झटके से उबरा नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बृहस्पतिवार को ‘अफगानिस्तान की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थ’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्थिरता और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बढ़ावा देने का ‘‘सर्वश्रेष्ठ तरीका’’ यह होगा कि अपने पूर्व के कृत्यों को ना दोहराते हुए तालिबान अलग-थलग पड़ने से बचे।

गुतारेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के लगभग छह महीने बाद भी अफगानिस्तान में स्थिति अस्थिर और अनिश्चित बनी हुई है, क्योंकि कई राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक और मानवीय झटकों से देश अब तक उबर नहीं पाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘तालिबान खुद को कार्यवाहक सरकार के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, अभी तक शासन ढांचे का गठन नहीं किया गया है, जो कि देश की जातीय, राजनीतिक और भौगोलिक विविधता को दर्शाए और जिसमें महिलाएं शामिल हों। संसाधनों और क्षमता की कमी के साथ-साथ विचारधारा भी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप शासन व्यवस्था की दिशा में आड़े आ रही है।’’

अमेरिकी सैनिकों की 31 अगस्त को पूर्ण वापसी के दो सप्ताह पहले ही तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। गुतारेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ‘सार्थक, लचीले और रचनात्मक जुड़ाव’’ के बिना, अफगानिस्तान में मानवीय और आर्थिक स्थिति खराब ही रहेगी।

संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल अगस्त और दिसंबर के बीच इराक में इस्लामिक स्टेट और अफगानिस्तान के 16 प्रांतों में इस्लामिक स्टेट लेवेंट-खुरासन (आईएसआईएल-के) द्वारा 150 से अधिक हमले दर्ज किए हैं, जो कि 2020 में इसी अवधि में किए गए हमलों से लगभग आठ गुना अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘19 अगस्त से 31 दिसंबर 2021 के बीच संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के 16 प्रांतों में आईएसआईएल-के द्वारा 152 हमले दर्ज किए, जबकि 2020 में इसी अवधि के दौरान पांच प्रांतों में 20 हमले हुए थे।

सियासी मियार की रिपोर्ट