ओवेसी के वाहन पर हमला, चर्चाओं का बाजार गर्म…
मेरठ, 04 फरवरी मेरठ से लौटते वक्त कल ओवैसी की गाड़ी पर फायरिंग का वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि दो हमलावर गाडी पर फायरिंग कर रहे है। उनके गोली चलाने के अंदाज़ और कार पर लगी गोलियों के निशान को लेकर लाख दावे किये जाए कि हमलावरों ने गोली कार के नीचे की तरफ मारने का प्रयास कर रहे है।
उधर, वीडियो में गोली चलाने का अंदाज़ इन दावो को खारिज करता दिखाई देता है। क्योकि हमलावर ह्युमन हाईट पर गोली चलाते दिखाई दे रहे है। हाँ इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि प्रोफेशनल अपराधी न होने के कारण अभी किये जा रहे दावो को बल मिल रहा है।
सवालो के जवाब जो आज प्रशासन तलाशने की कोशिश कर रहा है वह बेशक बे-मायने की बाते तो नही है। मगर बात तो ये भी स्पष्ट है कि टोल नाके पर हवे इस हमले ने एक बार फिर प्रदेश में नफरत की हिंसा के आरोपों को और भी बल दे दिया है। कम से कम छद्म देश भक्ति दिखाने वालो की भरमार सोशल मीडिया पर है इससे अब कोई इन्कार नही कर सकता है। नाम के आगे “हिन्दू” और “देशभक्त” लगाकर नफरतो को सोशल मीडिया पर परोस कर समाज में नफरत का ज़हर बोने वालो की हरकते एक बार फिर से सामने है। भले ही सियासत इसका लाख बचाव करे, लाख दावे किये जाए कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बड़ी ही चुस्त दुरुस्त है। मगर ये भी सच है कि इस प्रकार की घटनाए इस बात को साबित करती है कि अपराधियों में पुलिस का खौफ कितना है?
गौरतलब हो कि पश्चिमी यूपी में तेज हो चुकी चुनावी सरगर्मी के बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गुरुवार शाम करीब साढ़े पांच बजे फायरिंग की गई। घटना उस वक्त हुई जब पिलखुवा के पास छिजारसी टोल प्लाजा से उनका काफिला गुजर रहा था।हापुड़ के छिजारसी टोल पर असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गोली चलाने वाला युवक बादलपुर थाना क्षेत्र के गांव दुरियाई का रहने वाला सचिन शर्मा है। वहीं, दूसरा युवक भी सचिन का साथी है। पुलिस को हमलावरों के पास से पिस्तौल बरामद हुई है। अब सवाल ये उठता है कि उनके पास पिस्तौल आखिर आई कहा से। पुलिस आरोपियों के नाम सचिन और शुभम बता रही हैं। उन्होंने पूछताछ में बताया कि ओवैसी के नफरत भरे भाषण से वे नाराज थे, इसलिए हमला किया। सचिन ने पूछताछ में बताया कि शुभम से उसकी दोस्ती फेसबुक पर हुई। इसके बाद फोन पर बातें होने लगीं। फोन पर ही हमले की साजिश तैयार की। दोस्तों से पिस्तौल ली। हमले से पहले दोनों मिले और कार से टोल प्लाजा पर पहुंच गए।
घटना की सूचना मिलने के बाद आरोपी के घर पहुंचकर पुलिस ने परिजनों से पूछताछ भी की। बादलपुर पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि ओवैसी के बयानों से सचिन नाराज था। उसका देशभक्त सचिन हिंदू के नाम से फेसबुक प्रोफाइल है। सचिन अक्सर सांप्रदायिक बातें पोस्ट करता था। उसके कई भाजपा नेताओं के साथ फोटो भी हैं। वह नेताओं को जन्मदिन पर बधाई देने के पोस्ट भी करता है। सचिन अविवाहित है, पिता विनोद कंपनियों में श्रमिक उपलब्ध कराने का काम करते हैं।वही दूसरा युवक शुभम खेती करता है। अब आप सोचे कि मध्यवर्गीय परिवार से सम्बन्धित इन युवको के हाथो में असलहा कहा से आया। सचिन की फेसबूक प्रोफाइल पर नफरतो वाले पोस्ट को देखकर सोशल मीडिया की निगरानी करने की बात करने वाली यूपी पुलिस के इस विभाग पर भी बड़े सवाल पैदा होते है। आखिर कैसी निगरानी है ये। सचिन की एक तस्वीर उसके फेसबुक पर है जिसमे वह हाथो में तलवार लिए हुवे है। अगर सोशल मीडिया की निगरानी उत्तर प्रदेश पुलिस करती है तो इसके पहले उसने तलवार लिए हुवे तस्वीर पर क्यों नही कार्यवाही किया और तलवार को बरामद क्यों नही किया, क्योकि जानकारी ये भी निकल कर सामने आ रही है कि इस तलवार का लाइसेंस नही है। फिर क्या सिर्फ समाज में अपने नाम का डर पैदा करने के लिए “माडे कन्ने तलवार है, कट्टो तो खून निकल आवेगा” जैसे शब्दों के लिए ये तस्वीरे इस्तेमाल हो रही है।
सियासी मियार की रिपोर्ट