सोलोमन आईलैंड्स में दूतावास खोलकर चीन को टक्कर देना चाहता है अमेरिका…
वेलिंगटन, 12 फरवरी )। अमेरिका का कहना है कि वह सोलोमन आईलैंड्स में एक दूतावास खोलेगा, जिसे मोटे शब्दों में दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में चीन के ‘मजबूत होने’ से पहले अमेरिकी प्रभाव बढ़ाने की योजना कहा जा सकता है।
अमेरिकी कांग्रेस को दी गई विदेश विभाग की एक अधिसूचना में इस तर्क की व्याख्या की गयी है। यह अधिसूचना एसोसिएटेड प्रेस को प्राप्त हुई है। यह अधिसूचना ऐसे समय आई है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन प्रशांत क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिजी और अन्य देशों के राजनयिकों से मिल रहे हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि सोलोमन आईलैंड्स के वासियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के मैदान में अमेरिकियों के साथ अपने इतिहास को संजोया है, लेकिन अमेरिका को अपने तरजीही संबंधों को खोने का खतरा था, क्योंकि चीन सोलोमन आईलैंड्स में कुलीन राजनेताओं और कारोबारी लोगों से ‘‘अति महत्वाकांक्षा के साथ जुड़ना चाहता है।’’
सात लाख की आबादी वाले देश में नवंबर में हुए दंगों के बाद यह कदम उठाया गया है। शांतिपूर्ण विरोध ने दंगे का रूप ले लिया और इसने चीन के साथ देश के बढ़ते संबंधों को लेकर लंबे समय से चल रही क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता, आर्थिक समस्याओं और चिंताओं को भी उजागर किया। दंगाइयों ने इमारतों में आग लगा दी और दुकानों को लूट लिये।
अमेरिका ने इससे पहले भी सोलोमन आईलैंड्स में एक दूतावास खोला था और पांच साल तक दूतावास रखने के बाद 1993 में बंद कर दिया था। तब से, पड़ोसी पापुआ न्यू गिनी के अमेरिकी राजनयिकों को सोलोमन से मान्यता प्राप्त है।
दूतावास खोलने की शुक्रवार को की गयी घोषणा हिन्द-प्रशांत के लिए बाइडन प्रशासन की नई रणनीति के अनुरूप है, और चीन के बढ़ते प्रभाव और महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र में सहयोगियों के साथ साझेदारी बनाने पर जोर देती है।
सियासी मियार की रिपोर्ट