सपा प्रत्याशी ने योगी के खिलाफ लड़ाई में भाजपा नेताओं से मांगा आशीर्वाद…
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), 17 फरवरी । गोरखपुर में चुनावी परिदृश्य ने उस समय दिलचस्प मोड़ ले लिया, जब समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार शुभावती शुक्ला की केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के पैर छूने की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई।
इसी तरह की एक अन्य तस्वीर में, शुभावती शुक्ला पूर्व भाजपा सांसद और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मणि त्रिपाठी का गोरखपुर में अपने सिविल लाइंस आवास पर आशीर्वाद लेती दिख रही हैं।
भाजपा के दोनों नेताओं को स्थानीय राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता है।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
सपा उम्मीदवार भाजपा नेता दिवंगत उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं, जो मुख्यमंत्री के जाने माने प्रतिद्वंद्वी हैं।
शुभावती और उनके दो बेटे हाल ही में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और भाजपा पर उनके पति के निधन के बाद उनकी परवाह नहीं करने का आरोप लगाया।
राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला को पूर्वांचल में एक प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरे के रूप में देखा जाता है। वह 1989, 1991, 1993 और 1996 में गोरखपुर से विधायक थे, लेकिन 2002 में, राधा मोहन दास अग्रवाल ने उन्हें योगी के समर्थन और समर्थन से हिंदू महासभा के टिकट पर हरा दिया था।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, भाजपा को गोरखपुर शहरी सीट पर ब्राह्मणों के समर्थन की आवश्यकता है, जिसमें 19 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। सपा उम्मीदवार स्पष्ट रूप से यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि उसे एक ऐसी भूमि में ब्राह्मण नेताओं का समर्थन प्राप्त है, जो अपनी प्रसिद्ध ठाकुर-ब्राह्मण शत्रुता के लिए जानी जाती है। योगी आदित्यनाथ एक ठाकुर हैं और उन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें ठाकुर समुदाय से होने पर गर्व है।
हालांकि गोरखपुर में चुनाव के नतीजे को लेकर कोई आश्चर्य नहीं है, लेकिन शुभावती शुक्ला भाजपा के भीतर सबसे ज्यादा फूट डालने की कोशिश कर रही हैं।
यहां यह बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार में ब्राह्मणों को किनारे कर दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा, शुभवती के रणनीतिकार उनसे स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। एक तस्वीर शब्दों से ज्यादा बयां करती है और उन्होंने यही किया है। सपा उम्मीदवार के लिए तस्वीर भले ही ज्यादा न बदले लेकिन इससे मुख्यमंत्री को जरूर शमिर्ंदगी उठानी पड़ी है।
सियासी मियार की रिपोर्ट