वित्तीय समावेश:ग्रामीण इलाकों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रहा है पेवर्ल्ड…
नयी दिल्ली, 03 मार्च एक तरफ जब देश के शहरी क्षेत्र में ग्राहक छूट, कैशबैक, वाउचर और कूपन कोड जैसे डिजिटल लेनदेन का लाभ उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ देश के ग्रामीण इलाकों के लोग अब भी बैंक खाता खोलने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। देश में ग्रामीण-शहरी विभाजन एक राष्ट्रव्यापी चुनौती पेश कर रहा है। कई संगठन अपने समग्र और सर्वांगीण विकास के लिये ग्रामीण भारत में प्रवेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं लेकिन फिर भी इन क्षेत्रों में डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन को लंबा रास्ता तय करना है।
इसी प्रयास के तहत सुगल और दमानी समूह की पहल पेवर्ल्ड इस विभाजन को पाटने और कई मुद्दों पर कनेक्टिविटी स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है।
पेवल्र्ड ग्रामीण भारत को अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से विभिन्न वित्तीय सेवायें प्रदान करता है। कंपनी के रिटेल आउटलेट घरेलू धन हस्तांतरण, आधार सक्षम भुगतान, माइक्रो एटीएम सेवायें, माइक्रो बीमा और ऋण जैसी वित्तीय सेवायें प्रदान करने में ग्रामीण आबादी की सहायता करते हैं। एटीएम की अवधारणा के समान, पेवल्र्ड गांव के लोगों को पास के पेवल्र्ड खुदरा विक्रेताओं से डीबीटी के रूप में प्राप्त धन को निकालने के लिये आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) या एमएटीएम का उपयोग करने की अनुमति देता है।
पेवल्र्ड के सीओओ प्रवीण धाभाई ने बताया कि पेवल्र्ड यह सुनिश्चित करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है कि ग्रामीण भारत के वित्तीय समावेशन की सरकारी योजना अच्छी तरह से क्रियान्वित हो।
वर्ष 2020 तक भारत की 54 प्रतिशत आबादी के पास स्मार्टफोन है और ये लोग धीरे-धीरे क्यूआर कोड या यूपीआई का उपयोग करके भुगतान करना सीख रहे हैं, लेकिन वित्तीय लेनदेन जैसे टिकट बुक करना, नेट बैंकिंग, बीमा खरीदना और निवेश करना इनके लिये अब भी दूर की कौड़ी है। ग्रामीण भारत में अब भी इस तरह के वित्तीय लेनदेन के लिये सहायता की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में पेवल्र्ड का रिटेलर नेटवर्क, जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में फैला हुआ है, वह लोगों को पेवल्र्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपरोक्त सभी वित्तीय सेवायें प्रदान करने में मदद करता है।
इसके अतिरिक्त पेवल्र्ड कई बैंकों, दूरसंचार कंपनियों, बीमा और ऋण देने वाली कंपनियों की पसंदीदा कंपनी है, जो उन्हें एक सर्वव्यापी प्रारूप में बड़े उपभोक्ता आधार तक पहुंच प्रदान करती है।
कंपनी की पहल, पेवल्र्ड मनी केंद्रीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई-अनुमोदित पीपीआई (प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट-डिजिटल / मोबाइल वॉलेट) है और इसका उपयोग घरेलू धन प्रेषण प्रदान करने के लिये किया जा रहा है। यह रुपे कार्ड, एनईटीसी फास्टटैग और अन्य सेवाओं की पेशकश करने की अनुमति देने की योजना बना रहा है।
इसके अलावा, पेवल्र्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 78 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 22 प्रतिशत खुदरा विक्रेता हैं, जो भारत के सतत और सर्वांगीण विकास के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ग्रामीण और शहरी विभाजन को कम करने के लिये पेवल्र्ड की विभिन्न पहल ग्रामीण आबादी को फिजिटल तरीके से वित्तीय सेवायें प्रदान कर रही है। खुदरा विक्रेताओं को लेनदेन करने में सहायता देने के लिये उनके लिये मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करके, सर्वश्रेष्ठ तकनीक का उपयोग करके , डाटा एनालिटिक्स का उपयोग करके, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को सेवायें प्रदान करने के लिये एआई-सक्षम बॉट, इच्छुक उपभोक्ताओं को डिजिटल वॉलेट खाते खोलने और परेशानी मुक्त ऑनलाइन ई-कॉमर्स लेनदेन के लिये ऑनलाइन भुगतान करने में सहायता करता है।
पेवल्र्ड, सुगल एंड दमानी समूह का हिस्सा है, जो फिनटेक/फाइनेंशियल सर्विसेज के अलावा टेक्नोलॉजी, रियल एस्टेट और गेमिंग में मौजूद दो अरब डॉलर का समूह है। सुगल और दमानी समूह को इसके निदेशक प्रसन जैन, नितेश दमानी और मितुल दमानी द्वारा संचालित किया जाता है।
वर्ष 2006 में अपने परिचालन की शुरूआत करते हुये पेवल्र्ड ने देश के 630 जिलों और 28 राज्यों में 5,00,000 से अधिक सक्रिय रिटेल केंद्र के साथ भारत में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज की है, जो सेवा प्रदाताओं को नये बाजार तक पहुंच प्रदान करता है। पेवल्र्ड मेकिंग लाइफ सिंपल के व्यापार दर्शन पर आधारित है, जो अपने अनोखे इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन प्रसंस्करण मंच द्वारा अभिनव समाधान पेश करता है, जहां एक उपभोक्ता नकद भुगतान करके खुदरा केंद्र पर जाकर वित्तीय लेनदेन कर सकता है। ये रिटेल पॉइंट पेवल्र्ड के प्लेटफॉर्म और एप्लिकेशन का उपयोग करते हैं जो एंड्रॉइड का उपयोग करते हुए डेस्कटॉप, लैपटॉप और मोबाइल फोन पर चलता है।
सियासी मियार की रिपोर्ट