फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो की सदस्यता मांगी, तुर्की को ऐतराज़...
स्टॉकहोम (स्वीडन), 17 मई । तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड के उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल किए जाने के आग्रह का विरोध किया है। स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने सोमवार को घोषणा की कि यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर स्वीडन भी फिनलैंड की तरह नाटो की सदस्यता की गुजारिश करेगा।
तुर्की खुद नाटो का अहम सदस्य है और उसका कहना है कि इन दोनों देशों को नाटो में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने कुर्दिश उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में बहुत उदासीनता दिखाई थी। बता दें कि कोई भी देश नाटो में तभी शामिल हो सकता है जब सभी मौजूदा सदस्य सहमत हों।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सोमवार को स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल किए जाने के आग्रह पर आपत्ति जताते हुए दोनों देशों पर आरोप लगाया कि उन्होंने कुर्दिश उग्रवादियों और अन्य उन समूहों पर ‘स्पष्ट’ रूख अख्तियार नहीं किया जिन्हें तुर्की आतंकवादी मानता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने तुर्की पर सैन्य प्रतिबंध लगाए। एर्दोआन ने यह भी आरोप लगाया कि दोनों देशों ने तुर्की में वांछित आतंकवादियों को प्रत्यर्पित करने से भी इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके लिए ‘हां’ नहीं कह सकते हैं जिन्होंने नाटो में शामिल होने पर तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हैं।”
स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने राजधानी में सांसदों को संबोधित करते हुए इसे ‘‘अपने देश की सुरक्षा नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव’’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम नाटो को सूचित करेंगे कि हम गठबंधन का सदस्य बनना चाहते हैं। स्वीडन को औपचारिक सुरक्षा गारंटी की आवश्यकता है जो नाटो में सदस्यता के साथ आती है।’’ यह ऐतिहासिक बदलाव, इस नॉर्डिक देश (स्वीडन) में 200 से अधिक वर्षों के सैन्य गुटनिरपेक्षता के बाद आया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि रूस को नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने वाले स्वीडन या फ़िनलैंड से ‘‘कोई दिक्कत नहीं है’’ लेकिन देशों में किसी भी सैन्य विस्तार पर उसकी प्रतिक्रिया आएगी।
सियासी मियार की रिपोर्ट