उत्पादकता की दृष्टि से बिहार उत्तम : कृषि मंत्री तोमर..
नई दिल्ली/सबौर (बिहार), 18 जून । कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि आज कृषि में प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग करने, किसानों को महंगी फसलों की ओर आकर्षित करने, खेती की लागत कम करने, किसानों को उनकी उपज के वाजिब दाम दिलाने, उर्वरक पर निर्भरता कम करने, सिंचाई में बिजली और पानी बचाने और उत्पादकता बढ़ाने की दृष्टि से काम करने की आवश्यकता है।
श्री तोमर ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का वर्चुअल शुभारंभ करते हुए कहा कि कृषि उत्पादकता की दृष्टि से भी बिहार उत्तम है और यहां अनेक फसल किस्में यहां ईजाद की गई हैं, जिनसे प्रदेश को तो प्रतिफल मिल ही रहा है, देश की कृषि विकास में भी योगदान हो रहा है। उन्होंने पोषक तत्वों के प्रबंधन को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इस संबंध में ऐसी संगोष्ठी से निश्चय ही लाभ होगा।
इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार कृषि को बढ़ावा देने पर विभिन्न योजनाओं-कार्यक्रमों के माध्यम से काम कर रही है, जिनसे कृषि क्षेत्र के हालात में बदलाव आ रहा है, साथ ही किसानों की आय बढ़ रही है। बीते आठ साल के दौरान देश में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ है। कृषि को टिकाऊ बनाते हुए विद्यमान चुनौतियों का प्राथमिकता से समाधान किया जा रहा है।
‘सतत कृषि के लिए पोषक तत्व प्रबंधन रणनीतियों में हालिया विकासः भारतीय संदर्भ’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में श्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को आय सहायता देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से अभी तक साढ़े 11 करोड़ किसानों के बैंक खातों में दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि जमा कराई जा चुकी है। यह दुनिया में मोदी सरकार का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। एक लाख करोड़ के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक के विशेष पैकेजों से कृषि क्षेत्र में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार की किसान हितैषी नीतियों तथा किसानों एवं वैज्ञानिकों की मेहनत-कुशलता का परिणाम है कि आज कृषि उत्पादों की दृष्टि से भारत एक संपन्न राष्ट्र है और प्रतिकूल समय में भी भारत ने अन्य देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है। अधिकांश कृषि उत्पादों के उत्पादन की दृष्टि से आज विश्व में भारत पहले या दूसरे क्रम पर है, वहीं देश से पौने चार लाख करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ है, जो अपने-आप में एक कीर्तिमान है।
बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि भविष्य में खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से मिट्टी को बचाना आवश्यक है, वहीं खेती में रासायनिक खाद के बजाय अन्य विकल अपनाना होंगे। प्राकृतिक और जैविक खाद का उत्पादन करने के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की पहल पर बिहार ने भी कदम बढ़ाए हैं। इसके साथ ही सरकार की योजनाओं से किसानों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह उत्साहजनक है कि देश-विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान भी भारत में खेती करने की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन एवं प्रबंधन) डॉ. ए.के. सिंह उपस्थित थे। प्रारंभ में कुलपति डॉ अरुण कुमार ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन पेश किया। निदेशक (कृषि अनुसंधान) डॉ पी.के. सिंह ने स्वागत भाषण दिया। सेमिनार में 250 से अधिक वैज्ञानिक, शोधार्थी और शिक्षक शामिल हुए हैं। सेमिनार के निष्कर्षों पर रिपोर्ट तैयार करके विश्वविद्यालय द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को दी जाएगी। रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर विश्वविद्यालय द्वारा टिकाऊ खेती की दिशा में की जा रही पहल को और गति देने के लिए समुचित कदम उठाए जाएंगे।
सियासी मियार की रिपोर्ट