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खनकती आवाज से श्रोताओं को दीवाना बनाया भूपिंदर सिंह ने.

खनकती आवाज से श्रोताओं को दीवाना बनाया भूपिंदर सिंह ने.

मुंबई, 19 जुलाई । बॉलीवुड में अपनी खनकती आवाज की कशिश से श्रोताओं को मदहोश करने वाले भूपिंदर सिंह को बचपन के दिनों में संगीत से नफरत हो गयी थी। भूपेंद्र सिंह का जन्म छह फरवरी 1940 को अमृतसर के पंजाब में हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाब के मशहूर संगीतकारों में शुमार थे और वह अमृतसर के खालसा कॉलेज में संगीत के प्रोफेसर थे। उन्हें गिटार सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद के तौर पर जाना जाता था। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपिन्दर को संगीत से नफरत सी हो गयी थी। भूपिंदर सिंह का परिवार बाद में दिल्ली आ गया था।

भूपिंदर ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली में बतौर गिटारिस्ट काम करते थे, यहीं से उनका करियर शुरू हुआ था। वह दूरदर्शन के लिए भी संगीत देते थे। ऑल इंडिया रेडियो में प्रोड्यूसर सतीश भाटिया ने एक डिनर पार्टी आयोजित की थी, जिसमें संगीतकार मदन मोहन पहुंचे। इस पार्टी में भूपिंदर सिंह ने गाना गाया। भूपिंदर की आवाज से मदन मोहन इतने प्रभावित हुए कि मुंबई आने का न्योता दे डाला।

मदन मोहन उस समय चेतन आनंद की क्लासिक फिल्म हकीकत का संगीत बना रहे थे। उन्होंने भूपिंदर सिंह को ‘होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा’ गाना गाने का मौका दिया। भूपिंदर को मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों के साथ गाने का अवसर मिला। इसके बाद संगीतकार खय्याम ने उन्हें आखिरी खत फिल्म में सोलो गाने का मौका दिया । इसके बाद भूपिंदर सिंह बतौर गायक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।

भूपिंदर सिंह ने अपनी गजलों का पहला संग्रह 1968 में रिलीज किया था। इस एलपी में तीन गजलें थीं, जिन्हें उन्होंने खुद कम्पोज किया था। उन्हें गजलों में स्पेनिश गिटार, बास और ड्रम्स के इस्तेमाल की शुरुआत करने का श्रेय भी दिया जाता है। 1980 में उन्होंने सिंगर मिताली मुखर्जी से शादी की थी। इसके बाद दोनों ने गजल और लाइव परफॉर्मेंस साथ में देना शुरू किया। भूपिंदर सिंह ने खुद की लिखी गजलों में नया प्रयोग किया और ड्रम और स्पेनिश गिटार की धुन पर उन्हें पेश किया। भूपेन्द्र सिंह ने मौसम, ऐतबार, परिचय, किनारा, घरौंदा, मासूम, बाजार, सत्ते पे सत्ता, अहिस्ता अहिस्ता, दूरियां, हकीकत समेत कई फिल्मों के लिये हिट गाने गाये।

सियासी मीयार की रिपोर्ट