स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’ वायु सेना के बेड़े में शामिल..
जोधपुर, 03 अक्टूबर । देश में ही बना पहला बहुउद्देशीय हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर (एलसीएच) सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में वायु सेना के बेड़े में शामिल हो गया। यहां वायु सेना स्टेशन में आयोजित समारोह में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने रक्षा मंत्री को एलसीएच की पारंपरिक चाबी सौंपी जिसे बाद में रक्षा मंत्री ने वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी को प्रदान किया। इसके साथ यह हेलिकॉप्टर वायु सेना के हेलिकॉप्टर बेड़े में शामिल हो गया। इस मौके पर देश के दूसरे प्रमुख रक्षा अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत) भी मौजूद रहे।
एलसीएच को बेड़े में शामिल किये जाने से पहले एक सर्वधर्म प्रार्थना भी की गयी। एलसीएच को बेड़े में शामिल किये जाने के बाद रक्षा मंत्री ने इसका नामकरण करते हुए इसे ‘प्रचंड’ नाम दिया। अब से इस हेलिकॉप्टर को प्रचंड के नाम से जाना जायेगा। प्रचंड को बेड़े में शामिल किये जाने के बाद पानी की बौछारों ‘वाटर केनन’ से इसे पारंपरिक सलामी दी गयी। अत्याधुनिक मिसाइलों तथा राकेटों से लैस प्रचंड दुश्मन के छक्के छुड़ाने तथा उसे नेस्तानाबूद करने में पूरी तरह सक्षम है। इसे वायु सेना की 143 हेलिकॉप्टर यूनिट में शामिल किया गया है। अभी तक वायु सेना विदेशी लड़ाकू हेलिकाप्टरों का इस्तेमाल करती आ रही थी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने गत मार्च में ही 15 एलसीएच की खरीद को मंजूरी दी थी।
इस मौके पर श्री सिंह ने कहा कि सरकार राष्ट्र की रक्षा को सबसे पहला कर्तव्य मानती है और इसके लिए वह हर संभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “राष्ट्र की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इसे सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ, कि आने वाले समय में जल्द ही, दुनिया में सैन्य शक्ति समेत जब भी सुपर पॉवर की बात होगी, तो भारत सबसे पहले गिना जाएगा।” उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत बनाए रखने के क्रम में हमारा यह हमेशा प्रयास रहता है, कि हमारी सशस्त्र सेना बेहतरीन उपकरणों और ‘प्लेटफॉर्म ’से सुसज्जित रहें। दुनिया में भू राजनीतिक परिदृश्य कैसा भी हो, पर राष्ट्रीय सुरक्षा को हमेशा चौकस रखना हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।”
श्री सिंह ने कहा कि प्रचंड का वायु सेना में शामिल होने से जहां वायु सेना की ताकत बढेगी वहीं यह रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी एक बड़ा कदम है। साथ ही यह वायु सेना को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना बनाने के संकल्प को भी प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर अब तक भारत की संप्रभुता को सुरक्षित रखने में वायु सेना की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान इस तरह के हेलिकॉप्टरों की जरूरत को गंभीरतापूर्वक अनुभव किया गया। तब से लेकर अब तक, यानी दो दशकों के, देश में हुए अनुसंधान एवं विकास का ही परिणाम यह हेलिकॉप्टर है।
उन्होंने कहा कि प्रचंड का डिजायन और विकास आधुनिक युद्ध की जरूरतों के अनुरूप किया गया है। विकास के विभिन्न चरणों में यह तमाम चुनौतियों से निपटने में सफल रहा है। उन्होंने कहा, “एलसीएच दुश्मनों को चकमा देते हुए, विभिन्न प्रकार के हथियारों को ले जाने और शीघ्रता से यथास्थान पर पहुंचाने में सक्षम है। यह विभिन्न तरह की जगहों में हमारी सेना की जरूरतों पर पूरी तरह खरा उतरता है और एक आदर्श प्लेटफार्म है।” इस मौके पर एलसीएच और सुखोई लड़ाकू विमानों ने फ्लाई पास्ट किया।
एचएल से आज मिले 04 हेलीकॉप्टर
पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन ‘थनुष’ राजस्थान के जोधपुर में आज से शुरू की गई है। एचएल से आज मिले चार हेलीकॉप्टर इस पहली स्क्वाड्रन में तैनात किए गए हैं। अब इसके बाद पाकिस्तान के साथ-साथ चीन सीमा की भी निगरानी करना ज्यादा आसान और सुरक्षित हो जाएगा। साथ ही आतंकियों और घुसपैठियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। भारतीय वायुसेना को एचएएल से मिलने वाले अन्य लड़ाकू हेलीकॉप्टर इसी स्क्वाड्रन में शामिल किए जाएंगे। इस हेलीकॉप्टर को चीन की सीमा पर भी तैनात किए जाने की योजना है।
सबसे पहले एलसीएच की सर्वधर्म पूजा
स्वदेशी हल्का अटैक हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने के कार्यक्रम की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नए एलसीएच की सर्वधर्म पूजा करके की। इसके बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सीएमडी सीबी अनंतकृष्णनन ने एलसीएच की चाबी के गुच्छा रक्षामंत्री को सौंपा। राजनाथ सिंह ने एयर चीफ वीआर चौधरी को इसे सौंपने के साथ ही स्वदेशी हल्के अटैक हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने की औपचारिकता पूरी की। इस मौके पर परंपरा के अनुसार एलसीएच को ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ दिया गया। रक्षामंत्री ने 143 यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर के साथ 15 मिनट उड़ान भरी और एलसीएच के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई।
जोधपुर में एलसीएच की यह पहली स्क्वाड्रन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व’ के मौके पर पिछले साल 19 नवम्बर को भारतीय वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी को हल्के वजन वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा था। देश के सबसे बड़े और ताकतवर जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर स्वदेशी अटैकर हेलीकॉप्टर की तैनाती होने से पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और ज्यादा मजबूत होगी। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की जोधपुर में तैनात एलसीएच एयरफोर्स वर्जन की यह पहली स्क्वाड्रन है। एलसीएच में प्रभावी लड़ाकू भूमिकाओं के लिए उन्नत तकनीकों और साइलेंट फीचर को शामिल किया गया है।
पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर होगी नजर
एयरफोर्स डे पर 8 अक्टूबर को 10 हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से वायुसेना को मिलेंगे। एचएएल से पहले बैच में मिलने वाले दस एलसीएच इसी स्क्वाड्रन में शामिल किए जाएंगे। यह हेलीकॉप्टर पाकिस्तान के साथ-साथ चीन बॉर्डर पर भी नजर रखेंगे। हालांकि औपचारिक तौर पर आज वायुसेना में शामिल होने से पहले ही दो एलसीएच हेलीकॉप्टर पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किए जा चुके हैं। इसे दुश्मन की वायु रक्षा, काउंटर विद्रोह, खोज और बचाव, टैंक विरोधी, काउंटर सर्फेस फोर्स ऑपरेशंस इत्यादि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
भारतीय सेना पहले ही बेड़े में कर चुकी है शामिल
इससे पहले 29 सितम्बर को भारतीय सेना में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है। पहला एलसीएच औपचारिक रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक को सौंपा। सेना ने एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन एक जून को बेंगलुरु में बनाई थी। इस स्क्वाड्रन को अगले साल और बढ़ाया जाएगा, ताकि एलएसी पर चीन की गतिविधियों पर नजर रखकर उसकी हरकतों पर विराम लगाया जा सके। सेना के मुताबिक वो अभी 95 एलसीएच और खरीदेगी। इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी जिनमें से सात पहाड़ी इलाकों पर होंगी, क्योंकि ये हेलीकॉप्टर सियाचिन की चोटी पर भी लैंड कर सकता है।
कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी जरूरत
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ध्रुव हेलीकॉप्टर का विकसित रूप है। पहली बार 199 कारगिल युद्ध के दौरान इस तरह के अटैकर हेलीकॉप्टर की कमी महसूस हुई थी। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की रफ्तार अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसकी रेंज 550 किलोमीटर है। यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है। अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 20 एमएम की गन होती है, जो हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला कर सकती है। इसके अलावा इसमें चार हार्ड प्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम एक साथ लगाए जा सकते हैं।
हेलीकॉप्टर में लगा है रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम
इस हेलीकॉप्टर ने ट्रायल्स के दौरान सियाचिन, रेगिस्तान, जंगल या फिर 13-15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ों पर उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था। इस हेलीकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इस पर हमला कर सकता है, क्योंकि ये सिस्टम इस हेलीकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं। इसके अलावा इसमें रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है। साथ ही शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके।
सियासी मीयर की रिपोर्ट