धातु एवं खनन कंपनियों को दूसरी तिमाही में तगड़ा झटका.
मुंबई, 05 नवंबर । चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर 2022 की अवधि में खनन एवं धातु कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन को तगड़ा झटका लगा। तिमाही के दौरान सूचीबद्ध धातु एवं खनन कंपनियों का एकीकृत शुद्ध लाभ 91.4 फीसदी घटकर 2,139.3 करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 24,738 करोड़ रुपये रहा था। परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के दौरान कॉरपोरेट आय में धातु एवं खनन कंपनियों का योगदान सबसे कम रहा जबकि वित्त वर्ष 2022 में उनका योगदान सबसे अधिक रहा था।
वित्त वर्ष 2022 में गैर-वितीय कंपनियों की श्रेणी में तेल एवं गैस कंपनियों के बाद टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, वेदांत, हिंडाल्को और कोल इंडिया जैसी धातु एवं खनन कंपनियां सबसे अधिक लाभप्रद रही थीं। वित्त वर्ष 2022 में इन कंपनियों ने एकीकृत आय में सालाना आधार पर 125 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी।
इसके विपरीत वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में जेएसडब्ल्यू और टाटा स्टील जैसी शीर्ष इस्पात कंपनियों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। उदाहरण के लिए, जेएसडब्ल्यू ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1,396 करोड़ रुपये का समायोजित शुद्ध घाटा दर्ज किया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उसने 7,170 करोड़ रुपये का समायोजित शुद्ध लाभ दर्ज किया था। टाटा स्टील के समेकित शुद्ध लाभ भी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 87 फीसदी घटकर 1,524 करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 11,503 करोड़ रुपये रहा था।
दूसरी तिमाही के दौरान धातु एवं खनन कंपनियों की आय को मार्जिन में गिरावट का झटका लगा। तिमाही के दौरान परिचालन खर्च बढ़ने से बिक्री पर प्राप्तियां कम होने लगी थीं। तिमाही के दौरान उद्योग का एबिटा यानी परिचालन मार्जिन 50 फीसदी से अधिक गिरावट के साथ 12.1 फीसदी रह गया जो एक साल पहले की समान तिमाही में 29.7 फीसदी रहा था। दूसरी तिमाही के दौरान उद्योग का मार्जिन पिछले पांच वर्षों में सबसे कम रहा। वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही इसका अपवाद है क्योंकि उस दौरान अर्थव्यवस्था कोविड-19 लॉकडाउन में थी।
मुख्य तौर पर कच्चे माल एवं बिजली व ईंधन लागत सहित विनिर्माण खर्च में भारी वृद्धि से मार्जिन पर दबाव बढ़ गया। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में धातु एवं खनन कंपनियों का कच्चे माल मद में खर्च सालाना आधार पर 49.6 फीसदी बढ़ गया। इसके मुकाबले बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 32 कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में महज 12.3 फीसदी की वृद्धि हुई जो पिछली आठ तिमाहियों की सबसे कमजोर रफ्तार है।
तिमाही के दौरान इन कंपनियों के प्रत्येक 100 रुपये में से करीब 48 रुपये कच्चे माल मद में खर्च हुए जो एक साल पहले की समान अवधि में मुकाबले 36 फीसदी अधिक है। साथ ही यह पिछले पांच वर्षों का सर्वाधिक आंकड़ा है। इसी प्रकार सितंबर 2023 तिमाही में बिजली एवं ईंधन खर्च शुद्ध बिक्री के 8.8 फीसदी पर पहुंच गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 5.3 फीसदी रहा था।
हालांकि उद्योग ने इस दौरान वेतन मद में बचत की लेकिन वह अन्य परिचालन खर्च में हुई भारी वृद्धि से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थी। तिमाही के दौरान वेतन मद में इन कंपनियों का एकीकृत खर्च 3 फीसदी घट गया।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने एक नोट में लिखा है, ‘वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में टाटा स्टील को निर्यात शुल्क लगाए जाने के बाद इस्पात कीमतों में गिरावट का झटका लगा। इस्पात एएसपी में गिरावट की झलक एबिटा में भी दिखी क्योंकि अन्य खर्च एवं कच्चे माल में तेजी के कारण अधिक मात्रात्मक बिक्री से हुए फायदे का प्रभाव नहीं दिखा।’ विश्लेषकों का मानना है कि निकट से मध्यावधि में धातु एवं खनन उद्योग की आय पर दबाव बरकरार रहने के आसार हैं।
सियासी मियार की रिपोर्ट