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हिमाचल के मुख्यमंत्री ने भारत के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी के परिवार से मुलाकात की..

हिमाचल के मुख्यमंत्री ने भारत के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी के परिवार से मुलाकात की..

किन्नौर (हिमाचल प्रदेश), । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को भारत के प्रथम मतदाता श्याम सरण नेगी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और कहा कि वह सभी के लिए प्रेरणास्रोत थे। नेगी का शनिवार को यहां कालपा में उनके घर पर 106 साल की आयु में निधन हो गया था।

मुख्यमंत्री ने नेगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘आज हमें नेगीजी की कमी बहुत खल रही है। कोई भी चुनाव हो, पंचायत का हो, विधानसभा का हो या लोकसभा का। वह हमेशा मतदान केंद्र पर आकर वोट डालते थे और सभी को प्रेरित करते थे।’’

नेगी का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने इससे तीन दिन पहले ही 34वीं बार मतदान किया था। वह निर्वाचन आयोग के ब्रांड एंबेसडर रहे और उन्होंने दो नवंबर को डाक मतपत्र के माध्यम से हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1951 में युवा नेगी ने कालपा में वोट डालकर भारत का पहला मतदाता बनकर इतिहास रचा था।

स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव 1951 में हुआ था। चीनी, जिसे मौजूदा समय में कालपा कहा जाता है, में राज्य के अन्य हिस्सों से पहले मतदान हुआ था क्योंकि अन्य ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात की आशंका थी। नेगी वोट डालने वाले पहले व्यक्ति थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मंडी जिले के सुंदरनगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नेगी के निधन पर दुख जताया था।

मोदी ने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले ही नेगी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए डाक मतपत्र से वोट डाला था। उनके निधन से पहले भी उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया।’’

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार भी पिछले सप्ताह नेगी के आवास पर गये और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

विपक्षी दलों ने नोटबंदी को ‘आर्थिक नरसंहार’ करार दिया

नई दिल्ली, 08 नवंबर (वेब वार्ता)। विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार द्वारा 2016 में की गयी नोटबंदी को ‘आर्थिक नरसंहार और आपराधिक कृत्य’ करार दिया है। सरकार ने 2016 में आज ही के दिन उच्च मूल्य के करेंसी नोटों को चलन से बाहर कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। इस फैसले का मुख्य मकसद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन पर अंकुश लगाना तथा आतंकवाद के वित्तपोषण को खत्म करना था।

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह कदम एक ‘नौटंकी’ था। उन्होंने एक ट्वीट में कहा: ‘6 साल पहले, आज ही के दिन। एक नौटंकी जो आर्थिक नरसंहार साबित हुई। इस बारे में मैंने 2017 में मेरी किताब इनसाइड पार्लियामेंट में लिखा था।’’

ब्रायन ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने फैसले को वापस लेने को कहा था।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह ‘सभी अच्छी समझ, सबूत और सलाह के विरुद्ध, नोटबंदी के आपराधिक कृत्य पर अपना ढोल पीट रही है।’

येचुरी ने ट्वीट किया ‘मोदी और उनकी सरकार के दर्प के छह साल,

भारतीय अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया। नोटबंदी के परिणामस्वरूप अराजकता के अलावा रिकॉर्ड उच्च मात्रा में नकदी का चलन… सबसे खराब जुमला-‘यह दुख सिर्फ 50 दिनों के लिए है।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता बिनय विश्वम ने भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि छह साल पहले बड़ी धूमधाम से नोटबंदी का कदम उठाया गया था तथा काला धन और आतंकवाद को समाप्त करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि अब यह जायजा लेने का वक्त समय है कि इससे देश को किस प्रकार मदद मिली।

भाकपा नेता ने एक ट्वीट में कहा, ‘अब उन वादों का जायजा लेने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि वह नोटबंदी पर श्वेत पत्र जारी करें।’’

सियासी मियार की रिपोर्ट