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रूस-यूक्रेन युद्ध: अमेरिका ने अनाज आपूर्ति समझौते के विस्तार पर दिया जोर..

रूस-यूक्रेन युद्ध: अमेरिका ने अनाज आपूर्ति समझौते के विस्तार पर दिया जोर..

कीव, 09 नवंबर । संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा-थॉमस ग्रीनफील्ड ने आगाह किया कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से किए गए अनाज आपूर्ति समझौते के विस्तार पर निर्भर करती है।

ग्रीनफील्ड ने कहा कि दुनियाभर में 82.8 करोड़ लोग रोजाना भूखे पेट सोते हैं। इसलिए यह अनिवार्य है कि काला सागर के माध्यम से यूक्रेन की शिपमेंट (खेप) को बहाल करने के लिए किए गए समझौते का विस्तार किया जाए। यह समझौता 11 दिन में समाप्त हो रहा है।

यूक्रेन की राजधानी कीव में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यूक्रेन ने लंबे समय तक दुनिया को अनाज की आपूर्ति की है, लेकिन रूस द्वारा उस पर हमला किए जाने से यूक्रेन के गेहूं के खेत युद्ध के मैदान में तब्दील हो गए हैं। रूसी बल जानबूझकर यूक्रेन के कृषि क्षेत्रों को निशाना बना रहे हैं।’’

ग्रीनफील्ड ने बताया कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कहा कि खाद्य सुरक्षा ‘‘निजी तौर पर उनकी प्राथमिकता है।’’ जेलेंस्की के साथ बैठक में उन्होंने दोहराया कि अमेरिका जब तक आवश्यक है, यूक्रेन की सहायता करता रहेगा।

एक दिवसीय यात्रा के दौरान ग्रीनफील्ड ने सर्दियों के मौसम में आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए यूक्रेन को अतिरिक्त 2.5 करोड़ डॉलर की मदद देने की घोषणा की, क्योंकि रूसी सैनिक लगातार बुनियादी ढांचों को निशाना बना रहे हैं।

उन्होंने एक अनाज भंडारण केंद्र में किसानों से कहा कि वह अब भी यूक्रेन को ‘‘दुनिया के अन्नदाता के रूप में’’ देखती हैं और 18 नवंबर को समाप्त हो रहे अनाज आपूर्ति संबंधी समझौते का विस्तार संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकता है।

ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘इसका (युद्ध का) असर वास्तव में पूरे वैश्विक खाद्य बाजार पर पड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि रूस ने ‘‘खेत तबाह कर दिए, अनाज भंडारण केंद्रों पर हमले किए और ट्रैक्टर भी चोरी किए हैं।’’

ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘उन्होंने केवल असैन्य ढांचों पर भयावह हमले नहीं किए, उन्होंने विश्व खाद्य आपूर्ति पर भी हमले किए हैं। उन्होंने अभी तक का सबसे भयानक खाद्य सुरक्षा संकट खड़ा कर दिया है। इससे इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सोमालिया, यमन जैसे देशों के लिए हालात बदतर हो गए, जो पहले ही अकाल का सामना कर रहे हैं। ’’

सियासी मियार की रिपोर्ट