लोकलुभावन नहीं व्यावाहारिक बजट पेश कर सकती है सरकार, निर्माण क्षेत्र में निवेश पर जोर जरूरी,…
नई दिल्ली, 14 जनवरी । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करेंगी। 2024 के आम चुनावों के पहले यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। वित्त मंत्रालय ने दूसरे मंत्रालयों और विभागों बजट पूर्व मंत्रणा शुरू कर दी है। इस बीच उद्योग जगत के जानकारों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच सरकार का ध्यान इस बार के बजट में निरंतरता के साथ विकास का उच्च दर बनाए रखने पर होगा।
व्यापक तौर पर देखें तो वर्ष 2023-24 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्माण क्षेत्र और विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़ी नीतिगत घोषणाएं कर सकती हैं। अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभाव को सीमित करने के उद्देश्य से बजट 2023 पिछले वर्षों की तरह ही लोकलुभावन बजट होने के बजाय व्यावहारिक बजट होगा
मित्शुबिशी इलेक्ट्रिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर राजीव शर्मा का कहना है, “मुझे पूरा विश्वास है कि भारत सरकार वर्ष 2023-24 के बजट में ऐसी नीतियों को प्राथिमकता देगी जिनसे बुनियादी ढांचा, विनिर्माण क्षेत्र और नवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोंतों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इससे वैश्विक स्तर पर भारत अपनी पूर्ण क्षमता को पहचानते हुए खुद को स्थापित कर सकेगा।”
उन्होंने कहा, “देश में तकनीकी सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच निवेश को बढ़ाया दिया जाना चाहिए ताकि वे घरेलू स्तर पर ही भरोसेमंद समाधान उपलब्ध करा सकें। देश की अर्थव्यवस्था में ऊपरी स्तर से निचले स्तर तक आधुनिक युग की निर्माण तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है। यह भविष्य में देश में स्किल डेवलपमेंट के लिहाज से भी गेम चेंजर साबित होगा।” शर्मा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार से कुल मिलाकर यह उम्मीद है कि वह ऐसी घोषणाएं करे जिनसे वर्तमान में और भविष्य में स्थिर विकास सुनिश्चित किया जा सके।
सियासी मीयर की रिपोर्ट