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लंगड़ू लोमड़..

लंगड़ू लोमड़..

नंदनपुर जंगल में चार दोस्त रहा करते थे-हीरा तोता, चमकू गिलहरी, राजू बंदर और कुक्कू चिड़िया। चारों में बहुत गहरी दोस्ती थी। हीरा कभी मीठे अमरूद या सेब कहीं पा जाता तो वह राजू बंदर और कुक्कू के साथ मिल-बांटकर खाता। गिलहरी भी कहीं से अखरोट लाती तो आते ही उसे राजू बंदर को देती। राजू बंदर उसे तोड़कर सब में बराबर बांट देता। ऐसा ही दूसरे दोस्त भी करते थे।

चारों दोस्त एक-दूसरे का पूरा ध्यान रखते थे। कभी कोई बीमार हो जाता, दूसरा उसके बच्चों का ध्यान रखता। उसकी दवा लाता और उसके खाने-पीने का सामान भी लाता। जंगल का राजा शेर भी उनका पूरा सम्मान करता था। वह अपने बच्चों को उनके पास भेजता, जिससे वह उनसे कुछ अच्छी बातें सीख सकें। यही हाल हाथी दादा का था। वह उन चारों की दोस्ती से खूब खुश होते। कभी-कभी तो उन्हें अपनी पीठ पर बैठाकर जंगल की सैर करा लाते। उनकी दोस्ती जंगल के लंगड़ू लोमड़ को अच्छी नहीं लगती थी। जब वह चारों को एक साथ खेलता देखता तो उसके मन में एक ही भावना आती कि कैसे भी इन्हें आपस में लड़ा दे।

एक दिन चारों दोस्त जंगल में घूम रहे थे। तभी उन्हें तालाब के पास अमरूद के कई पेड़ दिखाई दिए। इन पर खूब अमरूद लदे थे। कई गिलहरियां इस डाल से उस डाल पर फुदक रही थीं। हीरा तोते ने जब अमरूद देखे तो उसके मुंह में पानी आ गया। उसने अपने साथियों से कहा कि चलो हम भी चलकर इन अमरूदों का आनंद लें। हीरा के तीनों दोस्तों ने कहा कि किसी के बाग में बिना पूछे जाना अच्छी बात नहीं है।

हीरा ने कहा कि हम रोज थोड़े ही जाते हैं? और जो गिलहरियां यहां हैं, उनसे पूछकर ही तो जाएंगे। हीरा तोते की बात सभी दोस्तों को जम गई। चारों साथी वहां जा पहुंचे। बाहर खेल रही गिलहरियों ने वहां तोता, चिड़िया, बंदर को देखकर पूछा, आप लोग यहां क्यों आए हैं?

हीरा तोते ने कहा, हम जंगल में घूम रहे थे। यहां आए तो देखा कि आपके बाग में अमरूद लगे हैं। आप अगर नाराज न हों तो हम भी थोड़े-से अमरूद ले लें? मीठे अमरूद देखकर उसका मन ललचाने लगा। गिलहरियों ने हीरा तोते की बात पर आपस में चर्चा की। फिर उन्हें अमरूद लेने की अनुमति दे दी। चारों दोस्तों ने पहले तो पेट भरकर अमरूद खाए। बाद में थोड़े-से घर के लिए भी ले लिए।

चलते वक्त सभी ने गिलहरियों को धन्यवाद दिया। घर आकर सभी ने अमरूदों को नीम के पेड़ के कोटर में रख दिया। फिर अपने काम में लग गए। जब वे अमरूद रख रहे थे तो उन्हें चोरी से लंगड़ लोमड़ देख रहा था। उसने उनके जाने के बाद आधे अमरूद निकाल लिए। दूसरे दिन चारों दोस्तों ने अमरूद खाने के लिए निकाले तो देखकर दंग रह गए। यहां पर तो आधे अमरूद थे ही नहीं। सभी एक-दूसरे को देखने लगे। सभी ने एक-दूसरे से पूछा। पर जब किसी ने लिए हों तब तो हां करता। सभी ने अमरूद लेने से मना कर दिया, फिर एक-दूसरे से जोर-जोर से बोलने लगे।

लंगड़ू लोमड़ पहले से ही इस इंतजार में था कि उन चारों में झगड़ा हो तो वह उसका मजा ले। उसने उनसे पूछा, अरे कुक्कू क्या हो गया? क्यों झगड़ रहे हो? कुछ नहीं लंगड़ू लोमड़। कुक्कू ने बात टालनी चाही। नहीं कोई बात तो है, जो तुम चारों लड़ रहे हो? पहले तो मैंने तुम्हें कभी लड़ते नहीं देखा?

अब चमकू गिलहरी ने कहा, लंगड़ू लोमड़ बात यह है कि हमने कल इस पेड़ के कोटर में अमरूद रखे थे। पर आज आधे हैं ही नहीं। लंगड़ू लोमड़ ने बनावटी गंभीरता से पूछा, पक्का यहीं रखे थे? हां, हां यहीं रखे थे। दोस्तों को भिड़ाने की चाल से लंगड़ू लोमड़ ने राजू बंदर की ओर देखकर कहा, राजू, तुमने तो अमरूद नहीं निकाल लिए?

नहीं, मैं क्यों निकालता। हम सभी तो लाए थे एक साथ। फिर वह नाराज होने लगा। नहीं-नहीं, मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था। कह कर वह मौका देखकर वहां से खिसक लिया। उसके मन की बात हो गई थी। लंगड़ू लोमड़ की बात सुनकर सभी एक-दूसरे पर शक करके झगड़ने लगे। थोड़ी देर में वहां से जंगल के राजा शेर का बेटा निकला तो उसने उन चारों को लड़ते देखकर गुर्राकर पूछा, आप सब क्यों लड़ रहे हो?

सभी ने उसे अमरूदों की बात बता दी। साथ ही यह भी बताया कि लंगड़ू लोमड़ ने उन्हें क्या कहा। शेर के बेटे ने आश्चर्य से उन्हें देखा और फिर एक-एक को अलग-अलग बुलाकर कान में कुछ कहा। उसके बाद सभी उसके पीछे चलने लगे। शेर का बेटा उन्हें लंगड़ू लोमड़ की खोह के पास ले गया। वहां उन्होंने देखा, लंगड़ू लोमड़ मजे से अमरूदों का आनंद ले रहा है। शेर के बेटे और चारों दोस्तों को देखकर उसके पसीने छूट गए। सभी उसे देखकर हैरान थे। तभी शेर के बेटे ने लंगड़ू लोमड़ के गाल पर एक थप्पड़ मारा और कहा, तू चोरी करके लाया था अमरूद?

लंगड़ू लोमड़ का दिमाग भन्ना गया। उसकी समझ में ही नहीं आया कि वह क्या उत्तर दे? उसके मुंह से निकला, हां। शेर के बेटे ने उसके गाल पर फिर एक झापड़ रसीद किया। जा, भाग जा यहां से। अब कभी जंगल में नजर मत आना। लंगड़ू लोमड़ वहां से भाग छूटा। फिर चारों दोस्त माजरा समझ गए और एक-दूसरे से माफी मांगी। सभी ने शेर के बेटे को धन्यवाद दिया, उनकी दोस्ती बचाने के लिए।

सियासी मियार की रिपोर्ट