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बदलते भारत का नेतृत्व, देश की प्रगति और उभरे विवाद…

बदलते भारत का नेतृत्व, देश की प्रगति और उभरे विवाद...

-गिरीश लिंगन्ना-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में अपने आधिकारिक निवास का नाम लोक कल्याण मार्ग (एलकेएम) रखा। नया नाम मोदी की लोकलुभावनवाद और भारत के औपनिवेशिक अतीत को खत्म करने के झुकाव को दर्शाता है। सख्त सुरक्षा चौकी से परे ‘7 एलकेएम’ में मोर और आंतरिक आंगन हैं जो फूलों की बड़ी आकर्षक सजावट से सजाये गये हैं। परिसर में ही एक बैठक कक्ष है जिसकी छत पर विश्व मानचित्रों को दर्शाने वाले भित्तिचित्र हैं। कैबिनेट कक्ष में ‘प्रस्तावना’ के कुछ अंश अंकित हैं। इसी शांत वातावरण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर नजर रखते हैं। हालांकि, चिंता यह है कि मोदी स्वयं संविधान के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। अपनी विशाल डेस्क के पीछे खड़े होकर, मोदी कार्यालय में एक और वर्ष के समापन पर आश्वासन दे रहे हैं।

अपनी जनसंख्या चीन से अधिक होने के कारण भारत को अब चीन के लिए एक आशाजनक विकल्प के रूप में देखा जाता है। हर जगह लोग मोदी के अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए कमर कस रहे हैं। 73 वर्षीय मोदी 2024 में जीत की दौड़ में सबसे आगे हैं। मोदी आम नागरिकों के जीवन में ठोस सुधार लाने के अपने ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हैं।

मोदी शासन के पिछले एक दशक में भारतीय लोगों की इच्छाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। क्रीम कुर्ता और जंग रंग की स्लीवलेस जैकेट पहने हुए मोदी बेहद साफ-सुथरे दिखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीयों को पता है कि भारत बड़ी सफलताओं के कगार पर है और वे जानते हैं कि जो प्रगति वे देख रहे हैं वह भाजपा के कारण है। भाजपा की हालिया विधानसभा चुनावों में जीत के बाद, फाइनेंशियल टाइम्स ने मोदी का साक्षात्कार लिया और पाया कि मोदी के लिए, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 2024 के आम चुनावों का पूर्वाभ्यास था जब 94 करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव में भाग लेंगे। यदि मोदी लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करते हैं, तो यह उनके कई वफादार अनुयायियों के लिए उनका अनुमोदन होगा जिनके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत की अर्थव्यवस्था फली-फूली है, इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी है और लाखों लोगों के जीवन में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं।

वे हिंदू धर्म को सार्वजनिक चर्चा में सबसे आगे रखने का श्रेय भी मोदी को देते हैं। परन्तु यह सब सहज नहीं है। मोदी का मुख्य विपक्षी गांधी परिवार के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक नामक विपक्षी गठबंधन है, जिसने मोदी को हटाने और लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने का वायदा किया है।

कांग्रेस के संस्थापकों द्वारा स्थापित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत खतरे में है। मोदी के एक दशक पुराने शासन पर राजनीतिक विरोधियों को दबाने, नागरिक समाज को प्रतिबंधित करने और मुसलमानों को हाशिये पर रखने का आरोप लगाया गया है। आलोचकों को डर है कि मोदी का तीसरा कार्यकाल, विशेष रूप से यदि एक महत्वपूर्ण बहुमत के साथ आया, तो भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को अपरिवर्तनीय रूप से कमजोर कर देगा। वह भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए संविधान में संशोधन भी कर सकते हैं। लोकतांत्रिक गिरावट के आरोपों, जिनसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इनकार करती है, ने भारत और विदेशों में चिंताएं बढ़ा दी हैं और यह तब हुआ है जब दुनिया भर के नेता आगे का रास्ता दिखाने के लिए भारत पर भरोसा कर रहे हैं।

फाइनेंशियल टाइम्स को दिये अपने साक्षात्कार में मोदी ने भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक, अमेरिका और कनाडा के साथ तनाव और संविधान में बदलाव सहित विभिन्न सवालों के जवाब दिये। उन्होंने अपनी सरकार के आर्थिक और लोकतांत्रिक प्रदर्शन को लेकर आलोचनाओं को खारिज कर दिया।

मोदी और उनके समर्थकों का मानना है कि भारत के लोकतंत्र के बारे में चिंताएं निराधार हैं और भारत जो प्रगति कर रहा है वह उनकी दृष्टि से ओझल है। मोदी इस बात से सहमत हैं कि आलोचकों को अपनी राय और चिंताओं को व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन आरोपों के साथ बुनियादी समस्या यह है कि वे भारत के लोगों, मतदाताओं की बुनियादी बुद्धि पर सवाल उठाते हैं।

मोदी ने संविधान बदलने की किसी भी बात को खारिज कर दिया। उनकी सरकार ने संविधान में संशोधन किये बिना महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं और इसमें स्वच्छ भारत अभियान और डिजिटल बुनियादी ढांचे के माध्यम से लगभग 1 अरब लोगों को इंटरनेट से जोड़ने जैसी पहलें शामिल हैं

अगस्त 2023 में, भारत ने चंद्रमा पर अपने मानवरहित चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारा। इसके तुरंत बाद, इसने जी 20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया और दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया। भारत ने डिजिटल विभाजन को पाटने और जलवायु-प्रतिरोधी बाजरा के विकास जैसे विभिन्न प्रयासों में खुद को ‘विश्वगुरु’ के रूप में स्थापित किया है। भारत ने ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ नामक एक शिखर सम्मेलन का भी आयोजन किया और अफ्रीकी संघ को जी 20 के स्थायी सदस्य के रूप में सफलतापूर्वक शामिल किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत किया और मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भी अपने रिश्ते को मजबूत किया। मोदी ने भारत की लचीली और अनुकूलनीय विदेश नीति पर प्रकाश डालते हुए दुनिया के परस्पर जुड़ाव और परस्पर निर्भरता की बात की। विश्व में भारत की वर्तमान स्थिति को ‘स्वीट स्पॉट’ के रूप में देखा जाता है। मोदी ने कहा कि विदेशी मामलों में भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता उसका राष्ट्रीय हित है। यह भारत को अन्य देशों के साथ इस तरह से बातचीत करने की अनुमति देता है जो उनके साझा हितों पर विचार करता है और जटिलता को समझता है जो वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार है।

जब उनसे भारत द्वारा अमेरिका के साथ गठबंधन बनाने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो मोदी ने स्वीकार किया कि एक अमेरिकी नागरिक तथा सिख आतंकवादी की हत्या की साजिश के आरोपों के बाद संबंधों में हाल की बेचैनी के बावजूद, दोनों देशों के बीच रिश्ते में सुधार हो रहा है।

मोदी ने इज़राइल-हमास संघर्ष पर चर्चा करने से परहेज किया और बेंजामिन नेतान्याहू सरकार की आलोचना करने से परहेज किया। उन्होंने गाजा को भारत की मानवीय सहायता का उल्लेख किया और दो-राज्य के सिद्धांत पर समाधान के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। उन्होंने कहा, ‘मैं क्षेत्रीय नेताओं के संपर्क में रहता हूं और अगर शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भारत कुछ भी कर सकता है, तो हम ख़ुशी से ऐसा करेंगे।’

एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत की अवधारणा नयी नहीं है, खासकर दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश के लिए। हालांकि, हाल ही में इस विचार के जोर पकड़ने का एक कारण मोदी और उनका 5 खरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है। मोदी 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने की बात करते नहीं थकते। हालांकि, इसके लिए मौजूदा 6-7फीसदी प्रति वर्ष की तुलना में काफी अधिक तेज़ विकास दर की आवश्यकता होगी।

जब उनसे आलोचकों पर उनकी सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो मोदी हंस पड़े। उनके अनुसार, व्यक्तियों और संगठनों का एक नेटवर्क मौजूद है जो भारत में उनकी सरकार पर लगातार आरोप लगाने की स्वतंत्रता का लाभ उठाता है। मोदी ने बाहर से आये लोगों द्वारा भारत की क्षमताओं और क्षमता को कम आंकने के व्यापक अतीत पर प्रकाश डाला। मोदी ने जोर देकर कहा कि जो लोग अभी उनकी सरकार पर संदेह करते हैं, वे भी अपने आकलन में गलत साबित होंगे।