सही आहार बच्चे को बनाएगा बेमिसाल.
मौज-मस्ती अब कम होगी। यारी-दोस्ती भी अब कम होगी। स्कूलों में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। हर बच्चा अब अपनी पूरी ऊर्जा पढ़ाई की ओर लगाएगा। ऐसे में जरूरी है कि आप इस बात की तसदीक करें कि उसे खानपान के जरिये पर्याप्त ऊर्जा और पोषण मिले, ताकि वह पढ़ाई और परीक्षा को अपना सौ प्रतिशत दे सके।
परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है और बच्चों में घबराहट व तनाव का स्तर कई गुणा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक परीक्षा में अच्छा परफॉर्म करने के लिए इस तनाव से भरे लाइफ स्टाइल को बदलने और खान-पान की आदतों को सुधारने की जरूरत है, क्योंकि घबराहट व तनाव में पढ़ने से परीक्षा परिणाम अनुकूल की बजाय प्रतिकूल होने की अधिक आशंका होती है। आपके बच्चे को पर्याप्त पोषण मिले, तनाव का सामना उसे कम-से-कम करना पड़े और वह अपनी परीक्षा में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन दे सके, इसके लिए जरूरी है कि एक मां के रूप में आप अपनी भूमिका सही तरीके से निभाएं।
तनाव कर सकता है पस्त:- परीक्षा के दौरान बच्चे लगभग 12 से 14 घंटे पढ़ाई करते हैं, जल्दी से सिलेबस खत्म कर अधिक से अधिक रिवीजन करने के दबाव में लगातार जागते रहते हैं और आराम भी नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप उनका स्ट्रेस लेवल इतना अधिक बढ़ जाता है कि वे लंबे समय तक पढ़ते तो रहते हैं, लेकिन एकाग्रता कम होने की वजह से पढ़ा हुआ याद नहीं रख पाते। अंततः परीक्षा में अच्छा न कर पाने के डर से हतोत्साहित होने लगते हैं। पढ़ाई के अत्यधिक तनाव का उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। बीएलकपूर अस्पताल में गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी डिवीजन के प्रमुख डॉं दीप गोयल बताते हैं कि तनाव के कारण बच्चे को पेट से संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं, तनाव की वजह से पाचन प्रणाली तक रक्त का संचार अवरुद्घ होने लगता है, इससे डाइजेस्टिव सिस्टम तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और न्यूट्रिएंट समाहित करने की शरीर की क्षमता भी कम हो जाती है। शरीर का मेटाबॉलिज्म घटने लगता है। इसलिए परीक्षा के दौरान सबसे जरूरी है कि बच्चे के खानपान व आराम का पूरा ध्यान रखा जाए, साथ ही बच्चे पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न बनाएं, ताकि बच्चा तनावमुक्त होकर पढ़ाई कर सके।
बच्चे के लिए उपयुक्त भोजन:- परीक्षा के दौरान बच्चे के सही पोषण का ध्यान रखकर आप उसके उत्साह को बरकरार रखने में मदद कर सकती हैं। न्यूट्रीशन थेरेपिस्ट, नीरज मेहता के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान सबसे अधिक दिमाग का इस्तेमाल होता है। यूं तो यह हमारे शरीर का सबसे छोटा अंग होता है लेकिन शरीर की कुल ऊर्जा का 20 प्रतिशत दिमाग द्वारा इस्तेमाल होता है। यदि पढ़ाई के दौरान लगातार ऊर्जा मिलती रहे तो दिमाग तंदुरुस्त व उत्साहवर्धक बना रहता है। दूसरी तरफ पर्याप्त ऊर्जा न मिलने की स्थिति में, बच्चा थका हुआ महसूस करता है, एकाग्रचित होकर पढ़ाई नहीं कर पाता, इसलिए तनाव में आ जाता है। तनाव की वजह से उसके शरीर का मेटाबॉलिज्म घटने लगता है, साथ ही कई अन्य तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए परीक्षा के दौरान बच्चे के खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।
दिन की शुरुआत हेल्दी नाश्ते से करनी चाहिए। आप बच्चे को नाश्ते में अंडा, पोहा, ओट्स, उपमा, इडली व खिचड़ी आदि दे सकते हैं, जिनमें ग्लाइसेमिक की मात्रा कम हो और शरीर को पर्याप्त ग्लूकोज मिलता रहे। अधिक तेल में बनने वाली चीजें जैसे कि पूरी, परांठे आदि से परहेज करें तो बेहतर होगा, क्योंकि इसे खाने से बच्चे को थकावट और नींद महसूस होने के कारण पढमई में दिक्कत आ सकती है। खाने में अधिक से अधिक आयरन व विटामिन बी युक्त पदार्थ दें, इनमें शारीरिक व मानसिक ऊर्जा बरकरार रखने की क्षमता होती है। पालक में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। अनाज, अंडे तथा मेवों में विटामिन बी की भरपूर मात्रा होती है। बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर खाना दें।
ज्यादातर बच्चे पौष्टिक भोजन की बजाय पिज्जा, बर्गर आदि जंक फूड खाना अधिक पसंद करते हैं, लेकिन ये सब खाने से बच्चे में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है। इसलिए परीक्षा के दौरान इन सभी चीजों से परहेज कर आयरन, कैल्शियम, जिंक युक्त पौष्टिक भोजन ही दें। एक बार में ज्यादा खाना खाने की बजाय बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में पोषणयुक्त भोजन देती रहें। कोशिश करें कि हर दो घंटे में बच्चा कुछ न कुछ हेल्दी खाता रहे। इस प्रकार शरीर में लगातार आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती रहेगी और बच्चा लंबे समय तक पूरे उत्साह के साथ सचेत होकर पढ़ाई कर सकेगा।
परीक्षा के दौरान बच्चे को ऐसे खानपान की जरूरत होती है, जिससे उनकी याद करने व एकाग्रता बनाए रखने की क्षमता बढ़े और तनाव व थकावट कम हो। ज्यादातर बच्चे लंबे समय तक जागकर पढ़ने के लिए कॉफी व चाय पीते रहते हैं, लेकिन न्यट्रिशन थेरेपिस्ट बताते हैं कि कॉफी व चाय में मौजूद कैफीन में अस्थायी उत्तेजक तत्व होते हैं, जिसका असर बहुत जल्द ही खत्म हो जाता है। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है। शरीर में कैफीन की मात्रा अधिक होने से तनाव व घबराहट बढ़ सकती है। परीक्षा के दौरान कॉफी के बजाय सेरेल्स वाला दूध पीना बेहतर होता है। इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन की वजह से एकाग्रता कम हो जाती है और शारीरिक ऊर्जा जल्दी ही खत्म होने लगती है।
खाने में ज्यादा से ज्यादा ताजे फल और सब्जियां बच्चों को दें, खासकर हरी सब्जियां जैसे पालक, लौकी, तोरी में शरीर व मस्तिष्क को तंदुरुस्त रखने के लिए आवश्यक तत्व होते हैं। स्टार्च वाली सब्जियां जैसे आलू, अरबी के सेवन से बचें, क्योंकि इनसे थकावट व नींद महसूस होती है। खाना बार-बार गर्म न करें, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के सभी जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। बच्चे को ताजा खाना ही दें। बादाम, सेब, अखरोट, किशमिश, अंगूर, संतरा, अंजीर, सोयाबीन व मछली में याददाश्त बढ़ाने की क्षमता होती है। इसके अतिरिक्त शहद, दूध और मेवों से मन व मस्तिष्क को शांति मिलती है।
परीक्षा के दौरान अधिक मीठी चीज जैसे चॉकलेट, मिठाई और कैंडी से परहेज करना चाहिए, इस दौरान कोल्ड ड्रिंक व सोडा भी नहीं पीना चाहिए। ये सब चीजें दिमाग को ब्लॉक करने का काम करती हैं। मांसाहार में मछली का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसके अलावा फलों का ठंडा रायता खाने से स्फूर्ति आती है। फल और सब्जियों में संतरा, केला और गाजर पढ़ने वाले बच्चों के लिए बेहद जरूरी होते हैं। केला खाने से लंबे समय तक शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है। बच्चों को खाना धीरे-धीरे और पूरी तरह चबा कर खाने के लिए कहें।
अकसर बच्चे परीक्षा के दौरान दिन भर पढम्ने के बाद रात में भी देर तक जग कर पढ़ाई करते हैं। ऐसे में पहले से थके हुए दिमाग को और अधिक तनाव देने की वजह से वो याद किया हुआ भूल भी सकता है। इसलिए परीक्षा से एक दिन पहले बच्चे को देर रात तक न पढ़ने दें। शाम में पढ़ाई पूरी कर समय से खाना खाकर थोड़ी देर टीवी देखने या म्यूजिक सुनने या मौज-मस्ती करने दें। बच्चे को सोने से पहले नहाने के लिए कहें। ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक थकावट दूर होती है। बच्चे को सात से आठ घंटे जरूर सुलाएं। परीक्षा में अच्छा करने के लिए सिर्फ पोषक खाने से मिलने वाली ऊर्जा ही नहीं, मस्तिष्क को भी ऊर्जा की जरूरत होती है, जो पूरी नींद और आराम से प्राप्त होती है।
सारा दिन पढ़ाई में व्यस्त रहने और कोई खेलकूद की एक्टिविटी न करने की वजह से बच्चा सुस्त हो जाता है, वह बेहद थका हुआ और तनावयुक्त रहता है। इसलिए पढ़ाई के बीच बच्चे को कुछ देर जरूर खेलने दें, इस प्रकार वह फिर से चुस्त व दुरुस्त महसूस करेगा। परीक्षा है, इसलिए अचानक से उसकी जिंदगी से मौज-मस्ती को गायब न करें। मौज-मस्ती के साथ-साथ मन लगाकर पढ़ाई करने पर जोर दें। उसे अभी से संतुलन का गुर सिखाएंगी, तभी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के साथ उसकी जिंदगी भी बेहतर होगी।
सियासी मियार की रीपोर्ट