सपने.
-रीता राम-
सपने तसल्ली देते हैं
जी लेने की महीन सी
हकीकत से परे
कुछ रह जाता हैं
अटका सा हमेशा
स्वप्न और हालात का
अक्सर होता हैं ख्वाब के तुरंत बाद
कुढ़ता हैं वर्तमान
भूतकाल लालायित हैं
भविष्य की दराज में आते हैं
दिवा स्वप्न की किश्तें
अपने आप डिजालव हो जाने की शक्ति लिये
हकीकत को ख्वाब की बताते हुये कमियां
फिर भी घिसटता हैं अदना सा दिल
जीवन की सड़कों पर
अपने मौत की
परछाई लिये।।
सियासी मियार की रीपोर्ट