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समीक्षा: सामाजिक यथार्थ की कहानियां..

समीक्षा: सामाजिक यथार्थ की कहानियां..

-सुरेश कुमार-

युवा कथाकार राहुल देव का नवीनतम कहानी संग्रह अनाहत एवं अन्य कहानियां समाज की उन समस्याओं को उजागर करता है, जिन समस्याओं से वर्तमान का समाज जूझ रहा है। लेखक ने बड़ी सादगी के साथ देखे हुए यर्थाथ को अपनी कहानियों में उजागर किया है। संग्रह में लेखक की नौ कहानियां हैं। इनमें मायापुरी, विजया, परिणय, नायंहनित न हन्यते! एक टुकड़ा सुख, हरियाली बचपन, अनाहत और रॉन्गनंबर है। इन कहानियों का ताना बाना लेखक ने मध्यवर्ग की समस्याओं और आंकाक्षाओं के ईदगिर्द बुना है। संग्रह की भूमिका वारिष्ठ आलोचक सुशील सिद्धार्थ ने लिखी है। वे मानते है कि इस संग्रह की कहानियां सामाजिक रचनाशीलता का नया आयाम प्रस्तुत करती हैं। संग्रही की पहली कहानी मायापुरी कथनी और करनी का शिकार हुए एक युवा की कहानी है। यह कहानी लेखक ने लगभग आत्मकथ्य शैली में लिखी है। कहानी में एक ऐसा युवा है जो सीतापुर से मुंबई घूमने जाता है। मुंबई के बारे में जो उसने अपने मन में आदर्श गढ़े थे, वे वहां पहुंचकर खोखले साबित होते हैं। कहानी बताती है कि किस प्रकार गांव का आदमी अपने को शहर में जाकर ठगा और छला महसूस करता है।

विजया कहानी संतान की प्राप्ति में जूझ रहे एक पति-पत्नी की कहानी है। कहानीकार ने बड़ी मर्मिकता के साथ पति-पत्नी के दुख को उजागर किया है। इस कहानी का पात्र रवि चाहता है कि वह एक बच्चे को गोद ले, लेकिन समाज और परिवार के चलते वह ऐसा नहीं कर पाता है। एक दिन अचानक उसकी पत्नी सविता देखती है कि उसके घर के समाने कोई एक अबोध बच्ची को छोड़कर चला गया है। सविता उस बच्ची को अपनी संतान मानकर, उसे पालती और पोसती है। लेकिन रवि को यह बात अच्छी नहीं लगती कि उसकी पत्नी किसी और की संतान को पाले। इधर विजया धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी। थोड़े दिन के बाद यह पता चलता है कि विजया सुन नहीं सकती है। अंततः विजया को दोनों पति-पत्नी अपनी बेटी मानकर अपना लेते हैं।

परिणय कहानी स्त्री समस्या को केंद्र में रखकर लिखी गई है। स्त्री की समस्या क्या है? यह कहानी बताती है कि 21वीं सदी में भी स्त्री अपने हिसाब से पति का चुनाव नहीं कर सकती है। उसे अपने पिता या परिवार के लोगों द्वारा चुना गया जीवन साथी स्वीकार करना पड़ता है। कहानी की पात्र वैष्णवी मिलिंद नामक युवक से प्रेम करती है और उसी के साथ विवाह करके अपना जीवन बीतना चाहती है। इधर वैष्णवी के पिता उसके विवाह के लिए लड़के की खोज में लगे हुए हैं। वैष्णवी के ऊपर परिवार व समाज की इतनी बंदिश है कि वह पिता से नहीं कह पाती कि मिलिंद से विवाह करना चाहती है। वैष्णवी का विवाह जिस युवक से हो रहा है, दरअसल वह मिलिंद ही निकलता है। इस तरह लेखक ने कहानी को सुखद मोड़ देकर छोड़ दिया है।

नायंहनित न हन्यते! कहानी रोजमर्रा की समस्या से मुठभेड़ करते एक शिक्षक के जीवन संघर्ष का आख्यान है। कहानी बताती है कि कोचिंग प्रबंधक किस प्रकार से शिक्षकों का शोषण करते हैं। कहानी के पात्र शिक्षक सत्यप्रकाश की छवि छात्रों के बीच एक ईमानदार और उदार शिक्षक की है। इसी व्यवहार के चलते उनसे कई छात्र जुड़े हुए हैं। अमित अपने छात्र जीवन में सबसे ज्यादा उनसे प्रभावित था। अमित कई सालों बाद जब उनसे मिलने जाता है तो उसे यह जानकर बड़ा दुख होता कि अब वे नहीं हैं। अमित अपने गुरु के सिद्धांत को अपने आचरण में सदा के लिए ढाल लेता है। परिवर्तन कहानी में लेखक ने गांव में हो रहे भेदभाव की समस्या को उठाया है। यह कहानी खुलासा करती है कि देश को आजादी मिलने के बाद भी समाज में ऊंच-नीच और जाति-पाति की भावना विद्यमान है। एक टुकड़ा सुख कहानी में गरीबी की समस्या को उठाया गया है। लेखक ने लालचंद के बहाने गरीबी में पिसते हुए लोगों की पीड़ा को सामाजिक पटल पर उजागर किया है।

हरयाली बचपन कहानी में लेखक ने उन बच्चों की समस्या को उठाया है, जिनका बचपन यातनाओं में गुजर रहा है। कहानी बताती है कि बच्चों का शोषण करने वाले असामाजिक समाज में मौजूद हैं। इतना ही नहीं, बच्चों को बालश्रम, अशिक्षा, कुपोषण और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है। अनाहत प्रेम की निष्ठा और उसके त्याग की मर्मिक कहानी है। इस कहानी संग्रह में व्यक्ति और उससे जुड़ी समस्या का स्वर सुनाई देता है। अनाहत एवं अन्य कहानियां संग्रह समाजिक प्रश्नों को टटोलते हुए आगे बढ़ता है। लेखक ने बड़ी सूक्ष्मता से समाज के यथार्थ को सामने रखते हुए संकीर्ण मानसिकता रखने वालों पर कुठाराघात करता है। संग्रह की कहानियां कथ्य और शिल्प की दृष्टि से मजबूत कही जा सकती हैं। कहानियां बोझिल न होकर, सरल व रुचिकर लगती हैं।

पुस्तक: अनाहत एवं अन्य कहानियां, कथाकार: राहुल देव, मूल्य: 60 रुपए, प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, एफ-77, सेक्टर-9, रोड नं.11, करतापुरइंडस्ट्रियल एरिया, जयपुर

(रचनाकार डाॅट काॅम से साभार प्रकाशित)

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