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हेल्थकेयर में नौकरियां.

हेल्थकेयर में नौकरियां.

यदि हाल के वर्षों पर गौर करें, तो भारत आने वाले मेडिकल टूरिस्ट की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, क्योंकि भारत प्राकृतिक तरीके (आयुर्वेदिक) से इलाज में भी काफी लोकप्रिय हो चुका है। वैसे, जिस तरह से भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर विकास कर रहा है, उससे इस क्षेत्र में जॉब की अच्छी संभावनाएं देखी जा रही हैं। यदि फ्यूचर प्लानिंग के तहत इस सेक्टर में आना चाहते हैं, तो आपके लिए यहां नौकरी ही अच्छी संभावनाएं हो सकती हैं।

कितना सुरक्षित है यह सेक्टर
देश की आबादी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है साथ ही, नई-नई बीमारियां भी। लेकिन एक अच्छी बात यह है कि लोग अब स्वास्थ्य के प्रति काफी सचेत हो गए हैं। इसलिए विपरीत आर्थिक परिस्थितियों में भी लोग कोई रिस्क लेना पसंद नहीं करते हैं। दूसरी तरफ यह सेक्टर तेजी से विकास कर रहे सेक्टर्स में से एक हैं। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स के मुताबिक, हेल्थकेयर सेक्टर वर्ष 2012 तक 40 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। वहीं प्लानिंग कमीशन की एक रिपोर्ट कहती है कि देश में लगभग 6 लाख डॉक्टर, 10 लाख नर्स और दो लाख डेंटल सर्जन की कमी है। यानी इस सेक्टर में अभी भी हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की काफी जरूरत है। इसलिए राहत की बात यह है कि जिस सेक्टर में इतनी बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स की जरूरत हो, वहां आप खुद को सुरक्षित महसूस कर ही सकते हैं।

मार्केट की स्थिति
हेल्थकेयर सेक्टर का विकास दर अभी भी काफी आकर्षक बना हुआ है। इस क्षेत्र में सरकार द्वारा हर वर्ष सुविधाओं के लिए बढ़ता बजट निवेश के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हालिया अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 12 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहे हेल्थकेयर बाजार में अगले पांच वर्षों में कम से कम 60 अरब डॉलर निवेश की संभावनाएं हैं। इसके अलावा, हेल्थकेयर बीपीओ का कारोबार भी इस वर्ष के अंत तक 4.5 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर
यह एक ऐसा एरिया है, जहां रोजगार की संभावनाएं बेहतर माने जा रही हैं, क्योंकि 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 6 एम्म ही तरह इंस्टीट्यूट खोले जाने और मौजूदा 13 मेडिकल इंस्टीट्यूट को अपग्रेड किया जा सकता है। साथ ही, पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी के आधार पर 60 नए मेडिकल कॉलेज और 225 नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा सकते हैं। जब इतने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, तो रोजगार के दरवाजे खुलेंगे ही।

हेल्थ इंश्योरेंस
मैकिंजे-सीआईआई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस के सेक्टर में काफी क्षमता है। क्योंकि भारत में अभी भी तकरीबन 10 प्रतिशत लोगों के पास ही हेल्थ इंश्योरेंस है। लेकिन जिस तरह से लोग अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते दिख रहे हैं, उससे इस क्षेत्र में बेहतरीन संभावनाएं नजर आ रही हैं। इस क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए ही निजी हेल्थकेयर इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

मेडिकल टूरिज्म
विदेशों में रहने वाले लोगों को भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर खूब लुभा रहा है। खासकर मेडिकल टूरिज्म का क्षेत्र काफी हॉट है, क्योंकि भारत में न केवल इलाज सस्ता है, बल्कि हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतरीन है। वैसे, आयुर्वेदिक थेरेपी, नेचुरल थेरेपी आदि प्राकृतिक इलाज भी दूसरे देशों में रहने वाले लोगों को खूब पसंद आ रहा है। मैकिंजे-सीआईआई के अनुसार, मेडिकल टूरिज्म का मार्केट वर्ष 2012 तक 2 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। वहीं एक अनुमान के मुताबिक, प्रति वर्ष लगभग एक लाख मेडिकल टूरिस्ट भारत की ओर रुख करते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में और वृद्धि हो सकता है, क्योंकि मंदी के इस दौर में सस्ते इलाज के लिए लोग भारत की ओर रुख करेंगे।

टेलिमेडिसिन सर्विस
आज भी देश में अधिकतर फिजिशियन स्पेशलिस्ट अर्बन व सेमी-अर्बन एरिया में है। और वहीं महज कुछ प्रतिशत फिजिशियन ही रूरल एरिया मे। यही वजह है कि रूरल एरिया में हेल्थकेयर फैसिलिटी अभी भी बेहतर नहीं है। लेकिन अब टेलिमेडिसिन के जरिए इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। खासकर अब वीडियो कांफ्रेंसिंग और इंटरनेट की सहायता से रिमोट डायग्नोस्टिक, मोनिटरिंग और ट्रीटमेंट किए जाने लगे हैं। इसलिए टेलिमेडिसिन का ट्रेंड तेजी से बढ़ता जा रहा है। आज कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स टेलिमेडिसिन की सुविधाएं दे रही हैं। इसमें एम्स, अपोलो, फोर्टिज आदि जैसे हॉस्पिटल्स शामिल हैं। इस समय देश में 100 से अधिक टेलिमेडिसिन सेंटर्स हैं। वहीं इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन द्वारा पूरे देश भर में लगभग 100 टेलिमेडिसिन सेंटर्स स्थापित करने की योजना है। जिस तरह से टेलिमेडिसिन का चलन बढ़ रहा है, उससे इस क्षेत्र में एक्सपर्ट की मांग में इजाफा होने की उम्मीद है।

मैन्युफैक्चरिंग
एक समय ऐसा भी था, जब भारत दवाइयों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता था, लेकिन अब स्थिति कुछ अलग है। भारत अब सस्ती दवाई दुनिया भर में निर्यात कर रहा है। इसलिए भारत आज मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी हब बन कर उभर रहा है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रग मैन्युफैक्चरिंग मार्र्केट वर्ष 2010 तक एक बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। इसके अलावा, क्लिनिकल ट्रायल, फार्मा आदि जैसे क्षेत्र में भी बेहतरीन संभावनाएं देखी जा रही हैं।

हेल्थकेयर कंपनी…

-अलाइड मेडिकल सर्विसेज प्राइवेट लि.
-बायर डाइग्नोस्टिक इंडिया
-डालमिया हेल्थकेयर
-डॉ. बत्रा
-निकोलस पिरामल इंडिया प्राइवेट लि.
-सन हेल्थकेयर
-विप्रो जीई मेडिकल सिस्टम

सियासी मियार की रीपोर्ट