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आकाश के ग्रह मित्र बन्धुओं के रूप में रहते हैं हमारे आस-पास.

आकाश के ग्रह मित्र बन्धुओं के रूप में रहते हैं हमारे आस-पास.

ग्रहों को केवल एक पिण्ड मानकर हम ग्रह की पूजा-पाठ, दान-पुण्य आदि कर्म करते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि उनका शुभा शुभ प्रभाव हमारे नातेदार, रिश्तेदार, बन्धुओं के रूप में हमारे आस पास सदैव रहता है। परिस्थिति वश जब हम अपने आस-पास वाले रिश्तों से बिगाड़ कर लेते हैं तो उससे संबंधित ग्रह उपाय निष्फल हो जाते हैं, अतः अगर किसी ग्रह को अनुकूल करना हो, तो सर्वप्रथम उस ग्रह से संबंधित रिश्तों में भी सुधार करें। ग्रह और उनका प्रभाव व्यक्ति के आस-पास मित्र-बन्धुओं के रूप में होता है, यही रिश्ते हमें जीवन भर शुभा शुभ फल प्रदान करते रहते हैं। आइए जानते हैं, जन्मकुण्डली के किस भाव से कौन-सा पारिवारिक रिश्ता देखा जाता है।


प्रथम भाव स्वयं के बारे में बताता है, और यहीं से व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है।
द्वितीय भाव से व्यक्ति अपने परिवार कुटुम्ब के बारे में जानता है।
तृतीय भाव से व्यक्ति अपने छोटे भाई के बारे में जानता है।
चौथे भाव से व्यक्ति अपनी मां के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
पंचम भाव से वह अपनी संतान के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
छठे भाव से वह अपने मामा के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। इसे इस प्रकार समझें, कि जिस प्रकार तीसरा भाव भाई का होता है, ठीक उसी प्रकार मां के भाव, चौथे भाव से तीसरा भाव यानि की छठा भाव मां के भाई का अर्थात् मामा का होता है। सातवें भाव से वह अपने जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
आठवें भाव से ससुराल के बारे में जाना जाता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि जिस प्रकार किसी व्यक्ति की कुण्डली में स्वयं से दूसरा भाव उस व्यक्ति के कुटुम्ब का होता है, उसी प्रकार पत्नी भाव यानि कि सातवें भाव से दूसरा भाव अर्थात् आठवा भाव पत्नी के कुटुम्ब का है जिससे व्यक्ति के ससुराल के बारे में जाना जाता है। नौवें भाव से साले के बारे में जाना जाता है। जिस प्रकार जातक की कुण्डली में तीसरा भाव (स्वयं से) छोटे भाई का है, उसी प्रकार पत्नी भाव अर्थात् सातवें भाव से तीसरा भाव अर्थात् नौंवां भाव पत्नी के भाई (साले) का है। इसी प्रकार से अन्य पारिवारिक रिश्तों को देखना व समझना चाहिए।
दसवें भाव से पिता के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
ग्यारहवें भाव से बड़े भाई के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
बारहवें भाव से चाचा के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। पिता भाव अर्थात् दसवें भाव से तीसरा भाव अर्थात् बारहवां भाव पिता के छोटे भाई अर्थात् चाचा का होता है।
जिस प्रकार जातक की कुण्डली में चौथा भाव मां का तथा दसवां पिता का होता है, उसी प्रकार सप्तम पत्नी भाव से चौथा भाव, अर्थात् दसवां भाव पत्नी की मां, सास का तथा पत्नी भाव से दसवां भाव अर्थात चौथा भाव पत्नी के पिता, ससुर का होता है।
जिस प्रकार जातक की कुण्डली में छठा भाव शत्रु का होता है, उसी प्रकार पत्नी भाव, सातवें भाव से छठा भाव अर्थात् बारहवां भाव, पत्नी की शत्रु अर्थात् सौतन का होता है।

सियासी मियार की रीपोर्ट