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कविता : कोई बात नहीं

कविता : कोई बात नहीं

-विनोद सिल्ला-\

जब मैं गया
किसी कार्यवश
स्‍वर्णों की बस्‍ती में
औपचारिकतावश
वो लेकर आए पानी
मैंने की जाहिर
पानी की अनिच्‍छा
तो उन्होंने
दिखाई दरियादिली
कहने लगे
“कोई बात नहीं”
पी लो पानी
उनके शब्द “कोई बात नहीं”
गूंजते रहे
मेरे कानों में
वर्षों तक
और आज भी
रहे हैं गूंज।।

सियासी मियार की रीपोर्ट