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कर्म हों अच्छे तो कुछ न बिगाड़े शनि ग्रह

कर्म हों अच्छे तो कुछ न बिगाड़े शनि ग्रह

-ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय-

प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति का नज़रिया महत्वपूर्ण होता है, अगर सकारात्मक नज़रिए से ज्योतिष शास्त्र का प्रयोग एवं सहायता ली जाए तो निश्चित ही ज्योतिष शास्त्र में वर्णित उपाय व्यक्ति का मार्गदर्शन करते हुए सुख-समृद्धि की अनंत संभावनाओं के द्वार खोल देते हैं। ज्योतिष विद्या बड़ी ही रोचक है, कुछ लोग इसे विज्ञान का दर्जा देते हैं, तो कुछ लोग अंधविश्वास की श्रेणी में रखते हैं।

शनिदेव
जो व्यक्ति अपनी जन्मकुंडली दिखाने ज्योतिषी के पास जाता है, उसे ज्योतिष शास्त्र में ‘जातक’ कहा जाता है। ज्योतिषी और जातक के बीच में एक बड़ा ही प्रसिद्ध रोचक दृष्टान्त वर्षों से सुनते आ रहे हैं, जिसमें एक व्यक्ति जो कर्म को प्रधान मानता है, जिसको लगता है, करोड़ो-अरबों किलोमीटर दूर स्थित ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव व्यक्ति के उपर किसी भी प्रकार से नहीं पड़ सकता है, लेकिन वर्तमान में कष्ट होने पर वह बेमन से एक ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता पंडित जी के पास पहुंचता है।

पंडितजी ने एक क्षण कुंडली पर नजर डाली और बोले ‘यजमान! आपका शनि खराब है, अनिष्टकारक साढ़ेसाती चल रही है।’
जातक ने कहा, ‘पंडित जी! शनि पीड़ा से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?’
पंडित जी बोले, ‘बच्चा! नीलम रत्न धारण कर जिससे शनि का दुष्प्रभाव मिटेगा और कार्यों में सफलता मिलेगी।’
जातक बोला, ‘महाराजजी, नीलम तो बहुत महंगा रत्न है, कम से कम साठ-सत्तर हजार का आएगा, मेरी इतनी हैसियत नहीं है।’
पंडितजी बोले, ‘तो फिर बच्चा! नीलम की जगह शनि का उपरत्न प्राण-प्रतिष्ठा और अभिमंत्रित कराकर धारण कर।’
जातक ने कहा, ‘इसमें करीब पंद्रह-सोलह सौ रूपए का खर्च है, रत्न खरीदना, चांदी में बनवाना, प्राण-प्रतिष्ठा करवाना, महाराजजी कोई सस्ता उपाय बताएं।
पंडित जी ने फिर सुझाया, ‘तो बच्चा तुला दान कर दो।’
उस जातक ने हिसाब लगाया कि उसका अपना वजन साठ-सत्तर किलो है। छोटा-मोटा अनाज भी दान करेगा तो सात-आठ सौ रूपये का खर्च आएगा। कुछ सोचकर वह व्यक्ति बोला कि, ‘महाराजजी यह भी मुश्किल है।’
पंडितजी ने कहा, ‘शनि के तांत्रिक मंत्र का जप करवा लो, पांच सौ इक्यावन रूपए का खर्चा आएगा।’
जातक बोला, ‘महाराज जी इधर कुछ वर्षों से काम-धंधा ठप्प है, शनि शांति का कोई और उपाय करें।’
पंडित जी बोले, ‘तुला दान आदि नहीं कर सकते तो शनि यंत्र ले जाओ, दो सौ इक्यावन रूपए में काम बन जाएगा’
जातक ने कहा, ‘महाराज जी, कोई और उपाय बताइए यह भी मेरे बस की बात नहीं है।’
पंडित जी बोले, ‘चल कोई बात नहीं, यह घोड़े की नाल ही ले ले, इक्कीस रूपए की है।’
जातक ने थोड़ा सोचा और धीरे से जेब में हाथ डाला, जैसे रूपए निकाल रहा हो। फिर खाली हाथ बाहर निकाल लिया। कहने लगा, ‘पंडितजी, अभी तो एक पैसा भी नहीं है, उधार दे दीजिए, जब शनि दूर हो जाएगा, कामकाज चलने लगेगा तो मैं चुका दूंगा।’
पंडित जी ने अंत में परेशान होकर बोला, ‘तो जा बच्चा! जब तेरे पास कुछ है ही नहीं तो तु क्यों परेशान है, तेरा क्या बिगाड़ेगा शनि!!’
यह तो एक कथा है, वास्तविक जीवन में अगर व्यक्ति अपने कर्म अच्छे रखता है, ईमानदारी एवं परिश्रम से ही धनोपार्जन करता है, तो उसे शनि से कदापि डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि परिश्रमी, मेहनती एवं नेक कर्म करने वालों के लिए शनि सहायक है। अगर आप शनि से पीड़ित हैं तो शनि संबंधित उपाय किसी गुरू के सानिध्य में करें और अपने कर्म अच्छे करें तो फिर आप भी खुशी-खुशी कह सकते हैं कि ‘मेरा क्या बिगाड़ेगा शनि!!’

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