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आरबीआई ने थोक जमा की सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये की.

आरबीआई ने थोक जमा की सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये की.

मुंबई, 07 जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को थोक सावधि जमा की सीमा मौजूदा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने की घोषणा की।

थोक सावधि जमा पर खुदरा सावधि जमा की तुलना में थोड़ा अधिक ब्याज मिलता है, क्योंकि बैंक अपनी नकदी प्रबंधन प्रक्रिया के तहत अलग-अलग दरें प्रदान करते हैं।

अब अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के पास दो करोड़ रुपये तक की एकल रुपया सावधि जमा, खुदरा सावधि जमा का हिस्सा होगी।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक नीति की घोषणा करते हुए शुक्रवार को कहा कि थोक जमा सीमा की समीक्षा के संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) और एसएफबी के लिए ‘‘तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा’’ के रूप में थोक जमा की परिभाषा को संशोधित करने का प्रस्ताव है।

इसके अलावा, स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिए थोक जमा सीमा को ‘‘एक करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा’’ के रूप में परिभाषित करने का भी प्रस्ताव है, जैसा कि आरआरबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) के मामले में लागू है।

कारोबार को सुगम बनाने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के तहत वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात और आयात के लिए दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव भी किया है।

दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बदलती स्थिति को देखते हुए तथा विदेशी मुद्रा विनियमन के प्रगतिशील उदारीकरण के अनुरूप वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात और आयात पर मौजूदा फेमा दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इससे कारोबार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा। अधिकृत डीलर बैंकों को परिचालन में अधिक जुझारू क्षमता मिलेगी। हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए जल्द ही मसौदा दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।’’

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के संबंध में दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान परिवेश में नेटवर्क स्तर की खुफिया जानकारी और तत्काल आधार पर आंकड़ों को साझा करने के लिए एक डिजिटल भुगतान आसूचना मंच स्थापित करने का प्रस्ताव है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर एक एक प्रणाली-व्यापी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, डिजिटल भुगतान परिवेश में नेटवर्क स्तर की खुफिया जानकारी और तत्काल आधार पर आंकड़ों को साझा करने के लिए एक डिजिटल भुगतान आसूचना मंच स्थापित करने का प्रस्ताव है। इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने मंच की स्थापना के विभिन्न पहलुओं की जांच करने के लिए एक समिति गठित की है।’’

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने हाल के वर्षों में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई अग्रणी पहल की हैं। ऐसी ही एक प्रमुख पहल वैश्विक हैकाथॉन ‘‘ हार्बिंगर – बदलाव के लिए नवाचार’’ है।

उन्होंने बताया कि हैकाथॉन के पहले दो संस्करण क्रमशः वर्ष 2022 और 2023 में पूरे किए गए।

दास ने कहा कि वैश्विक हैकाथॉन का तीसरा संस्करण ‘हार्बिंगर 2024’ जल्द ही पेश किया जाएगा। इसके दो विषय ‘शून्य वित्तीय धोखाधड़ी’ और ‘दिव्यांगों के अनुकूल होना’ होंगे।

सियासी मियार की रीपोर्ट