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दिमाग को कंप्यूटर जैसा बनाने के लिए खाने पर दें ध्यान, ये तेल खाना है फायदेमंद..

दिमाग को कंप्यूटर जैसा बनाने के लिए खाने पर दें ध्यान, ये तेल खाना है फायदेमंद..

सुनना, देखना, देखकर समझना, चलना, फिरना, सोचना, ऐसे तमाम काम हमारा दिमाग करता है। कब क्या बोलना है, कितना बोलना है, क्या नहीं बोलना, इन सभी बातों का फैसला भी दिमाग ही करता है। कई बार हम छोटी-छोटी बातों पर भी बड़ा रीऐक्शन देने लगते हैं। सड़क पर ज़रा-सी बात पर हम गाली-गलौज पर उतारू हो जाते हैं। इसी तरह घर में भी कई बातों पर ओवर रीऐक्ट करने लगते हैं।

इससे हर कोई तनाव में रहने लगता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब किसी वजह से हमारे दिमाग का रिदम कुछ बिगड़ता है। सामान्य शब्दों में कहें तो हमारा दिमाग कूल नहीं रहता। ऐसा न हो, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। इनसे न सिर्फ हमारी ज़िंदगी पटरी पर रहेगी बल्कि हमारी सोचने की शक्ति, तार्किक शक्ति, फैसला लेने की क्षमता, सभी में इज़ाफा होगा।

हल्दी और अदरक

इन दोनों को अपने खाने का हिस्सा ज़रूर बनाएं। खासकर हर दिन 1 से 2 ग्राम (1 से 2 चुटकी) हल्दी दिमाग के लिए अच्छी है। इससे ज्यादा की ज़रूरत नहीं। वहीं अदरक खाने से भी हमारे दिमाग को काफी फायदा होता है। हालांकि अदरक का सेवन सर्दी में ज्यादा और गर्मी में कुछ कम होना चाहिए। इनकी जितनी मात्रा हमें हर दिन चाहिए, वह हमारे घरों में मसालों से मिल जाता है।

नॉनवेज़
इससे जितनी दूरी रखेंगे, उतना फायदा होगा। वैसे भी नॉनवेज़ खाकर हम कुदरत पर अतिरिक्त बोझ ही डालते हैं। खासकर रेड मीट खाने से बचना चाहिए। अगर मन न माने तो महीने, दो महीने में एक बार खा सकते हैं।

तेल और घी
सरसों, कनोला का तेल बढ़िया: ये पॉलिअनसेचुरैटिड फैट(पूफा) हैं। ये दिमाग के लिए भी बढ़िया हैं। इन्हें खाने में शामिल करना चाहिए।

घी: देसी घी की कुछ मात्रा यानी आधा चम्मच हर दिन ले सकते हैं।

हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
ये सेहत के लिए अच्छी हैं, लेकिन इन्हें सही तरीके से साफ करना बेहद ज़रूरी है। हरी सब्जियों में टेपवर्म के अंडे की मौजूदगी हो सकती है। इस वजह से इन्फेक्शन हो जाता है। यह इन्फेक्शन जब दिमाग तक पहुंच जाता है तो बेहोशी भी आ सकती है। इसलिए पत्तेदार सब्जियों को अच्छी तरह से साफ करके और पकाकर खाएं तो बेहतर है।

चीनी की जगह गुड़ बेहतर

चीनी एडिक्शन पैदा करती है। इसकी सफाई में केमिकल इस्तेमाल होता है। ज्यादा शुगर लेने से कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है। इसलिए इससे दूरी बनाएं। इसकी जगह गुड़ बेहतर है। कुछ मात्रा में मीठा लेना ही हो तो इन्हें ले सकते हैं। दिन के 2 बजे के बाद कॉफी या चाय न लें। इनमें कैफीन होता है जो हमारी नींद भगाता है।

नींद पूरी करें

हर दिन यानी 24 घंटे में 7 से 8 घंटे की नींद बेहद ज़रूरी है। दरअसल, हम बाकी 16 से 17 घंटे में जो भी काम करते हैं, वह नींद के दौरान ही हमारी मेमरी के रूप में सेव होता है। यही कारण है कि जब किसी की नींद खराब होती है तो उसकी मेमरी भी डिस्टर्ब हो जाती है। कई लोगों को जॉब या दूसरी वजहों से अगर रात 9 बजे से सुबह 4-5 बजे के बीच सोना मुमकिन न हो तो बाद में लगातार 7 से 8 घंटे तक सोकर अपनी नींद पूरी कर लेनी चाहिए।

स्ट्रेस है नींद का दुश्मन

नींद आने में परेशानी की सबसे बड़ी वजह है तनाव। वैसे ज़िंदगी के लिए कुछ स्ट्रेस ज़रूरी है, लेकिन जब इससे रोजमर्रा का रुटीन बिगड़ने लगे, तब हल ज़रूर खोजना चाहिए। ध्यान करने से तनाव कम होता है। अपनी सांसों को आते-जाते महसूस करना। ध्यान के दौरान अपने विचारों
को अलग होकर देखना।

स्ट्रेस की कई वजह से नहीं आती नींद

लेबलिंग: अगर किसी शख्स को किसी खास हालात में गुस्सा आया हो तो हम यह कहने लगते हैं कि वह शख्स गुस्सैल है जबकि वह किसी खास स्थिति में ही आगबबूला हुआ था। इससे लोगों को स्ट्रेस होता है।

क्या है उपाय: लेबल से ऊपर उठकर दूसरे शख्स से ताज़ा दिमाग के साथ बर्ताव करें।

ओवरथिंकिंग: सोच का सिलसिला शुरू हुआ तो रुकने का नाम नहीं लेता। फिर बेड पर मिनटों नहीं, घंटों यों ही करवटें बदलते हुए बीत जाते हैं।
क्या है उपाय: हमें 15 से 30 मिनट के भीतर नींद आ जानी चाहिए। अगर 30 मिनट से ज्यादा वक्त लग रहा है तो बेड से उठें और जो सबसे बोरिंग काम हो, उसे करें या किताब पढ़ना शुरू कर दें। ध्यान रखें कि टीवी या मोबाइल न देखें।

मल्टिटास्किंग: टीवी या मोबाइल देखते हुए खाना खाना, मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना। इनसे ध्यान बिखरती है। काम अधूरे रह जाते हैं।
क्या है उपाय: कोशिश होनी चाहिए कि एक बार में एक काम को पूरा ध्यान लगाकर पूरा करें। सोने से पहले अपने अधूरे कामों के बारे में डायरी में लिखें कि मैं अपने …. काम कल कर लूंगा।

मोबाइल, लैपटॉप, टीवी की लत: कई बार मोबाइल देखते वक्त कुछ ऐसा देख लेते हैं कि नींद गायब हो जाती है यानी हम तनाव में होते हैं। क्या है उपाय: सोने जाने से कम से कम 30 मिनट पहले स्क्रीन से दूरी बना लें तो बेहतर है।

तकिया और बेड बदलना: यह भी नींद में बाधा पैदा होने की वजह हो सकती है।
क्या है उपाय: किसी नई जगह पर जाना हो तो अपनी चादर और तकिये का कवर साथ ले जाएं।

शरीर चलाएं, दिमाग दौड़ेगा

ब्रेन की क्षमता को मज़बूत करने में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक सेहत पर ध्यान देना भी काफी अहम है।
वॉक करना: हर दिन 20 मिनट से ज्यादा ब्रिस्क वॉक करें। यह वॉक पार्क में, पैदल चलने वाले रास्तों पर होना चाहिए। सड़क पर वॉक करने की मजबूरी हो तो ट्रैफिक की उलटी दिशा में चलें ताकि सामने से गाड़ी आती दिखे।
एक्सरसाइज़ करें: हर दिन 10 से 15 मिनट एक्सरसाइज़ करें। यह मसल्स की मज़बूती के लिए होनी चाहिए यानी वेट ट्रेनिंग और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ करें।
डांस: यह भी बढ़िया फिजिकल ऐक्टिविटी है। हर दिन 5 से 10 मिनट डांस करना भी काफी है। नए-नए डांस सीखने और डांस करने से पार्किसन बीमारी में भी फायदा होता है।
साइकलिंग: यह बेहतरीन एक्सरसाइज़ है। हर दिन 30 मिनट साइकलिंग करने से पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।
लगातार नहीं बैठना: लगातार बैठना स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। हर 20 मिनट में 3 से 5 मिनट के लिए अपनी सीट से उठें और कुछ दूर चलें। घर हो या ऑफिस, इसका ध्यान रखें।
स्विमिंग: यह भी अच्छी फिज़िकल ऐक्टिविटी है। गर्मियों में हर दिन 10 से 20 मिनट स्विमिंग करना काफी है।

नई चीज़ें सीखना

दिमाग की सीमाओं के विस्तार के लिए यह ज़रूरी है कि हम कुछ नया सीखने की कोशिश करें।

नई भाषा सीखना
कोई नया इंस्ट्रूमेंट (वाद्य यंत्र) बजाना
चुनौतीपूर्ण ऐक्टिविटीज़ मसलन: पजल्स, सुडोकू खेलना

इनसे दूरी है ज़रूरी
नीचे बताई हुई चीज़ें हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत को कमज़ोर करती हैं:

स्मोकिंग: ब्रेन को कमज़ोर करने में स्मोकिंग की बड़ी भूमिका होती है। इसलिए इससे दूरी बनाएं।
अल्कोहल: शराब से दूर रहना ज़रूरी है।
ड्रग्स: ये भी दिमाग पर गहरा असर डालती हैं।
कुछ ऐलोपैथिक दवाएं: ऐसी दवाएं जिनकी लत लग जाती है। मसलन: एंटासिड्स (पेट में गैस की दवाएं), पेनकिलर आदि।

लंबी उम्र का राज़

  1. फिज़िकल ऐक्टिविटी जीवन का अहम हिस्सा होना चाहिए।
  2. दूसरों के साथ मधुर संबंध हों यानी स्ट्रेस बहुत कम रखें।
  3. करीबियों से दिल की बातें शेयर करते रहें।
  4. ‘मैं’ नहीं ‘हम’ पर सहमति होनी चाहिए। न्यूक्लियर नहीं, जॉइंट फैमिली वाली बात होनी चाहिए।
  5. दुनिया में ऐसी भी कम्यूनिटी हैं, जहां रहनेवाले लोग लंबी उम्र (औसतन 90-100 साल) जीते हैं। इन्हें ब्लू ज़ोन्स कहते हैं। अगर ऊपर बताई गई ज्यादातर बातों को फॉलो किया जाए तो ब्लू ज़ोन्स कहीं भी बनाए जा सकते हैं।

ब्रेन की मज़बूती के लिए ये उपाय भी कारगर

आराम की स्थिति से बाहर निकलना: जब हम एक ही तरह के काम लगातार करते हैं तो वह हमारी आदत में शामिल हो जाता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हम किसी रास्ते पर बरसों से गाड़ी ड्राइव करते हों तो हमें वह काम बहुत आसान लगता है। इसलिए कुछ नया सीखने की कोशिश होनी चाहिए। अपनी पसंद के काम से बाहर निकलना ज़रूरी है।

ब्रेन डंपिंग: अगर कोई काम अधूरा है तो हम उस समस्या के बारे में 4 से 5 लाइनें लिख लें कि क्या करना है? कैसे करना है? आदि। इससे यह होगा कि वह समस्या या अधूरा काम हमें परेशान नहीं करेगा। दूसरे दिन के लिए भी हमारा स्ट्रेस कम हो जाएगा। लिखने से काम हल्का लगता है। दिमाग भी शांत रहेगा और नींद भी सही आएगी।

छोटी-छोटी सीमा तय करें: अगर कोई बड़ा काम है और उसे एक बार में ही पूरा करने के बारे में सोचेंगे तो बहुत मुश्किल लगेगा। लेकिन जब उसी काम को टुकड़ों में बांट लेंगे कि इतनी देर में इतना ही हिस्सा खत्म करना है और इसके बाद इतना हिस्सा तो वह काम पूरा करना बहुत आसान हो जाएगा।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

सियासी मियार की रेपोर्ट