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बीते सप्ताह सरसों, पाम-पामोलीन, बिनौला में सुधार, सोयाबीन, मूंगफली में गिरावट..

बीते सप्ताह सरसों, पाम-पामोलीन, बिनौला में सुधार, सोयाबीन, मूंगफली में गिरावट..

नई दिल्ली, 04 अगस्त बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल-तिलहन, पाम एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दिखा, जबकि सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कम हो रही है और जुलाई में सभी खाद्य तेलों को मिलाकर लगभग 19 लाख टन के सस्ते आयात के कारण सरसों तेल के पेराई के बाद बेपड़ता होने की वजह से अब पेराई मिलें बंद हो रही हैं। सरसों की जो आवक पहले लगभग 3-3.25 लाख बोरी की हो रही थी वह समीक्षाधीन सप्ताह के अंत में घटकर लगभग 2.60 लाख बोरी रह गई। आवक की कमी और आगामी त्योहारी मांग के मद्देनजर सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार रहा।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के मामले में स्थिति एकदम उलट है। देश के सोयाबीन उत्पादक किसान सस्ते आयातित तेलों की बाढ़ के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 10 प्रतिशत नीचे दाम पर 4,200-4,250 रुपये क्विंटल के भाव इसे खुले में बेच रहे हैं। सरकार ने सोयाबीन की अगली फसल का एमएसपी अभी के 4,600 रुपये क्विंटल से बढ़ाकर 4,920 रुपये क्विंटल किया है। आयातित सोयाबीन तेल के थोक दाम सस्ता रहने के कारण जब 4,600 रुपये क्विंटल वाला देशी सोयाबीन नहीं खप रहा है तो 4,920 रुपये क्विंटल वाला सोयाबीन कहां और कैसे खपेगा? इस बात की चिंता की जानी चाहिये।

उन्होंने कहा कि बायोडीजल निर्माण में सोयाबीन के उपयोग पर अंकुश की खबर के बाद विदेशों में सोयाबीन के दाम काफी टूटे हैं। इसके अलावा सभी खाद्य तेलों को मिलाकर लगभग 19 लाख टन का जो आयात जुलाई के महीने में हुआ उससे सोयाबीन पर भी दबाव बढ़ा है। इन्हीं कारणों से सोयाबीन तेल-तिलहन में बीते सप्ताह गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पर पहले से ही दबाव रहा है लेकिन जरूरत से अधिक खाद्य तेलों के आयात के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है जो मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है। मूंगफली तेल हमारे देश में अभी धनी लोगों का आहार बन गया है। कम से कम मूंगफली का बाजार बनाकर रखा जाना चाहिये। सस्ते आयातित तेलों के आगे इसका दाम बेपड़ता रहने से मूंगफली का उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह मलेशिया में सीपीओ का दाम 970 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 985-990 डॉलर प्रति टन हो गया। लागत से कम दाम पर बिकवाली करने से इन तेलों का थोक दाम सस्ता है पर खुदरा में यह महंगा बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि बिनौले में कामकाज लगभग खत्म है और इसके भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताहांत में इसमें सुधार दिखा।

सूत्रों ने कहा कि कांडला बंदरगाह पर लगभग 2.5 लाख टन खाद्य तेलों से लदे जहाज पिछले लगभग नौ दिन से खड़े हैं और उन को खाली करने में दिक्कत आ रही है। खाद्य तेलों के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने इन दिक्कतों को देखते हुए सरकार से खाद्य तेलों को खाली करने के लिए और बर्थ बनाने की मांग की है।

सूत्रों ने कहा कि जुलाई में सभी खाद्य तेलों को मिलाकर लगभग 19 लाख टन के रिकॉर्ड आयात को लेकर किसी को हैरत नहीं है कि इस अत्यधिक आयात की वजह क्या है और इसे नियंत्रित करने की जरूरत भी है या नहीं। अगर नहीं है तो खाद्य तेलों के मामले में केन्द्रीय बजट में आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा जताना व्यर्थ साबित होगा। जब देशी तेल-तिलहन खपेंगे ही नहीं और सस्ता आयात जारी रहेगा तो फिर देश में खाद्य तेल-तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता कहां से होगी?

सूत्रों ने कहा कि देश के तेल-तिलहन उद्योग की हालत बुरी है और सरकार को समय रहते कोई रास्ता ढूंढ़ना होगा ताकि देशी तेल-तिलहन उद्योग खड़ा रह सके।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये बढ़कर 5,900-5,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 100 रुपये बढ़कर 11,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,875-1,975 रुपये और 1,875-2,000 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 25-25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,450-4,470 रुपये प्रति क्विंटल और 4,260-4,385 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 20 रुपये, 170 रुपये और 20 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,180 रुपये, 9,780 रुपये तथा 8,480 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

ऊंचे दाम पर कारोबार सुस्त रहने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई। मूंगफली तिलहन 100 रुपये की गिरावट के साथ 6,450-6,725 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 150 रुपये की गिरावट के साथ 15,550 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 2,325-2,625 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

दूसरी ओर, कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 165 रुपये का सुधार दर्शाता 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 175 रुपये की मजबूती के साथ 9,850 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 175 रुपये के सुधार के साथ 8,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 9,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सियासी मियार की रीपोर्ट