चीन के बराबर प्रोत्साहन ई-वाणिज्य निर्यात को 350 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लिए जरूरी: जीटीआरआई..
नई दिल्ली, 05 अगस्त । भारत को ई-वाणिज्य के जरिये अपने निर्यात को 2030 तक बढ़ाकर 350 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए कुछ सीमा शुल्क तथा बैंकिंग नियमों में सुधार, ऋण तक पहुंच और चीन के समान प्रोत्साहन जैसे कदम उठाने होंगे।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव(जीटीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में दो अलग-अलग प्रकार के ई-वाणिज्य निर्यात प्रत्यक्ष निर्यात और विदेशी गोदाम मॉडल को समर्थन देने के लिए अलग-अलग विनियमन तथा परिवेश बनाना, प्रमुख विदेशी शहरों में गोदाम खोलने के लिए कंपनियों को समर्थन देना; भौतिक पोत परिवहन के बराबर निर्यात प्रोत्साहन; विपणन समर्थन और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) के लिए क्षेत्रीय केंद्रों के निर्माण का सुझाव दिया।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘चीन के ई-वाणिज्य निर्यात (2023 में 330 अरब अमेरिकी डॉलर) का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा तेजी से आपूर्ति के लिए विदेशी गोदामों का इस्तेमाल करता है। उनके पास विशेष नियम और सहायता प्रणालियां हैं जो उनके ई-वाणिज्य क्षेत्र को बढ़ने में मदद करती हैं। यदि हम इसी तरह के उपाय नहीं अपनाएंगे तो हमारा ई-वाणिज्य निर्यात 2030 तक केवल 25 अरब अमेरिकी डॉलर तक ही पहुंच पाएगा, जबकि इसमें 350 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है।’’
रिपोर्ट में कहा गया, घरेलू क्षेत्र वर्तमान में विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहा है और चीन, कोरिया, जापान तथा वियतनाम में सफल ई-वाणिज्य नीतियों ने कई कंपनियों को वैश्विक स्तर पर बिक्री करने में मदद की है। भारत को भी एक ई-वाणिज्य निर्यात नीति लाने और ऐसे कदम उठाने की जरूरत है।
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