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नींद पूरी न होना कई गंभीर बीमारियों का बढ़ा देती है खतरा, ऐसे लक्षण हैं तो हो जाइए अलर्ट..

नींद पूरी न होना कई गंभीर बीमारियों का बढ़ा देती है खतरा, ऐसे लक्षण हैं तो हो जाइए अलर्ट..

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, स्वस्थ आहार और व्यायाम की तरह अच्छी नींद की भी जरूरत होती है। वयस्कों को रात में 6-8 घंटे की निर्बाध नींद लेने की सलाह दी जाती है। अगर किसी कारणवश आप एक रात भी नींद पूरी नहीं कर पाते हैं तो अगले दिन थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। वहीं अगर नींद की यह समस्या अक्सर बनी रहती है तो इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने से लेकर शरीर में और भी कई प्रकार की दिक्कतों का खतरा हो सकता है।

जिन लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती या फिर अनिद्रा जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं, उनमें इसके दुष्प्रभाव दिखने लगते हैं। अगर आप भी नींद न आने या अच्छी नींद न ले पाने की समस्याओं से परेशान हैं तो इस बारे में किसी डॉक्टर से मिलकर समस्या का सही निदान और इलाज जरूर कराएं। कई बार यह अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकती है।

नींद पूरी न होने का असर
जो लोग रात में अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं उन्हें निर्णय लेने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन और दिन के समय काम में मन न लगने की दिक्कतें हो सकती हैं। नींद संबंधी विकारों के कारण अक्सर दिन में थकान महसूस होते रहने, अनियमित श्वास की समस्या या एकाग्रता की कमी होने लगती है। अगर कुछ दिनों से नींद पूरी नहीं हो पा रही है तो इसके कारण व्यवहार से संबंधित समस्याएं जैसे चिड़चिड़ापन और अधिक गुस्सा आते रहने की भी दिक्कत हो सकती है।

स्ट्रेस-एंग्जाइटी का खतरा
नींद विकार-अनिद्रा के शिकार लोगों में समय के साथ मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विकारों का जोखिम भी बढ़ सकता है। ऐसे लोगों में एंग्जाइटी-स्ट्रेस की समस्या होना काफी आम है जो डिप्रेशन के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। रोज बनी रहने वाली नींद की कमी भी मोटापा, मधुमेह-हृदय रोग के साथ जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। बच्चों में नींद की कमी, सीखने की क्षमता, याददाश्त और व्यक्तित्व परिवर्तन का भी कारण बन सकती है।

नींद विकारों के इन लक्षणों के बारे में जानिए

यदि आप इन लक्षणों में से दो या इससे अधिक समस्याओं का अनुभव करते हैं तो आपको स्लीप डिस्ऑर्डर हो सकता है। जिसपर गंभीरता से ध्यान देने और इलाज की जरूरत होती है।

टीवी देखते समय या पढ़ते समय थोड़ी देर में ही नींद आने लगना।
काम-पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना।
काम के प्रदर्शन में कमी आना।
अक्सर दूसरों का कहना- तुम नींद में दिख रहे हो
याददाश्त में कमी महसूस करना।
अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने में कठिनाई होना।
दिन में बहुत तेज नींद आना।

(नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।)

सियासी मियार की रीपोर्ट