खाद्य सामग्री में मिलावट का पता लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश में स्थापित होंगी फॉरेन्सिक इकाई..
शिमला। हिमाचल प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच करना और खाद्य जनित बीमारियों के कारणों का पता लगाना अब मुश्किल काम नहीं होगा क्योंकि राज्य सरकार ने इसके लिए प्रदेश में खाद्य फॉरेंसिक इकाई स्थापित करने की मंजूरी दे दी है।
स्थापना के बाद यह गुजरात के बाद देश की दूसरी खाद्य फॉरेंसिक इकाई होगी।
राज्य फॉरेंसिक सेवाओं की निदेशक मीनाक्षी महाजन ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पाद समय की मांग हैं और फॉरेंसिक इकाई में चीनी की मात्रा, कीटनाशकों आदि की जांच की जाएगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किए जा रहे राशन के नमूनों की भी जांच की जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘स्थापित होने के बाद यह गुजरात के बाद देश की दूसरी खाद्य फॉरेंसिक इकाई होगी। प्रयोगशाला शिमला के पास जुंगा में राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला या मंडी या धर्मशाला में क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं के पास स्थापित की जा सकती है।’’
महाजन ने बताया कि विभाग एक आत्मनिर्भर इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव भी देगा, जहां औद्योगिक नमूनों की भी जांच की जा सकेगी।
शिमला में मंगलवार को हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक विज्ञान विकास बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि विभाग के प्रभावी संचालन के लिए फॉरेंसिक व्यवहार विश्लेषण इकाई, खाद्य फॉरेंसिक इकाइयां तथा अन्य नई इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
महाजन के मुताबिक फॉरेंसिक खाद्य इकाइयों से खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों की मात्रा, रसायनिक शर्करा और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अन्य तत्वों की पहचान करने में मदद मिलेगी और मौत के मामले में दोषियों को सबूतों के साथ गिरफ्तार किया जा सकेगा।
निदेशक ने कहा कि खाद्य फॉरेन्सिक इकाई की मदद से खाद्य पदार्थों में स्टीरॉयड के मिश्रण का भी पता लगाया जा सकेगा।
सियासी मियार की रीपोर्ट