चिंता और चिंतन जरूरी, पर निराश और भयभीत क्यों: प्रो. चावला…
अमृतसर, 29 अगस्त ।
पंजाब की पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रो लक्ष्मीकांता चावला ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कोलकता में डाक्टर महिला के यौन शोषण और उसकी हत्या तथा देश में अन्य हजारों बेटियों के साथ अपराध से व्यथित होकर जो अपनी पीड़ा व्यक्त की है, वह महत्वपूर्ण है लेकिन उनसे आशा है कि वह ऐसा संदेश दें कि उनके रहते भारत की किसी भी बेटी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं और निराश तो कभी होना ही नहीं चाहिए।
प्रो. चावला ने कहा कि आज की स्थिति तो यह है कि लगभग 100 बेटियां— किसी भी आयु की प्रतिदिन इसी उत्पीड़न और शोषण का शिकार होती हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से निवेदन किया कि वह चिंता भी करें, चिंतन भी करें। उनका चिंतन पूरे देश को रास्ता देगा, पर वह उनसे आशा रखती हैं कि वे यह संदेश दें कि उनके रहते भारत की किसी भी बेटी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं और निराश तो होना ही नहीं चाहिए। जब देश विश्वास और आशा के साथ चलेगा तो भारत देश में महिला उत्पीड़न का जो काला अध्याय लिखा जा रहा है, उससे देश की बेटियां मुक्त होंगी। पूरा देश चाहता है कि इस अपराध, पाप से भारत को मुक्त किया जाए।
पूर्व मंत्री ने कहा कि भारत की सभी महिलाओं को राष्ट्रपति जी यह संदेश अवश्य दें कि अपने घर के हर पुरुष से संकल्प और शपथ ली जाए कि वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस लगे। वैसे जिस देश में रेड लाइट एरिया अर्थात वेश्यालय चलते हैं, डांस बार में महिलाओं के हाथ से शराब लेकर नशे से झूमते हैं, फैशन मेलों में उनके अर्ध नग्न शरीरों का प्रदर्शन होता है वहां राष्ट्रपति जी को स्वयं संज्ञान लेकर ऐसे सभी काम बंद करवाने चाहिए जहां कामुकता बढ़ायी जाती है और महिलाओं को व्यक्ति नहीं, वस्तु समझा जाता है।
सियासी मियार की रीपोर्ट