बांधवगढ़ में करें टाइगर्स के साथ एक मुलाकात

ऐसा माना जाता है कि बांधवगढ़ सफेद बाघों का मूल निवास स्थान है। इतिहास से पता चलता है कि रीवा के महाराज बांधवगढ़ का इस्तेमाल शिकार के लिए करते थे। यहां की एक पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन किला भी इस बात का सुबूत है। रोचक बात यह है कि किला जंगल पर हावी नजर आता है। काफी पहले से ही इस जगह को नेशनल पार्क कहा जाता रहा है और कभी बांधवगढ़ दुनिया भर के शिकारियों की पसंदीदा जगह हुआ करता था। हालांकि अब सरकार ने बाघों को बचाने के लिए अवैध शिकार पर पाबंदी लगा दी है, जिससे धीरे-धीरे यहां बाघों की संख्या बढ़ रही है।
प्रकृति के बीच बांधवगढ़:- बड़े पैमाने पर जैव विविधता वाला बांधवगढ़ 1968 में नेशनल पार्क के रूप में जाना गया। यह जगह बाघों के लिए प्रसिद्ध है और भारत में सबसे ज्यादा बाघ यहीं हैं। बाघ के अलावा यहां बड़ी संख्या में तेंदुआ और हिरण की कई प्रजातियां है। इसके अलावा यहां कई दुर्लभ वन्यजीव भी पाए जाते हैं।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में चिड़ियों की 250 प्रजाति, स्तानापाई की 37 प्रजाति और तितलियों की करीब 80 प्रजाति के साथ कई तरह के सरीसृप भी हैं। पेड़-पौधों के मामले में भी बांधवगढ़ बेहद समृद्ध है। यहां साल, धोबिन, सलाई, साजा और अन्य कई तरह के वनस्पति पाए जाते हैं। समृद्ध वनस्पति और जीव-जंतु ही बांधवगढ़ पर्यटन की खास बात है। यहां के बाघ सहित दूसरे जानवरों और प्रकृति को करीब से देखने के लिए आपको कम से कम तीन दिन यहां बिताने होंगे।
बांधवगढ़ और आसपास के पर्यटन स्थल:- यहां आने वाले पर्यटक बांधवगढ़ किला और विंध्य की घाटियों की तारीफ किए बिना नहीं रह सकते हैं। यहां कई घाटियां है जो आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यह सभी घाटियां एक घास के मैदान पर जाकर खत्म होती है, जिसे स्थानीय लोग बोहेरा कहते हैं। यहां ताला नाम से एक गांव है, जिसे इस नेशनल पार्क का सबसे निचला स्थान माना जाता है। बांधवगढ़ मध्यप्रदेश का एक पसंदीदा पर्यटन स्थल है।
मध्यप्रदेश अपने 9 नेशनल पार्क और 25 अभ्यारण्य पर खूब इतराता है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित है बांधवगढ़ नेशनल पार्क। कोई आश्चर्य की बात नहीं कि इस राज्य को टाइगर स्टेट कहा जाता है, क्योंकि यहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां के बांधवगढ़ पहाड़, बांधवगढ़ की प्राचीन गुफाएं, ताला गांव, क्लाइंबर्स प्वाइंट, घारपुरी डैम, शेष शैय्या और घोराडेमांव जलप्रपात आपस में मिलकर बांधवगढ़ पर्यटन को समृद्ध बना देते हैं। यहां के बघेल म्यूजियम की प्रदर्शनी में अतीत की झलक देखी जा सकती है।
बांधवगढ़ का खान-पान:- मध्यप्रदेश पर्सियन और हिंदूस्तानी दोनों संस्कृति को अपने दामन में समेटे हुए है। यह यहां के खान-पान में भी दिखती है। अगर आपने बांधवगढ़ में भुट्टा की कीस, मावा-बाटी कबाब और खोपरापाक नहीं खाया तो फिर आप की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।
कैसे पहुंचे:-
सड़क मार्ग:- बांधवगढ़ सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से निजी और राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित अंतराल पर मिलती हैं। आसपास के शहरों से आप नेशनल पार्क के लिए जीप या एसयूवी भी बुक कर सकते हैं।
ट्रेन द्वारा:- बांधवगढ़ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन 37 किमी दूर कटनी में है। कटनी जंक्शन नई दिल्ली, बड़ोदरा, मुंबई, हावड़ा, बंगलुरु और चेन्नई सहित भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। कटनी रेलवे स्टेशन से बांधवगढ़ के लिए निजी और सरकारी बसें आसानी से मिल जाती हैं।
एयर द्वारा:- बांधवगढ़ का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर में है, जहां से मुंबई, इंदौर और नई दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें मिलती हैं। 195 किमी दूर स्थित जबलपुर से बांधवगढ़ के लिए बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है। आप चाहें तो उमरया से नेशनल पार्क पहुंचने के लिए प्राइवेट चार्टर का भी सहारा ले सकते हैं।
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