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आशीष मिश्रा को पूर्ण रूप से रिहा होने में लग सकता है…

आशीष मिश्रा को पूर्ण रूप से रिहा होने में लग सकता है…

लखनऊ, 11 फरवरी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले साल लखीमपुर खीरी हिंसा के एक आरोपी आशीष मिश्रा को भले ही जमानत दे दी हो, लेकिन उन्हें रिहा होने में अधिक समय लग सकता है। आदेश को करीब से देखने पर पता चलता है कि अदालत ने उन्हें उन सभी धाराओं में जमानत नहीं दी है, जिन पर उन पर आरोप लगाए गए हैं। लखीमपुर पुलिस द्वारा अदालत में दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि मिश्रा पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120 बी के साथ-साथ धारा 3/25, 5/27 और 39 शस्त्र अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं।। हालांकि, अदालत के आदेश ने उन्हें आईपीसी की धारा 147 148, 149, 307, 326 और 427 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 के तहत आरोपों के लिए जमानत दे दी। जमानत आदेश में आईपीसी की धारा 302 और 120 बी का कोई उल्लेख नहीं है। दोनों धाराएं क्रमश: हत्या और आपराधिक साजिश से संबंधित हैं। आशीष मिश्रा के वकील ने संवाददाताओं से कहा कि वह शुक्रवार को अपने मुवक्किल के लिए जमानत बांड दाखिल नहीं कर पाएंगे। वकील ने कहा कि वह आईपीसी की धारा 302 और 120 बी को शामिल करने के लिए जमानत आदेश में सुधार के लिए दायर करेंगे। सुधार के बाद ही वह जमानत के लिए फाइल करेंगे। पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। एसयूवी की चपेट में आने से चार किसानों की मौत हो गई। गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई, जिसने केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्षी दलों और किसान समूहों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया। इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आशीष मिश्रा के खिलाफ पुलिस द्वारा सूचीबद्ध कुछ आरोपों पर सवाल उठाया है, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी भी शामिल है। अदालत ने हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर के रूप में मारे गए लोगों का नाम लेते हुए कहा, तस्वीरों ने प्रदर्शनकारियों की क्रूरता को स्पष्ट रूप से प्रकट किया। आशीष मिश्रा को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश से विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया है। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) और राष्ट्रीय लोक दल ने नाराजगी व्यक्त की, जबकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंत्री के इस्तीफे की मांग को दोहराया। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने मिश्रा को जमानत देने पर ट्वीट किया, क्या व्यवस्था है! चार किसानों को कुचल दिया, चार महीने में जमानत मिल गई। बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने मंत्री के बेटे को जमानत देने के अदालत के आदेश को लोकतंत्र पर हमला बताया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने विपक्ष की इस मांग को दोहराया कि आरोपी के पिता को इस्तीफा दे देना चाहिए।

सियासी मियार की रिपोर्ट