Monday , September 23 2024

राजा-रानी की कहानी….

राजा-रानी की कहानी….

एक था राजा
उसकी थीं चार रानियां
और अनगिनत दासियां
प्रेम तो सबसे प्रदर्शित करता
एक से था कुछ ज्यादा ही लगाव
उसकी यह रानी
थी उसी के धर्म की
वह उसे थी अत्यधिक प्रिय
शेष को निबाह ही रहा था वह
दूसरी रानी थी सुंदर
थी वह पड़ोसी मुल्क के मजहब की
उसकी मजबूरी
अल्पसंख्यकों को खुश रखने की
तीसरी थी उसीके राज्य की
जिसको एक गुरु ने कर दिया था
अन्य धर्म में परिवर्तित
मुश्किल वक्त में दुश्मनों से
लड़ने की खातिर
चैथी का क्या कहना
विदेशियों ने गरीबों को अपने
धर्म का देकर सहारा
बना लिया था अपना
ऐसा था वह राजा
करता था जो अपने मन की ही बात
रहता कोशिश में
बनी रहें वे सारी दासियां पटरानियां ही
उसकी चहेती महारानी की
सफल भी हो रहा था
वह पुराना फेरी वाला
सीख ली थीं दो खासियतें
गणित मुनाफे का
दूजे-ले लो मेरा माल
जो है सबसे बढ़िया
फेरी लगाते-लगाते बन गया
एक सूबे का मुखिया
किसी ह……. की तरह
बोलता रहता लगातार
अपनी वस्तु को
भुनाने का विशेषज्ञ
यही भाषणबाजी गयी उसके पक्ष में
साथ लेकर उसकी अति महत्वाकांक्षा
अपने धर्म पर कुर्बान हो जाने की
उसकी चेमगोइयां
बन गया वह देश का राजा
बढ़ गया उसका वर्चस्ववाद
आ गया अब वह खुल कर सामने
लादने लगा अपनी प्रजा पर
औरंगजेब की मानिन्द
अपने संस्कारित सारे प्रवाद
हौले से सूझबूझ के साथ
सहयोगियों के माध्यम से
जारी करने लगा वह फरमान
कि अब तो मैं ही हूं
सर्व-शक्तिमान…
लोगो, मैं कहूंगा वही सब तुमको करना है
वही पहनो, वही खाओ, वही गाओ
और तो और वही पढ़ो-लिखो
जो मेरे धर्म को है मंज़ूर
वही है तुम्हारा भी धर्म
कहीं यह संकेत तो नहीं
आपात् काल की घोषणा
की भयंकरता की तरफ?
मैं एक अदना-सा कवि
जिसके पास न कोई बड़ा पुरस्कार
लौटाने हेतु
कर ही क्या सकता हूं सिवा
आह्वान उन तमाम पटरानियों, दासियों
उनके पुत्र-पुत्रियों से-
करें स्वयं को मजबूत
करें विरोध
किसी भी धर्म-परायण की कट्टरता का
अपने मौलिक धर्म को रखें याद
है वह इनसानियत का
बाकी सब फिजूल
कर लें संकल्प
छाया राष्ट्र पर यह धर्मांधता का संकट
जायेगा टल निश्चित ही
इतिहास गवाह है
अधिनायकत्व रहा सदा
सीमित समय तक
जनता ने उसे हरदम
फेंका है उखाड़!

सियासी मियार की रिपोर्ट