समुद्री डकैती के लिए कुख्यात सोमालिया को डकैती से बचने के गुर सिखाएगा पाकिस्तान..
समुद्री डकैती के लिए सोमालिया पूरी दुनिया में विख्यात है। करीब 18 साल पहले इन समुद्री डकैतों ने पूरे विश्व के लिए संकट खड़ा कर दिया था। जब हदें पार हुई तो 2017 में कई देशों ने मिलकर सोमालिया के समुद्री लुटेरों पर लगाम लगाने के प्रयास शुरू किए। लेकिन अब पाकिस्तान इसी सोमालिया को समुद्री डकैतों से बचने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है।
दुनिया में समुद्री डकैती के लिए कुख्यात सोमालिया को अब समुद्री डकैती से रोकने के गुर सिखाएगा पाकिस्तान। इसके अलावा, एंटी-टेररिज़्म ऑपरेशन्स में भी सोमालिया को दक्ष बनाएगा। अब एक देश का नाम अगर समुद्री डकैती से जुड़ा है, तो दूसरा देश आतंकवाद की फैक्ट्री के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसे में यह नया एमओयू कई सवाल भी खड़े कर रहा है। एक और रोचक बात यह है कि पाकिस्तानी नेवी, सोमाली नौसेना को तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग भी देगी। इसके अलावा, सोमाली नेवी के जहाज़ों के रखरखाव में भी पाकिस्तान मदद करेगा। नई नौसैनिक यूनिट की स्थापना और समुद्री गश्ती ऑपरेशन्स में भी पाकिस्तानी नेवी शामिल होगी। अब पाकिस्तान की नौसेना को तो चीन ही नई शक्ल दे रहा है। वॉरशिप से लेकर सबमरीन तक सभी “मेड इन चाइना” हैं। ऐसे में ग्लोबल ट्रेड रूट के पास पाकिस्तान की शक्ल में चीन की एक और मौजूदगी भी सामने आ सकती है।
अब पाकिस्तान की एंट्री के बाद रेड सी से अदन की खाड़ी में प्रवेश करते ही व्यापारिक जहाज़ों पर डकैती का ख़तरा बढ़ जाता है। यह इलाका दुनिया का सबसे बड़ा पायरेसी ज़ोन माना जाता है। जिबूती और सोमालिया से लुटेरे यहीं सबसे ज़्यादा सक्रिय होते हैं। इसका कारण है कि यह व्यापार का सबसे छोटा और व्यस्त रूट है। दुनिया का सारा आम ट्रेड और एनर्जी ट्रेड इसी इलाके से होकर गुजरता है। यूरोप की ओर जाने वाला एनर्जी ट्रेड ओमान की खाड़ी से होता हुआ अदन की खाड़ी और फिर रेड सी के रास्ते स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर तक पहुंचता है। वहीं, पूर्व की ओर जाने वाले मर्चेंट वेसल्स, रेड सी से होते हुए अदन की खाड़ी, अरब सागर और फिर आगे की ओर निकलते हैं।
सोमालिया की कैबिनेट ने इसी साल अगस्त में पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग पर एक और समझौता ज्ञापन पर दस्तखत करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत पाकिस्तान, सोमाली आर्म्ड फोर्स को ट्रेनिंग देगा। इसमें बुनियादी सैनिक प्रशिक्षण से लेकर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, स्टाफ ड्यूटी और अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों की ट्रेनिंग शामिल है। यही नहीं, चुने गए सोमाली अफसरों को पाकिस्तान के स्टाफ और वार कॉलेजों में भेजा जाएगा। यह करार लागू होने के दिन से अगले पाँच साल तक प्रभावी रहेगा।
इस समझौते के तहत एक ज्वाइंट डिफेंस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। चीन ने अफ्रीका में अपने रणनीतिक हितों के तहत साल 2017 में जिबूती में अपना पहला ओवरसीज़ मिलिट्री बेस स्थापित किया था। यह इलाका इतना अहम है कि यहां दुनिया के दो धुर-विरोधी अमेरिका और चीन दोनों के मिलिट्री बेस मौजूद हैं। यह क्षेत्र रेड सी और अदन की खाड़ी के किनारे स्थित है। चीन, अफ्रीकी देशों को सस्ते लोन और कम कीमत पर एयरक्राफ्ट, एम्युनिशन, आर्टिलरी गन, मिसाइल, रडार और रॉकेट सिस्टम दे रहा है। अब ठीक इससे सटे सोमालिया में पाकिस्तान अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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