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मंगोलिया के प्रधानमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव हारने के बाद इस्तीफा दिया

मंगोलिया के प्रधानमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव हारने के बाद इस्तीफा दिया

उलानबातर, 18 अक्टूबर। मंगोलिया के प्रधानमंत्री गोंबोज़ाव ज़ंदांशातार ने सत्ता संभालने के मात्र चार माह बाद ही पद से त्यागपत्र दे दिया है। संसद में उन पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद यह निर्णय लिया गया। शुक्रवार को हुए मतदान में संसद के अधिकांश सदस्यों ने उनके विरुद्ध मतदान किया, जिसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

संसद के अनुसार 126 सदस्यीय ‘स्टेट ग्रेट खुराल’ में कुल 111 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 71 ने ज़ंदांशातार के पदच्युत करने का समर्थन किया, जबकि 40 ने विरोध में मत दिया। 10 अक्टूबर को संसद के 50 से अधिक सदस्यों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उन पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और शासन तंत्र में मनमानी करने के आरोप लगाए गए थे।

विवाद की मुख्य वजह प्रधानमंत्री द्वारा न्याय एवं गृह मामलों के मंत्री की नियुक्ति को संसद से परामर्श लिए बिना एकतरफा तरीके से किया जाना बताया गया। सांसदों ने कहा कि यह निर्णय संविधान में निर्दिष्ट ‘राज्य शक्तियों के पृथक्करण’ के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और राष्ट्रपति तथा संसद के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण के समान है।

संसद सदस्यों ने अपने बयान में कहा, “प्रधानमंत्री की कार्रवाई मंगोलिया के राष्ट्रपति और संसद के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है, जो लोकतंत्र और विधि के शासन की मूल भावना के विपरीत है।” इसके अतिरिक्त उन पर न्यायिक जांच से संबंधित सार्वजनिक वक्तव्यों के माध्यम से न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का भी आरोप लगा। तीसरा आरोप यह था कि उन्होंने खनिज निर्यातक कंपनियों की मूल्य निर्धारण व्यवस्था में अचानक बदलाव कर प्रतिस्पर्धा को प्रभावित किया।

गोंबोज़ाव ज़ंदांशातार, जो 55 वर्षीय अर्थशास्त्री हैं और रूस में शिक्षित हुए हैं, को महज़ चार महीने पहले ही संसद ने भारी बहुमत से देश का प्रधानमंत्री चुना था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री ओयून-एरदेन लुव्साननामसराई का स्थान लिया था। लुव्साननामसराई को भी जून माह में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों और जनता के असंतोष के बीच पद छोड़ना पड़ा था।

मंगोलिया, जो चीन और रूस के बीच स्थित स्थलरुद्ध देश है, लंबे समय से भ्रष्टाचार और उच्चवर्गीय राजनीतिक असंतुलन से जूझ रहा है। राजनीतिक अभिजात वर्ग पर कोयला उत्खनन से हुई कमाई को अपने हित में केंद्रित करने के आरोप लगातार लगते रहे हैं, जिससे जनता का विश्वास कमजोर पड़ा है।

पूर्व प्रधानमंत्री लुव्साननामसराई ने उस समय चेतावनी दी थी कि यदि राजनीतिक अस्थिरता जारी रही तो यह मंगोलिया की लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली को संकट में डाल सकती है। अब चार माह के भीतर दो प्रधानमंत्रियों के इस्तीफों ने इस चेतावनी को और गहरा कर दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम देश में निवेशकों के विश्वास और प्रशासनिक स्थिरता, दोनों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

सियासी मियार की रिपोर्ट