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छोटे किसानों के जीवन में तब्दीली लाने के लिए मिलकर काम करें : तोमर..

छोटे किसानों के जीवन में तब्दीली लाने के लिए मिलकर काम करें : तोमर..

बेंगलुरू/नई दिल्ली, 14 जुलाई। राज्यों के कृषि और बागवानी मंत्रियों का दो दिनी राष्ट्रीय सम्मेलन बेंगलुरू में शुरू हुआ। शुभारंभ समारोह में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कृषि के क्षेत्र में हरसंभव कार्य कर रही है, फिर भी कृषि के समक्ष चुनौतियों के मद्देनजर इनका समाधान करना, इनके लिए पालिसी बनाना तथा इसका ठीक प्रकार से क्रियान्वयन करना हम सभी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमारा देश सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां वैचारिक, भाषाई, भौगोलिक व जलवायु की विविधता है, लेकिन यहीं भारत की ताकत है। इसका कृषि के संदर्भ में भी देश और राज्यों के हित में कैसे उपयोग कर सकते हैं, इस पर विचार करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कृषि बहुत संवेदनशील क्षेत्र है जो करोड़ों किसानों से जुड़ा है। गांवों में बैठे छोटे किसानों के जीवन में केंद्र-राज्य मिलकर कैसे तब्दीली ला सकते हैं, इसके लिए लोभ संवरण करे बिना काम करना चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कहा है कि लैंड पर जो हो रहा, वह भी लैब तक पहुंचे, इस पर गौर करने की जरूरत है क्योंकि अभी यहीं कहा जाता था-लैब टू लैंड।

श्री तोमर ने कहा कि हम सब को इस बात पर ध्यान देना होगा कि खाद आयात पर हमारी निर्भरता है, जिसे निर्यातक देश भी जानते हैं, इसलिए हमारे द्वारा सब्सिडी बढ़ाते जाने के साथ वे दाम बढ़ा देते हैं, इस स्थिति का कहीं तो अंत होना चाहिए। अब उर्वरक के क्षेत्र में भी हमें आत्मनिर्भर होने, मेक इन इंडिया की आवश्यकता है। उन्होंने नैनो फर्टिलाइजर का महत्व बताते हुए कहा कि इसे बढावा देने में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि किसानों की मेहनत, कृषि वैज्ञानिकों की कुशलता व केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के कारण देशभर में कृषि क्षेत्र का बेहतर विकास हुआ और सतत हो रहा है। उन्होंने राज्यों के मंत्रियों से कहा कि कृषि की और तेजी से प्रगति के लिए अपने कार्यकाल में श्रेष्ठ कार्य कर गुजरें।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने दो दिनी सम्मेलन में विचारार्थ विषयों की जानकारी दी। ये विषय हैं- डिजिटल कृषि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) एवं कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को सेचुरेशन तक ले जाना, अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (2023), एक लाख करोड़ रुपए का कृषि अवसंरचना कोष, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, न्यू एज फर्टिलाइजर तथा आईसीएआर द्वारा विकसित नई तकनीकें। यह सम्मेलन देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में अगला कदम है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख एल. मांडविया ने खाद की वैश्विक स्थिति बताते हुए कहा कि भारत को इसे काफी मात्रा में आयात करना पड़ता है, रा-मटेरियल भी बहुत महंगा है, इसके बावजूद केंद्र सरकार अत्यधिक सब्सिडी दे रही है। कुल मिलाकर, कर्नाटक जैसे एक राज्य के कुल बजट जितनी राशि की सब्सिडी दी जा रही है। डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देशानुसार, किसानों पर बढ़ी लागत का बोझ नहीं डाला जा रहा है, न ही उन्हें किल्लत आने दी जा रही है लेकिन यह स्थिति गंभीर रूप से विचारणीय है और अब देश में एक अभियान के रूप में नैनो फर्टिलाइजर का उपयोग बढ़ाने की सख्त जरूरत है।

उन्होंने राज्यों से इस संबंध में सहयोग का अनुरोध करते हुए कहा कि फर्टिलाइजर की उपलब्धता का जिलेवार हिसाब-किताब रखा जाएं ताकि उसका समुचित प्रबंधन एवं वितरण हो सकें। किसानों का फर्टिलाइजर कहीं उद्योगों को नहीं चला जाएं, इस पर भी कड़ी निगरानी रखी जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि देशभर में माडल आउटलेट्स की शीघ्र ही लांचिग होगी, वहीं एक देश- एक खाद पद्धति की योजना लागू होगी। आने वाले दिनों में भारतीय जन उर्वरक परियोजना के माध्यम से खाद बेची जाएगी।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज सोमप्पा बोम्मई ने कहा कि कृषक एवं कार्मिक के श्रम में भगवान होते हैं। कृषि हमारी संस्कृति है, कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और भारतीय कृषि क्षेत्र खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में बीते आठ साल में कृषि क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण नीतियां बनाई गई और ठोस कार्य हुए हैं तथा 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी होने के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन में हमारा देश आत्मनिर्भर हुआ हैं।

श्री बोम्मई ने कहा कि जो देश खाद्यान्न उत्पादन में स्वावलंबी होता है, वह स्वाभिमानी राष्ट्र बनता है। उन्होंने कहा कि अगर किसान जमीन से अलग हो गए तो बहुत मुश्किल हो जाएगी, इसलिए किसानों को जमीन से जोड़े रखना एवं उन्हें और भी मजबूत करना है। किसानों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक सब तरफ से मजबूत करना होगा। उन्होंने कृषि क्षेत्र में कर्नाटक की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य में कृषि व किसानों के हित में अनेक योजनाएं लागू की गई है। उन्होंने कृषि में निवेश का महत्व बताते हुए इसे बढ़ाने एवं साथ ही, उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए मृदा का स्वास्थ्य बेहतर रखने पर व श्रेष्ठ कृषि पद्धतियां अपनाने पर जोर दिया।

सियासी मियार की रिपोर्ट